Wednesday, November 6, 2024
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Movie Review। करसनदास पे एंड यूज : मोहल्‍ले वाली मनोरंजक लव स्‍टोरी

सिनेमा मनोरंजन का साधन है जैसी परिपाटी को गुजराती फिल्‍मकार कृष्‍णदेव याग्‍निक की फिल्‍में चरितार्थ करती हैं, चाहे छेल्‍लो दिवस हो या फिर करसनदास पे एंड यूज। फिल्‍म करसनदास पे एंड यूज देखते हुए कानों में पड़ने वाली ठाहकों व सीटियों की आवाज और तालियां की गड़गड़ाहट बताती है कि फिल्‍म करसनदास पे एंड यूज में भी कृष्‍णदेव याग्‍निक का काम दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है।

इस मनोरंजक लव स्टोरी की शुरूआत एक जज्‍बाती सीन के साथ होती है, जहां शास्‍त्री नगर के दरवाजे पर गुस्‍से से भरे जज्‍बाती कालू भा (जय भट्ट) अपनी ही बिरादरी के लोगों के खिलाफ बोल रहे हैं। और कालूभा के गुस्‍से का मूल कारण जानने के लिए कहानी कुछ महीने पीछे जाती है।

जहां फिल्‍मकार कहानी के नायक त्रिलोक (मयूर चौहान) को फ्रंट पर लेकर आते हैं और उसकी लाइफ में जया (दीक्षा जोशी), जो एक ऑटो ड्राइवर चीनू भा (चेतन दय्या) की बेटी, की एंट्री करवाते हैं।

त्रिलोक और जया एक दूसरे प्‍यार करने लगते हैं और यह बात चीनू भा को पसंद नहीं आती। चीनूभा त्रिलोक की हस्‍ती पर उंगली उठाता है और तैश में आकर त्रिलोक चीनूभा को अपनी ताकत दिखाने का चैलेंज करता है। चैलेंज क्‍या है? क्‍या त्रिलोक चैलेंज को पूरा कर पाता है? तमाम सवालों के जवाब फिल्‍म देखने पर मिलेंगे।

फिल्‍म का पहला सीन कालूभा का जज्‍बाती होना, दूसरा सीन त्रिलोक की जबरदस्‍त एंट्री और तीसरा सीन जया के परिवार का मजेदार ढंग से परिचय करवाना फिल्‍म की शुरूआत में ही पैसे वसूल करवा देता है। सुंदर का किरदार कहानी में रोचकता और उत्‍साह अंत तक बरकरार रखता है, जो हेमंग शाह ने निभाया है।

अभिनेता जय भट्ट और चेतन दय्या ने अपने अपने किरदारों को बड़ी संजीदगी के साथ निभाया है। दीक्षा जोशी और मयूर चौहान का अभिनय किरदारों की तरह असाधारण है। हेमंग शाह अपनी अदाकारी से प्रभावित करने में पूरी तरह सफल रहे हैं।

कृष्‍णदेव याग्निक ने छेल्‍लो दिवस की तरह करसनदास पे एंड यूज की कहानी को भी फ्लैशबैक के साथ उठाया है और एक मंझे हुए फिल्‍मकार की तरह फिल्‍म को एक पंक्‍तिया चुटीले संवादों व दिलचस्‍प घटनाओं के साथ शुरू से अंत तक मनोरंजक बनाकर रखा।

पिछली बार छेल्‍लो दिवस से कृष्‍णदेव ने गुजराती सिनेमा प्रेमियों को दिखाया था कि किस तरह एक कॉफी का कप किसी का ब्रेकअप करवा सकता है और इस बार करसनदास पे एंड यूज से कृष्‍णदेव ने साबित कर दिया कि एक टॉयलेट चलाने वाले युवक और एक झाड़ू पौचा करने वाली लड़की की प्रेम कहानी सिमरन और राज की प्रेम कहानी से अधिक रोचक और मजेदार हो सकती है।

कुल मिलाकर कहें तो असाधारण कहानी, उम्‍दा निर्देशन और शानदार अभिनय से सुशोभित फिल्‍म करसनदास पे एंड यूज चार स्‍टार की हकदार है।

– कुलवंत हैप्‍पी । Kulwant Happy

Kulwant Happy
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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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