भारत में हर शुक्रवार कम से कम 2 से 3 फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अपनी किस्मत अजमाने उतरती हैं। हर फिल्म के पीछे कड़ी मेहनत और लंबे समय की रिसर्च होती है। हालांकि, कई बार फिल्म निर्माता निर्देशक को ईमानदार फिल्म बनाने के लिए विरोध प्रदर्शनों और धमकियों का सामना भी करना पड़ता है।
हमने देखा है कि हाल ही में ए दिल है मुश्किल, उड़ता पंजाब, पीके और संजय लीला भंसाली की पद्मावती जैसी कई फिल्मों को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। अब विरोधकर्ताओं के निशाने पर पुरस्कृत फिल्मकार मधुर भंडारकर निर्देशित फिल्म इंदू सरकार आ चुकी है। जैसा कि हम जानते हैं कि इंदू सरकार 1975 के आपातकाल पर आधारित फिल्म है।
फिल्म इंदू सरकार ट्रेलर रिलीज होने के साथ ही फिल्म का विरोध भी शुरू हो गया, विशेषकर कांग्रेस की ओर से। लेकिन, हैरानी की बात तो यह है कि इस फिल्म को बिना देखे ही इसे प्रतिबंधित करने की मांग की जा रही है।
इतना ही नहीं, एक कांग्रेसी नेता हसीब अहमद ने इंदू सरकार के ट्रेलर के प्रति आक्रोश प्रकट करते हुए एक पोस्टर जारी कर दिया, जिसमें फिल्मकार मधुर भंडारकर के चेहरे पर काली स्याही लगाने वाले को एक लाख रुपये पुरस्कार देने की बात कही गई।
हालांकि, भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर समय समय पर चिंता व्यक्त की जाती है। कई बार तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान तक भी चला दिए जाते हैं। लेकिन, कितनी हैरानी की बात है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बोलने वाले फिल्मकारों की बात आने पर चुप्पी साध लेते हैं जबकि एक फिल्मकार भी अपनी बात को बड़े पर्दे पर रखने से पहले कड़ी खोजबीन करता है।
जब हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहते हैं तो सोचिये जरा, फिल्मकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता धमकियों के साये तले क्यों?
सुरभि