गुजराती एक्शन थ्रिलर फिल्म ओ तारी से निर्देशकीय पारी शुरू करने वाले सिनेमेटोग्राफर तपन व्यास की दूसरी निर्देशित गुजराती फिल्म मिजाज शुक्रवार को रिलीज हुई।
इंडिया लॉज के इर्दगिर्द दौड़ती कहानी का हर पात्र अहम और रोचक है। फिर भले ही इंडिया लॉज की मालकिन सरीताबेन हो या शहर का कुख्यात गुंडा बीपी।
इंडिया लॉज रन बसेरा है। जहां पर कुछ लोग किराया देकर रहते हैं। इंडिया लॉज में रहने वालों में योगेश, जय और जाह्नवी भी हैं, जो युवा हैं। योगेश को गुस्सा जल्दी आता है जबकि जय मनमौजी स्वभाव का है और जाह्नवी में योगेश और जय दोनों का स्वभाव है।
योगेश की नौकरी ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली सप्लाई जैसी है, जो आती जाती रहती है। जाह्नवी वकालत का अभ्यास कर रही है। जय मनमौजी कहने को सहायक निर्देशक है। हालांकि, पूरी फिल्म में टी स्टाल और खाने की लारी पर दिखता है।
शांत और खुशमिजाज सरीताबेन तीनों का संघर्षरत जीवन देखते हुए उनको समय सिर भाड़ा न देने के बावजूद इंडियन लॉज में रहने की अनुमति देती है।
अचानक इंडिया लॉज पर एक विदेशी शख्स, जिसका नाम हेनरी है, की निगाह पड़ती है, जो इसको खरीदना चाहता है। लेकिन, विरासत को प्यार करने वाली सरीता बेन को इंडिया लॉज बेचना नहीं है। इसी दौरान योगेश, जय और जाह्नवी की तिक्कड़ी इंडिया लॉज के नियमों और सरीताबेन के दिल को तोड़ देती है।
इंडिया लॉज खरीदने और हथियाने के लिए विदेशी व्यक्ति स्थानीय गुंडे बीपी की मदद से लेकर हर हाथकंडा अपनाने की कोशिश करता है और दूसरी ओर सरीताबेन अपनी बात पर अटल है। ऐसे में इंडिया लॉज का भविष्य क्या होगा? देखने के लिए तपन व्यास की मिजाज देखनी होगी।
सरीताबेन के किरदार तेजस्वी चेहरे वाली छाया वोरा अच्छी लगती हैं। असल जीवन में साहित्यकारों की तरह रहने वाले मल्हार ठाकर ने मनमौजी युवक के किरदार को पर्दे पर हर बार की तरह बाखूबी निभाया है। रेवंत साराभाई गुस्सैल और ईमानदार युवक की भूमिका में एकदम फिट बैठते हैं। जाह्नवी का किरदार निभाने वाली ईशा कंसारा ने गंभीर और एक्शन सीनों में बेहतरीन अभिनय किया है।
जय की प्रेमिका के किरदार में काजल का अभिनय भी शानदार है। अभिनय बैंकर के किरदार की सराहना करनी होगी। गीत गाने के शौकीन और ख़तरनाक हंसी हंसने वाले खलनायक बीपी के किरदार में अभिनय बंकर ने जान फूंक दी है। सरीताबेन के बेटे के किरदार में जयेश मोरे ने भी बेहतरीन अभिनय किया है।
भले ही परवीन पंड्या द्वारा लिखित फिल्म मिजाज का कथानक पुराना है। लेकिन, फिल्म की पटकथा काफी कसावट भरी, ताजी और रोचक है। कोई शक नहीं कि फिल्म के संवादों पर बेहतर तरीके से काम किया गया है। सिनेमेटोग्राफी के साथ साथ निर्देशन की जिम्मेदारी निभा रहे तपन व्यास ने दोनों पक्षों को बेहतर तरीके से संभाला है।
इसके अलावा फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है। फिल्म में मल्हार ठाकर हो और रोमांस न हो, ऐसी कल्पना शायद गुजराती फिल्मकार कर पाएं। इसलिए काजल और मल्हार पर एक रोमांटिक नंबर फिल्माया गया है, जो बढ़िया है।
हालांकि, कुछ सीन आपको बनावटी या फिल्मी लग सकते हैं। शायद, इतनी ढील तो फिल्म निर्देशक को होनी चाहिए कि वह अपनी कल्पना का इस्तेमाल भी कर सके।
अगर आप फिल्म को मनोरंजन के लिए देखते हैं, तो तपन व्यास की मिजाज आपके मिजाज के अनुकूल है। मारधाड़ से लेकर नम आंखों तक को मिजाज में कवर किया गया है।
कुलवंत हैप्पी