अलग ढंग से चश्मा पहनने, सिगरेट जलाने या फिर किसी चीज को ऊपर उछाल कर गुंडों की धुनाई करने का सीन हो, सुपर स्टार रजनीकांत के बिना मुकम्मल कर पाना मुश्किल है। रजनीकांत का जल्वा ही था कि कल्पना बाहर के ऐसे सीनों को भी रजनीकांत ने तुच्छ कहने का मौका नहीं दिया।
शिवाजी राव गायकवाड़ से रजनीकांत
12 दिसंबर 1950 को ठंडी रात में बैंगलुरू के कलासीपलयम बस स्टैंड के समीप कृष्ण राजेंद्र रोड पर स्थित 250 बैड वाले वानीविलास अस्पताल में पुलिस कांस्टेबल रानोजी राव गायकवाड़ की पत्नी रामबाई ने अपनी चौथी संतान को जन्म दिया।
इस मराठी दंपति ने अपनी चौथी संतान और बेटे का नाम मराठा योद्धा शिवाजी के नाम पर रखा, जो आगे चलकर सिनेमा जगत में रजनीकांत के नाम से मशहूर ही नहीं हुआ बल्कि स्टारडम के नए बैंचमार्क स्थापित कर गया।
शिवाजी राव गायकवाड़ से रनजीकांत और रजनीकांत से सुपर स्टार रजनी हो जाने का सफर कम कठिनाईयों भरा नहीं है। छह लोगों का परिवार और कमाने वाला एक पुलिस कांस्टेबल रानोजी राव गायकवाड़।
रामबाई की चौथी संतान रजनीकांत को उनका दूध लंबे समय तक पीने को नहीं मिला। शारीरिक दिक्कत के कारण स्तनपान बंद हो गया। रजनीकांत के पालन पोषण के लिए गाय के दूध का बंदोबस्त किया गया। जब रजनीकांत 11 साल का हुआ तो सिर से मां का साया उठ गया।
घर की गरीबी के कारण रजनीकांत के सबसे बड़े भाई को पढ़ाई बीच में छोड़कर आजीविका के लिए छोटी ही उम्र में काम करना पड़ा। रजनीकांत ने स्कूल पूरा करने के बाद कलासीपलयम में कूली का काम करना शुरू किया और बीच बीच में सुतार का काम भी किया।
बाद में, जब बैंगलुरू ट्रांसपोर्ट सर्विस में रजनीकांत ने बातौर कंडक्टर की नौकरी शुरू की, तो साथ साथ में रंगमंच की दुनिया में भी कदम बढ़ाना शुरू कर दिया, जो रजनीकांत को बचपन से प्रिय था। कन्नड़ नाटकों में काम करते करते एक दिन रजनीकांत के सामने मद्रास फिल्म इंस्टीट्यिूट का विज्ञापन आया, जो अभिनय कोर्स संबंधित था।
परिवार की सहायता और प्रोत्साहन के बिना रजनीकांत ने कुछ दोस्तों की सलाह पर अपनी सरकारी नौकरी से कुछ समय के लिए छुट्टी लेकर इंस्टीट्यिूट ज्वॉइन किया, ताकि अभिनय में चूकने पर नौकरी तो बची रहे।इंस्टीट्यिूट के एक स्टेज शो के दौरान रजनीकांत पर फिल्मकार के बालकृष्ण की नजर पड़ी। के बालकृष्ण ने रजनीकांत को तमिल सीखने के लिए प्रेरित किया। रजनीकांत ने के बालकृष्ण की सलाह को लपक लिया।
रजनीकांत ने 1975 में कमल हासन और श्रीविद्या अभिनीत फिल्म अपूर्व रागंगल से तमिल सिनेमा में कदम रखा। इस फिल्म का निर्देशन के बालाकृष्ण ने किया था। छोटे छोटे किरदार अदा करने के बाद रजनीकांत को 1977 में तेलुगू फिल्म चिलकम्मा चेप्पिंडी में लीड भूमिका मिली। इसके बाद धीरे धीरे रजनीकांत का कद अभिनेता कमल हासन से बड़ा होता चला गया। अंत दोनों ने कभी कभी साथ साथ काम न करने का वचन दे दिया।
अगर एक्टर न होता तो अंडरवर्ल्ड डॉन होता
