अनीस शाह के निर्देशन में बनकर तैयार हुई प्रतीक गांधी और दीक्षा जोशी अभिनीत धुनकी जीवन में कुछ करने की धुन वाले दो युवाओं के इर्दगिर्द घूमती है, जो आईटी प्रोफेशन से संबंधित हैं। वैसे से फिल्म की कहानी धुनकी के ट्रेलर से साफ हो जाती है। लेकिन, ट्रेलर और फिल्म में जीवन आसमान का फर्क होता है क्योंकि कहानी ट्रेलर की तरह छोटी होती है जबकि पटकथा फिल्म की तरह लंबी।
अनीस शाह निर्देशित धुनकी की पटकथा सीधी और सरल है, लेकिन, निकुंज और श्रेया के जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव इसको रोचक और स्पर्शी बनाते हैं। धुनकी की कहानी को रीलस्टिक बनाने की बजाय रियलस्टिक बनाने की भरपूर कोशिश की गई है, जो इसके ड्रामेटिक एलीमेंट को खत्म कर देती है। इसके कारण फिल्म बोरिंग और थोड़ी सी लंबी लगने लगती है। दर्शकों में देखने को लेकर रोचकता और उनकी नजर को निरंतर पर्दे पर बनाए रखने में चूकती है। फिल्म धुनकी को बेहतरीन संपादन और थोड़े से रीलस्टिक ड्रामे की जरूरत थी।
फिल्म का अभिनय पहलू जबरदस्त है। हर कलाकार ने अपना शत प्रतिशत दिया है। प्रतीक गांधी ने हर बार की तरह बेहतरीन काम किया है। इसके अलावा लीड भूमिका निभा रही दीक्षा जोशी लबों से कम और आंखों से ज्यादा काम लेती नजर आई, जो बेहतरीन लगता है। दीक्षा के मंगेतर का रोल करने वाले विशाल का अभिनय भी सराहनीय है। प्रतीक गांधी की बीवी के किरदार में कौशम्बी भट्ट प्रभावित करती हैं। महाराज के किरदार में अंशु जोशी ध्यान खींचते हैं।
इसके अलावा फिल्म का गीत संगीत बेहतरीन है। गीतों में सुंदर शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ साथ सिनेमेटोग्राफी भी अद्भुत है।
प्रतीक गांधी और दीक्षा जोशी अभिनीत धुनकी एक औसत फिल्म है। लेकिन, उन दर्शकों के लिए प्रेरणादायक और बेहतरीन फिल्म है, जो मनोरंजन भरपूर फिल्मों से हटकर कुछ देखना चाहते हैं।
- गायत्री बादल जोशी, फिल्म क्रिटिक्स
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