अंतरआत्मा की आवाज, मन की आवाज और दिल की आवाज के बारे में तो सुना ही होगा। लेकिन, एक पेट की आवाज भी होती है। यह आवाज पेट ख़राब होने या भूखने लगने पर होने वाली आवाज नहीं बल्कि भविष्य में होने वाली अनहोनी का अंदेशा देने वाली बॉबी के पेट की आवाज है, जिसको आम लोग या जन साधारण सिक्स सेंस कहते हैं।
जजमेंटल है क्या की बॉबी मानसिक तौर पर बीमार रहती है। उसका इलाज चल रहा है और बॉबी अपने शौक भी पूरे कर रही है। बॉबी अपने घर का कुछ हिस्सा केशव और उसकी पत्नी रीमा को भाड़े पर दे देती है।
बॉबी को पेट से आवाज आती है, केशव रीमा को मार देगा जबकि केशव और रीमा की जिंदगी में सब कुछ नॉर्मल चल रहा होता है। अचानक, रीमा की मौत हो जाती है। बॉबी की तमाम कोशिशों के बाद केशव इस मामले में निर्दोष ही रहता है।
इस हादसे के बाद केशव अपने रास्ते और बॉबी अपने रास्ते। बॉबी दो साल के लंबे इलाज के बाद अचानक ताऊ के कहने पर लंदन पहुंचती हैं। जहां पर उसका सामने अतीत के केशव और वर्तमान के श्रवण से होता है, जो उसकी फुफेरी बहन मेघा का प्रेमी है।
यहां पर भी बॉबी को पेट से आवाज आने लगती है कि उसकी बहन की हत्या हो जाएगी। लेकिन, उधर, केशव बॉबी की बहन को यकीन दिला देता है कि बॉबी मानसिक तौर पर परेशान है और उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए बावली है।
गर्भवती मेघा बॉबी और केशव की बातों से इतना उलझ जाती है कि वह किसी पर भरोसा करे और किसी पर न करे वाली स्थिति में पहुंच जाती है। इस दौरान कुछ ऐसे घटनाक्रम होते हैं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।
क्या सच में बॉबी अपने आस पास एक काल्पनिक दुनिया बुनती है? क्या केशव ने असल में रीमा की हत्या की है? क्या बॉबी केशव से बेइंतहा मोहब्बत करती है? तमाम सवालों के जवाब जजमेंटल है क्या के अंत में छुपे हुए हैं।
कंगना रनौट उसी किरदार में हैं, जिसमें दर्शकों ने कंगना रनौट को हमेशा स्वीकार किया है। राजकुमार राव केशव के किरदार में कुछ अलग और स्टाइलिश दिखे। संभवत: फिल्म निर्देशक प्रकाश कोवेलामुदी के लिए इन दोनों कलाकारों से काम निकलवाना मुश्किल नहीं रहा होगा।
दोनों कलाकारों के बेहतरीन अभिनय, बेहतरीन निर्देशन और जबरदस्त क्लाईमैक्स के बाद भी जजमेंटल है क्या दर्शकों को खुश करने में असफल रहती है क्योंकि फिल्म जजमेंटल है क्या का स्क्रीन प्ले बेशुमार खामियों से भरा हुआ है, जो कनिका ढिल्लों ने लिखा है और इस खूबसूरत फिल्म को बिगाड़ने की जो कसर कनिका ढिल्लों ने छोड़ी, उसको फिल्म संपादन के दौरान पूरा किया गया।
ऐसे लगता है कि जजमेंटल है क्या को बिना पटकथा के शूट किया गया है और अंत में जो शूटिंग शॉट्स एकत्र हुए, उनमें से कुछ शॉट्स को एकत्र करके जजमेंटल है क्या बना डाली।
चुटीले और हंसाने गुदगुदाने वाले संवाद हैं। कुछ समय तक बांधे रखने वाला अभिनय है। लेकिन, इसके बावजूद भी फिल्म में वो बात नहीं दिखती, जो दिखनी चाहिए थी। सरल और कम शब्दों में कहें तो जजमेंटल है क्या – थोड़ी सी हंसी, लंबी सी बोरियत।
: कुलवंत हैप्पी
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