इस साल अर्थात फरवरी 2020 में गुजराती रंगमंच और फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियों का मनोबल और सम्मान बढ़ाने वाले प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह ट्रांसमीडिया गुजराती स्क्रीन एंड स्टेज अवार्ड्स को 19 साल हो जाएंगे। इस समारोह के आयोजन का ख्याल कब और किस तरह जस्मीन शाह, जो इसके कर्ता धर्ता और संस्थापक हैं, के दिमाग में आया, के बारे जानने के लिए फिल्मी कैफे उनसे से विशेष बातचीत की।
नरेंद्र मोदी से साल 2001 में मुलाकात हुई थी, तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उन्होंने मुझसे कहा कि जस्मीन भाई, तुम काफी गतिविधियां करते हो, तुम कुछ ऐसी गतिविधि करो, जो गुजरात के बाहर रहने वाले गुजरातियों का ध्यान रखे। गुजरात के बाहर ज्यादातर गुजराती अपनी मातृभाषा में बात नहीं करते, हिन्दी भाषा में बात करते हैं, गुजराती बोलने में थोड़ा सा शर्माते हैं। ऐसे लोगों के लिए कुछ कीजिए। युवा लोगों के लिए कुछ बेहतर कीजिए।
तभी अचानक मैंने नरेंद्र मोदी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थेए से कहा, गुजराती फिल्म, नाट्य और सीरियलों से जुड़े लोगों के लिए कुछ किया जाए, जो बाहर रखकर भी गुजराती के लिए कुछ कर रहे हैं। उनको सम्मानित करने के लिए समारोह का आयोजन करूं, तो कैसा रहेगा? इसके जवाब में नरेंद्र मोदी जी कहा, ‘बहुत अच्छा ख्याल है। लग जाओ।’
उसी साल 2001 से मैंने ट्रांसमीडिया गुजराती स्क्रीन एंड स्टेज अवार्ड्स का शुभारंभ किया और 29 फरवरी 2020 को ट्रांसमीडिया गुजराती स्क्रीन एंड स्टेज अवार्ड्स अपना 19 साल लंबा सफल पूरा करेगा। हम हर साल फरवरी के अंतिम शनिवार को इस समारोह का आयोजन करते हैं।
जब मैंने साल 2001 में ट्रांसमीडिया गुजराती स्क्रीन एंड स्टेज अवार्ड्स की शुरूआत की, तब मेरा कलाकारों से ज्यादा राबताा नहीं था1मैंने टुलिप स्टार, जो उस समय सेंटूर होटल जुहू के नाम से मशहूर था, में अपने पहले समारोह का आयोजन किया। मुझे कुछ भी पता नहीं था कि कलाकार आएंगे या नहीं। मैं उस समय चकित रह गया, जब इस गुजराती समारोह में गुजराती कलाकारों के अलावा हिन्दी कलाकारों ने भी बढ़कर शिरकत की। हिन्दी कलाकारों ने मेरे कदम की सराहना की। गुजराती कलाकारों ने इतना प्यार और सहयोग दिया कि यह पुरस्कार समारोह 19 साल लंबी यात्रा तय कर गया।
हालांकि, समारोह शुरू होने से पहले मैं बहुत नर्वस था। उस समय के सेंटूर होटल जुहू में मैं अपनी 3000 कुर्सियां लगाकर और कार्यक्रम के पास बांटकर बैठ गया था। आप यकीन नहीं मानेंगे कि मेरा प्रोग्राम साढ़े छह बजे का था, और छह बजकर चालीस मिनट तक केवल 20 से 22 तक लोग आए थे। मेरा दिल बुरी तरह धड़क रहा था क्योंकि मैं दस से बारह लाख रुपये खर्च कर चुका था। मुझे प्रायोजकों नहीं चाहिए थे, मुझे केवल कलाकारों की मौजूदगी की चिंता थी। मगर, भगवान की ऐसी कृपा हुई कि सात बजे इतने लोग आए कि हमें बहुत सारे लोगों को कार्यक्रम स्थल से बाहर करना पड़ा।
मुझे याद है कि राजू सावला की कंपनी ने उस समय समारोह का पूरा लाइटिंग और म्यूजिक का बंदोबस्त किया था, जो उत्तम दर्जे का था और तब अब तक उनका साथ निरंतर बना हुआ है। दिलचस्प बात तो यह है कि 19 सालों में हमने अपनी टीम में कोई बदलाव नहीं किया।
इसके अलावा आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां हिन्दी फिल्म पुरस्कार समारोह में कलाकार प्रस्तुति के लिए पैसा लेते हैं। वहीं, हमारे मंच पर प्रस्तुति देने के लिए कलाकार खुद पैसे खर्च करके आते हैं, यह उनका प्यार और स्नेह है। हमारे मंच पर प्रस्तुति देने वाले किसी कलाकार ने मंच प्रस्तुति के लिए पैसा नहीं मांगा।
मुझे खुशी है कि हमारे मंच से कई कलाकार ऊपर आएं हैं, जैसे शरमन जोशी, जिसको साल 2001 में सबसे पहला बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया था। भूमि त्रिवेदी, जिसको बेस्ट सिंगर का अवार्ड दिया था। ऐश्वर्या मजमूदार, पार्थिव गोहिल, साईं राम, ऐसे नाम हैं, जिन्होंने हमारे मंच से शुरूआत की, और आज कहां से कहां पहुंच चुके हैं। हमारे मंच से जब कलाकार ऊपर आते हैं, तो हम को खुशी होती है।