इंटरव्यू देने बंद कर चुके सुपरस्टार रजनीकांत ने कुछ साल पहले भारती एस प्रधान को दिए एक इंटरव्यू में उनके सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘हां, यह सही है, एक अंडरवर्ल्ड डॉन बनता। अब वह समय निकल चुका है। अब मेरे पास बहुत सारा पैसा है।’ दरअसल, अभिनेता ने एक बार भारती एस प्रधान से कहा था कि यदि वह एक्टर न बनते तो पैसा कमाने के लिए तस्कर बनते।
असल में रजनीकांत ने जिस इलाके में रहकर किशोर अवस्था से युवा अवस्था में कदम रखा। वो इलाका गुंडा मव्वालियों से भरा हुआ था। जब रजनीकांत सोलह साल के थे। उस समय रजनीकांत ने अपने ही मोहल्ले के मशहूर गुंडे की पिटाई कर दी थी। जब बाद में रजनीकांत को पता चला कि उसने ख़तरनाक लोगों के सरगना की पिटाई कर दी है, तो कुछ दिन बाद रजनीकांत ने मामला रफा दफा करने के लिए उस गुंडे के घर जाकर, उसके सामने खड़े होकर कहा, ‘हां, मैंने तुमको मारा था। क्या अब तुम मुझे काट डालोगे? आगे बढ़ो।’ उसने रजनीकांत का हौसला देखकर उसको जाने दिया।
हिमालय की गोद में
जी हां, अपनी हर फिल्म के रिलीज होने के बाद अभिनेता रजनीकांत हिमालय की गोद में कुछ समय अपने साथ गुजारने के लिए जाते हैं। हिमालय के बीचोंबीच बसे गांव में आम लोगों के साथ रहते हैं और ध्यान करते हैं। रजनीकांत ने इस काम की शुरूआत 1995 में की थी। इतना ही नहीं, इस यात्रा में उनके साथ कोई अन्य व्यक्ति नहीं होता है।
रोबोट के लिए तीसरा विकल्प
फिल्मकार शंकर निर्देशित रोबोट रजनीकांत की सबसे महंगी फिल्मों में शामिल है। दिलचस्प बात तो यह है कि इस फिल्म के लिए रजनीकांत पहली पसंद नहीं थे। साल 2000 के आस पास शंकर ने इस फिल्म के लिए कमल हासन को अप्रोच की थी। लेकिन, डेट्स की समस्या के चलते बात बन न सकी। उसके बाद शंकर इस फिल्म को शाह रुख खान के साथ बनाने की सोचने लगे। लेकिन, बजट समस्या के कारण बात सकारात्मक बिंदू पर खत्म न हो सकी।
इस फिल्म के लिए रजनीकांत ने लगभग 2 साल 10 महीनों तक काम किया था और मेहनताने के मामले में निर्माताओं को यहां तक कह दिया था कि फिल्म रिलीज होने के बाद दे देना यदि बीच में जरूरत पड़ी तो मांग लुंगा। रजनीकांत का मानना था कि फिल्म काफी महंगे बजट की थी, ऐसे में निर्माताओं पर अधिक बोझ डालना अच्छा नहीं था।
66 साल के हो चुके रजनीकांत की अगली फिल्म 2.0, जो रोबोट का सीक्वल है, अप्रैल 2018 में रिलीज होगी जबकि काला अगस्त 2018 में रिलीज होगी। जहां अक्षय कुमार, सलमान खान और शाह रुख खान जैसे सुपर स्टार फिल्म रिलीज के लिए हॉलीडे सीजन का इंतजार करते हैं, वहां ही रजनीकांत ऐसे अभिनेता बन चुके हैं, जिनकी फिल्म छुट्टी के दिन रिलीज नहीं करनी पड़ती, बल्कि रिलीज के दिन बहुत जगहों पर छुट्टी घोषित हो जाती है।
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि एक कतरा जो समुंदर से मिला, और समुंदर हो गया। यह भी अद्भुत बात है कि रजनीकांत का नाम जितना बड़ा हो रहा है, लिखने में उतना छोटा हो रहा है। शिवाजी राव गायकवाड़ से रजनीकांत हुआ और अब केवल रजनी रह गया। और प्रशंसक उनको सुपरस्टार रजनी कहते हैं!
– कुलवंत हैप्पी