नोटबंदी के समय लंबी लंबी कतारों में खड़े खड़े मुदित को सुगंधा भा जाती है। सुगंधा की सहेली मुदित के ताड़ने की सूचना सुगंधा को देती है। सुगंधा को लगने लगता है, अब उनकी लव स्टोरी फिल्मों की तरह ही आगे बढ़ेगी। लेकिन, ऐसा नहीं होता, सुगंधा को पाने के लिए बेकरार मुदित आॅनलाइन रिश्ते की रिक्वेस्ट सुगंधा के माता पिता को भेज देता है।
अब सुगंधा लव से अरेंज में बदलने वाली इस मैरिज में लव मैरिज वाला लुत्फ लेने की ठानती है। कुछ ही दिनों में मुदित और सुगंधा की सगाई हो जाती है। एक दिन सुगंधा के घर पर मुदित और सुगंधा एकांत में मिलते हैं, और सारा खेल बिगड़ जाता है, जब मुदित की मर्दानगी से जुड़ी समस्या सामने आती है। इतना ही नहीं, इस बात की भनक सुगंधा के माता पिता को भी लग जाती है। इसके बाद मुदित और सुगंधा की प्रेम कथा में जो उतार चढ़ाव आते हैं, वो देखने लायक है।
फिल्म शुभ मंगल सावधान की कहानी में मध्यवर्गीय परिवारों को रखा गया है। कहानी को दिल्ली और हरिद्वार की जमीन पर आकार दिया गया है। फिल्म शुरू से अंत तक मनोरंजन करती है।
विक्की डाॅनर में जहां पर आयुषमान खुराना ने स्पर्म डाॅनर युवक की भूमिका बेहतरीन तरीके से अदा की थी। यहां पर मर्दानगी से जुड़ी समस्या से जूझने वाले युवक की भूमिका में भी बेहतर लगे हैं।
यहां भूमि पेडनेकर के हाव भाव प्रभावित करते हैं। हालांकि, फिल्म टाॅयलेट एक प्रेम कथा देखने के बाद यहां पर भूमि पेडनेकर रिपीट मारती नजर आएंगी। मगर, फिल्म दम लगाके हाइशा के बाद भूमि पेडनेकर और आयुषमान खुराना को बड़े पर्दे पर एक साथ देखना अच्छा लगता है।
फिल्म शुभ मंगल सावधान के दूसरे कलाकारों ने भी बेहतरीन अभिनय किया है। निःसंदेह निर्देशक आरएस प्रसन्ना ने कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है। लेकिन, यहां पर फिल्म का विषय, उसके संवाद, उसका स्क्रीनप्ले लीड भूमिका अदा करता है। दो अर्थी संवाद फिल्म को मनोरंजक बनाते हैं।
यदि आप फिल्मों में इक्का दुक्का इंटीमेट और लव किसिंग सीन को देखकर शरमा जाते हैं, जो यह फिल्म आपके लिए बिलकुल नहीं है। फिल्म का शीर्षक भी कहता है सावधान। हां, यदि आप कुछ नया देखने के इच्छुक हैं और सोचते हैं कि आज कल तो सब कुछ खुले दायरे में आ चुका है, तो यह फिल्म आपके लिए मनोरंजक साबित होगी।
इतना कह सकता हूं कि फिल्म शुभ मंगल साधवान में एक मां अपनी बेटी को सुहागरात के बारे में समझाना, शादी से कुछ समय पहले लड़का लड़की का कमरे में जाना और परिजनों का कमरे के बाहर खड़े होकर सट्टा लगाना, सिनेमा हॉल में दो परिवारों की आपसी नोक झोंक, सुगंधा के पिता का बड़े भाई का पैर छूना जैसे उम्दा सीन याद रहेंगे। इसके अलावा भूमि पेडनेकर और आयुषमान खुराना के बीच फिल्माए गए रोमांस सीन हाव भाव की नजर से भी बेहतरीन हैं।
इस फिल्म को यदि रेटिंग के स्केल पर मापना हो तो यह फिल्म पांच में से साढ़े तीन स्टार की हकदार है।
– कुलवंत हैप्पी