चयन प्रक्रिया की बात करें तो हमारा समारोह हर साल फरवरी अंत में आयोजित होता है और हम नवंबर में अपनी ज्यूरी सदस्यों को चुन लेते हैं, जो फिल्मों और सीरियलों का आंकलन करती है, उनमें से उत्कृष्ट को चुनती है। इसके बाद मैं ज्यूरी के साथ बैठता हूं और दिए गए अंकों के हिसाब से हम बेहतर का चयन करते हैं।
इसके अलावा हमने मुम्बई और अहमदाबाद के नाटकों का आकलन करने के लिए साल के आरंभ से ही ज्यूरी का चयन कर देते हैं, जो जगह जगह होने वाले नाट्य मंचनों में अपने खर्च पर जाते हैं, उनकी समीक्षा करते हैं और अंतिम चरण में सबसे बेहतर नाट्य मंचन का चुनाव किया जाता है।
अंतिम प्रक्रिया के दौरान हम चार उत्कृष्ट कृतियों को चुनते हैं, और उनसे संबंधित कलाकारों और अन्य संबंधित लोगों से उनकी उपस्थिति को लेकर अवगत होते हैं, यदि संबंधित व्यक्ति, जिसको पुरस्कार मिलने की सबसे अधिक संभावना है, समारोह में आने के लिए तैयार है, तो उसको विचाराधीन रख लिया जाता है, यदि संबंधित व्यक्ति की मौजूदगी नहीं है, तो हम अन्य प्रतिद्वंदियों पर विचार करते हैं क्योंकि पुरस्कार विजेता व्यक्ति के हाथों में ही जाना चाहिए, यह हमारा मानना है। हमारा सीधा और सरल सा फंडा है, यदि आप हमारे पुरस्कार का सम्मान करते हैं, तो हम आपका सम्मान करते हैं।
जहां पर फिल्म पुरस्कारों को लेकर विवाद की बात है, तो पुरस्कारों को लेकर विवाद होना चाहिए, क्योंकि पुरस्कार की चर्चा होना भी अच्छी बात है। दरअसल, ऐसा है कि नॉमिनेशन चार या पांच होते हैं, जो लोग नॉमिनेशन से छूट जाते हैं, वो अपना रोष जाहिर करते हैं, जिनको नॉमिनेशन मिलता है, वो खुशी जाहिर करते हैं, इतना नहीं, यदि नॉमिनेशन के बाद पुरस्कार नहीं मिलता, तो भी एतराज प्रकट करते हैं। यह सब चलता रहता है। खैर यह एक अच्छी पब्लिसिटी है। अवार्ड डिसक्शन से हमारी वैल्यू बढ़ती है, कम नहीं होती।
खैर, मेरे साथ कभी विवाद नहीं हुआ, क्योंकि लोग मुझे अच्छी तरह जानते हैं कि मैं पुरस्कारों को लेकर पक्षपात नहीं करता और मैं व्यक्तिगत तौर पर पुरस्कारों में हस्तक्षेप नहीं करता हूं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि गुजराती कलाकारों का दुनिया का सबसे बेहतरीन अवार्ड एक ही है, वो है ट्रांसमीडिया गुजराती स्क्रीन एंड स्टेज अवार्ड्स नाइट्स।
यदि मौजूदा हालातों की बात करूं तो दिलचस्प बात तो यह है कि समारोह में कुर्सियां छह हजार हैं, और पास दस हजार से अधिक बंट चुके हैं। मेरी स्थिति ऐसी है कि मैं किसी को न नहीं कह सकता। वहां जो होगा अब देखा जाएगा। अब समारोह विशाल होता जा रहा है। ऐसे में अब बड़े पैमाने पर तैयारी करने की जरूरत लग रही है। अब तक मैंने अपने खर्च पर पुरस्कार समारोह का आयोजन किया है। अभी जाकर थोड़ा थोड़ा गुजरात पर्यटन विभाग की ओर से सहयोग मिलने लगा है, जो हमारे के लिए अच्छी बात है। गुजरात पर्यटन विभाग ने समारोह को बड़ा करने की गुजारिश की है, और बड़ी मदद मिलने की संभावना है। बाकी देखते हैं, आगे जो होता है। इस बार समारोह में 56 अवार्ड्स दिए जाएंगे, जिसमें गुजराती नाटक (अहमदाबाद के और मुम्बई के), गुजराती सीरियल और गुजराती फिल्म समेत चार कैटेगरी रहती हैं। इसके अलावा लाइफअचीवमेंट अवार्ड और अन्य अवार्ड शामिल हैं।
समय काफी बदल चुका है, जब मैंने साल 2001 में अवार्ड समारोह की शुरूआत की थी, तब गुजरात में पूरे साल में केवल आठ फिल्में रिलीज हुई थी और उसमें सात फिल्में केवल नरेश कनोडिया की थी। ऐसे में मैं किसी को सम्मानित करता और किसको सम्मानित न करता जबकि पिछले साल तो साठ फिल्में रिलीज हुई, जिसमें से सात से आठ फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर बेहतरीन कमाई की है।
सबसे ज्यादा अच्छी बात तो यह है कि जब हमाने फिल्म अवार्ड समारोह की शुरूआत उस समय की, जब किसी के दिमाग में ऐसा ख्याल तक नहीं आया था कि ऐसा कुछ भी करना चाहिए। हमने केवल फिल्मी सितारों को ही नहीं बल्कि रंगमंच से जुड़े कलाकारों को भी सम्मानित किया।
उपरोक्त लेख जस्मीन शाह, ट्रांसमीडिया कंपनी के चेयरमैन और ट्रांसमीडिया गुजराती स्क्रीन एंड स्टेज अवार्ड्स नाइट्स के संस्थापक के साथ हुई फिल्मी कैफे के संपादक कुलवंत हैप्पी की बातचीत पर आधारित।