तो पहलाज निहलानी मंत्रालय और फिल्म जगत की नजरों में ऐसे बने विलेन
मुम्बई। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष पद से ऐसे निकाल फेंका, जैसे चाय से मक्खी। दिलचस्प बात तो यह है कि इसी सरकार ने वर्ष 2015 में फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी को कड़े विरोधों के बावजूद भी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की कमान सौंपी थी।
अचानक बेआबरू कर पद से हटाए जाने के बाद पहलाज निहलानी ने एक विशेष साक्षात्कार में कुछ खुलासे किए, जो केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी की तानाशाही और सरकार की मंशा को भी जगजाहिर करते हैं।
पहलाज निहलानी ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘इंदू सरकार मुख्य मुद्दा थी। स्मृति ईरानी तो हमेशा मुद्दा रही हैं। वो किसी भी मंत्रालय में रहें, अपने हस्तक्षेप से अपनी मौजूदगी तो दर्ज करवाती हैं। उसने मुझे कहा, तुम बिना कोई कट लगाए इंदू सरकार को पास क्यों नहीं रहे हो, तो मैंने कहा, मैं प्रक्रिया का पालन करूंगा। उसको आईएंडबी में अपनी शक्ति दिखाने के लिए मुझसे बड़ा निशाना कौन मिलता।’
इतना ही नहीं, विवादित फिल्म उड़ता पंजाब मामले में बात करते हुए पहलाज निहलानी कहते हैं, ‘उड़ता पंजाब फिल्म को रिलीज न होने देने के लिए भी मुझ पर मंत्रालय की ओर से दबाव बनाया गया था।’
बता दें कि शाहिद कपूर अभिनीत उड़ता पंजाब पंजाब में फैले नशे के कारोबार पर आधारित फिल्म थी, जो कहीं न कहीं पंजाब के ख़राब पक्ष को उजागर करने वाली थी और ऐसे में तत्कालीन सरकार की साख ख़तरे में पड़ सकती थी।
इसके अलावा सलमान खान और कबीर खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म बजरंगी भाईजान के बारे में बात करते हुए पहलाज निहलानी ने कहा, ‘इस फिल्म को ईद पर रिलीज न होने देने का दवाब भी बनाया गया था, विशेषकर इसके नाम के कारण।’
पलहाज निहलानी ने दावा किया कि उनकी ओर से फिल्म बजरंगी भाईजान को गाइडलाइन्स के अनुसार देखने के लिए मंत्रालय को तीन पत्र लिखे गए। ऐसे में उनको अपनी सीमा से बाहर जाकर काम करना पड़ा, जिसने उनको विलेन बना दिया।