Sunday, December 22, 2024
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क्‍या असल में अक्षय कुमार की अगली फिल्‍मों के नाम ऐसे होंगे?

इतिहास गवाह है, जो शख्‍स समय की नब्‍ज को समझने में चूकता है, वो लाइफ में भी चूक जाता है। सुपर स्‍टार राजेश खन्‍ना समय के साथ नहीं ढले, और शाम के सूरज की तरह अस्‍त हो गए। मगर, अमिताभ बच्‍चन समय के साथ समझौता करते हुए आगे बढ़े और पर्दे के महानायक बन गए।

मगर, राजेश खन्‍ना वाली गलती उनके दामाद अक्षय कुमार बिलकुल दोहराना चाहते। तभी तो सफलता की शिख़र पर पहुंच चुके अक्षय कुमार अहं की बजाय विनम्रता के पंख खोलने लगे हैं, ताकि सफलता के खुले आसमान पर और लंबी और ऊंची उड़ान भरी जा सके।

अक्षय कुमार समझ चुके हैं कि देश में देशभक्‍ति की लहर हिलौरे मार रही है और हर तरफ एक ही शख्‍स नरेंद्र मोदी की लहर है। हाल ही में अक्षय कुमार ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस मुलाकात के अलग अलग अर्थ निकाले जाएंगे।

हर कोई इस मुलाकात को अपने चश्‍मे से देखना चाहेगा। मगर, अक्षय कुमार इस बात की कतई परवाह नहीं करते क्‍योंकि अक्षय कुमार जान चुके हैं कि फूलों के साथ कांटे भी उनके दामन को पकड़ेंगे। इस बात का परिचय अक्षय कुमार अपने ट्विटर पर देते रहते हैं।

राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार से सम्‍मानित हो चुके अक्षय कुमार का सरकार के साथ नजदीकियां बढ़ाना और जागरूकता फैलाने एवं देशभक्‍ति जैसे विषयों पर फिल्‍में बनाना समय की नब्‍ज को समझना ही तो है।

अक्षय कुमार की आने वाली फिल्‍म टॉयलेट एक प्रेम कथा नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा चला जा रहे खुले में शौच न जाओ जैसे अभियान को आगे बढ़ाती है। इस फिल्‍म का टाइटल सुनकर नरेंद्र मोदी भी मुस्‍कराने बिना नहीं रहे सके, जब हाल ही में अक्षय कुमार ने उनसे मुलाकात की।

मगर, अक्षय कुमार की इस मुलाकात के बाद स्‍व-घोषित फिल्‍म समीक्षक और अभिनेता कमाल आर खान उर्फ केआरके, जो निरंतर अभिनेता को कनेडियन कहकर बुलाते हैं, ने एक्‍टर अक्षय कुमार पर निशाना साधते हुए उनकी भावी फिल्‍मों के नाम शेयर किए, जिनमें सर्जिकल स्‍ट्राइक, सबका साथ सबका विकास, डिजीटल इंडिया, मन की बात, 56 इंच का सीना, चाय वाला, नोट बंदी आदि शामिल हैं।

दरअसल, कमाल आर खान अक्षय कुमार की सरकार के साथ नजदीकियों को चापलूसी और प्रचार नीति के रूप में देख रहे हैं। तभी तो केआरके उपरोक्‍त ट्विट से पहले एक व्‍यंगनुमा ट्विट करते हुए लिखते हैं, अक्षय कुमार : सर, मैं कनेडियन शहरी हूं, मैं वहां अक्‍सर जाता रहता हूं। मोदी : एलओएल! मैंने सभी देश घूम लिए, करदाताओं के पैसे पर।’

जैसे कि पहले ही बता दिया गया है कि अक्षय कुमार विरोध में बोलने वालों पर अधिक ध्‍यान नहीं देते क्‍योंकि अक्षय ने पिछले 25 सालों में आलोचनाओं को ही तो बर्दाशत किया है। इसमें कोई शक नहीं कि स्‍टार वाली सफलता मिलने के बाद अक्षय कुमार कुछ हद तक मुंहफट हुए हैं, जो उनकी इंटरव्‍यूज में दिखता है।

वैसे भी अक्षय कुमार के काम उनको रील हीरो से रियल हीरो बना रहे हैं, चाहे शहीदों के परिवारों के लिए एप बनाने का सुझाव देना हो, चाहे शहीदों को आर्थिक राशि देना हो या फिर हाल ही में रिलीज हुईं अक्षय कुमार की देशभक्‍ति के रंग में रंगी फिल्‍में हों।

केआरके के अलावा भी बहुत सारे लोग इसको एक सोच समझी प्रचार नीति का हिस्‍सा मानते हैं। इस बारे में आपकी क्‍या राय है? हमारे साथ जरूर शेयर करें।

– कुलवंत हैप्‍पी, अहमदाबाद, गुजरात

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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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