फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को लेकर बाजार में तरह तरह की चर्चाएं हैं। अनुराग इसके सह निर्माता हैं, निर्देशक नहीं, जिस कला के लिए अनुराग कश्यप जाने जाते हैं। मगर, ‘उड़ता पंजाब’ को लेकर अनुराग का स्टैंड काबिले तारीफ है। हालांकि, फिल्म सच्चाई के कितनी करीब होगी, यह कहना मुश्किल है। जो सेंसर बोर्ड से लेकर राजनीतिक गलियारों में उड़ता पंजाब ने रिलीज से पहले हलचल मचाई है, उसे देखकर लगता है कि फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ बिलकुल पंजाब के हालातों के काफी करीब जाकर खड़ी होती है।
निर्देशन भले ही अभिषेक चौबे ने किया हो, लेकिन, एक फिल्म निर्माता के तौर पर अनुराग कश्यप की भी एक बड़ी भूमिका रही होगी। सबसे पहले फिल्म के लिए एक विषय का चुनाव करना अहम होता है, जिसमें प्रोडक्शन कंपनी का अहम रोल रहता है, जो अनुराग कश्यप ने निभाया है।
ऐसा तो नहीं कि सेंसर बोर्ड के साथ किसी को पहली बार ठनी हो। मगर, जो स्टैंड अनुराग कश्यप ले रहे हैं, वे काबिले तारीफ है ।और सबसे बेहतरीन बात तो यह है कि अनुराग कश्यप ने पूरे मामले पर स्पष्टता बनाकर रखी है।
कुछ मीडिया संस्थानों ने उड़ता पंजाब को अनुराग कश्यप निर्देशित फिल्म लिखा तो त्वरित टिप्पणी देखने को मिली कि अभिषेक चौबे की है। उसके बाद सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया है, निरीक्षण समिति ने फैसला सुरक्षित रखा हुआ है, और प्रक्रिया विचारधीन है।
उसके बाद अनुराग ने स्पष्ट किया कि यदि प्रमाण पत्र नहीं मिलता तो लड़ाई को अदालती दायरे में लेकर जाया जाएगा। उसके बाद आप ने लिखा कि मुझे हमेशा लगता है कि मैं नार्थ कोरिया में रहता हूं, अब तो प्लैन पकड़ने की भी जरूरत नहीं है।
उसके बाद अनुराग कश्यप ने लिखा, “उड़ता पंजाब’ से ज्यादा ईमानदार कोई फिल्म नहीं है। इसका विरोध करने वाले असल में नशे को बढ़ावा देने के दोषी हैं।” अनुराग बात में बिलकुल दम है, मगर, दिक्कत तो यह है कि पंजाब की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार मौजूदा सरकार है, जो केंद्र सरकार की सहयोगी है। ऐसे में दिक्कत तो होगी, यदि आप स्पष्ट और ईमानदार तस्वीर उतारेंगे।
सबसे अच्छी बात जो अनुराग कश्यप ने इस विवाद के दौरान कही, कांग्रेस, आप और अन्य राजनीतिक पार्टियां मेरी लड़ाई से परे रहें। सेंसर के खिलाफ बोलने का मेरा अधिकार है, मैं अपने तौर बोलूंगा। बात बिगड़ने से पहले संभाली वो भी अच्छा किया, विशेष नॉर्थ कोरिया कहना के बारे में।
सेंसर बोर्ड की धक्केशाही यकीनन चर्चा का विषय बनी हुई है। ऐसा नहीं कि अनुराग कश्यप ने सेंसर के खिलाफ आवाज उठाई। इससे पहले विक्रम भट्ट भी एक इंटरव्यू में बोल चुके हैं। नंदिता दास भी बोल चुकी हैं। मगर, अनुराग कश्यप पहली बार इसको व्यापाक चर्चा का विषय बनाने में कामयाब हुए हैं।
उड़ता पंजाब को लेकर एक बहस तो छिड़ चुकी है। उम्मीद है कि अनुराग कश्यप से शुरू हुआ वाद संवाद आगे बढ़ेगा और सेंसर की तस्वीर बदलेगा।
ट्विटर पर निरंतर सेंसर बोर्ड पर निशाना साधा जा रहा है, जो सराहनीय है। इतना ही नहीं, पहली बार किसी फिल्म के लिए इंसाफ मांगने जैसे वाक्यों का सोशल मीडिया पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
ऐसे में कहना तो बनता है
Weldone! अनुराग कश्यप