Saturday, December 21, 2024
HomeLatest NewsMovie Review : विद्युत जामवाल और गुलशन दैवेया की कमांडो 3

Movie Review : विद्युत जामवाल और गुलशन दैवेया की कमांडो 3

एक्‍शन फिल्‍मों के लिए भारतीय सिनेमा के सबसे प्रिय विषयों में से एक है आतंकवाद और आदित्‍य दत्‍त की कमांडो 3 भी आतंकवाद को केंद्र में रखकर लिखी कहानी पर आधारित है।

कमांडो 3 की कहानी के नायक करणवीर सिंह ढोगरा को पता चलता है कि भारत पर बड़ा आतंकवादी हमला होने वाला है और जो इस हमले को करवाने वाला है, वो लंदन में है। ऐसे में भावना रेड्डी के साथ अंडरकवर एजेंट बनकर करण लंदन पहुंचता है और हमले के मास्‍टर माइंड को पकड़कर भारत ले आता है। इसके बीच जो कुछ भी होता है, उसको देखने के लिए कमांडो 3 देखनी होगी।

हॉलीवुड एक्‍शन फिल्‍मों की तरह कमांडो 3 भी इमोशन के लिए कोई जगह नहीं। इसका कोई भी सीन आपको इमोशनल नहीं करेगा। भावना रेड्डी के संवाद आपको ठहाके लगाने पर मजबूर करेंगे। फिल्‍म का कैमरा वर्क काफी शानदार है, जो एक्‍शन सीनों को देखने लायक बनाता है।

आदित्‍य दत्‍त का निर्देशन अच्‍छा है। फिल्‍म तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ती है, जो दर्शकों की जिज्ञासा और दिलचस्‍पी को बरकरार रखती है। लेकिन, फिल्‍म के अंत को पटकथा लेखक और निर्देशक ने बहुत ही हल्‍के में लिया है। तकनीक और लॉजिक के साथ चल रही सशक्‍त कहानी अचानक अंतिम पलों में तर्कहीन और सतही हो जाती है, जो कांटे की तरह चुभता है।

जहां मैगी बनने में भी कम से कम पांच मिनट लगते हैं। वहां कमांडो 3 की टीम छह मिनट में पूरी खोजबीन करके भारत के अलग अलग स्‍थानों पर होने वाले आतंकवादी हमले को रोक देती है।

इसके अलावा फिल्‍म के अन्‍य सीन भी कुछ अविश्‍वसनीय हैं, पर, दक्षिण भारतीय फिल्‍मों जितने नहीं हैं। इसलिए उनको स्‍वीकारा जा सकता है।

विद्युत जामवाल ने एक्‍शन सीनों जान डाल दी है। विद्युत जामवाल और अंगिरा धर एक एक एक्‍शन सीन अवाक कर देने वाला है। भावना रेड्डी के किरदार में अदा शर्मा की अदा निराली है। अंगिरा धर की खूबसूरती और अदाकारी दोनों की लुभावने हैं।

फिल्‍म की सबसे मजबूत कड़ी हैं गुलशन दैवेया। बुराक अंसारी का किरदार गुलशन दैवेया से बेहतर शायद ही कोई निभा पाए। चेहरे पर दर्दिंगी और आवाज में कठोरता दोनों का किलर कॉम्बिनेशन बुराक अंसारी के किरदार को एकदम घृणाजनक पात्र बना देता है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो अभिनय के मामले में गुलशन दैवेया सब पर भारी पड़े हैं।

कमांडो 3 में मुस्लिम और आतंकवादी में फर्क होता है को समझाने की कोशिश की गई है। कहानी पुरानी है, लेकिन, बस नजरिया थोड़ा सा नया है। फिल्‍म में गाने के लिए कोई जगह नहीं, जो अच्‍छी बात है।

यदि आप एक्‍शन फिल्‍मों के दीवाने हैं, तो यह फिल्‍म आपके लिए बेहतरीन एक्‍शन फिल्‍म है। यदि कुछ नया और हटकर देखने के आदी हैं, तो तौबा करना बेहतर होगा। यदि आप फिल्‍मी कीड़े हैं तो कमांडो 3 को एक दफा देख सकते हैं, विद्युत के एक्‍शन और गुलशन के अभिनय के लिए।

कुलवंत हैप्‍पी, संपादक FilmiKafe हिंदी

Kulwant Happy
Kulwant Happyhttps://filmikafe.com
कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments