मोहित सूरी की मलंग को समझने के लिए पहले मलंग का अर्थ समझ लेते हैं, वैसे तो साधारण भाषा में मलंग का अर्थ अपनी मस्ती में डूबे रहने वाला शख्स, जिसको दुनिया की कोई परवाह नहीं होती है, लेकिन, शब्दकोशों के हिसाब से स्वेच्छाचारी, आवारा, पर्यटक इत्यादि होता है।
देखा जाए तो मोहित सूरी की फिल्म मलंग का शीर्षक एकदम सही है, क्योंकि कहानी के दो मुख्य पात्र सारा और अद्वैत स्वेच्छाचारी, आवारा और पर्यटक हैं। दोनों की मुलाकात गोवा में होती है और रिश्तों से मुक्त रहने की सोच रखने वाले इन युवाओं को एक दूसरे से प्यार भी हो जाता है। दोनों ही आम युवाओं की तरह मौज मस्ती और सुकून भरी स्वतंत्र जिंदगी जीना चाहते हैं।
लेकिन, मलंग के स्क्रीनप्ले के अनुसार अद्वैत जेल में कुछ गुंडों से हाथपायी कर रहा है और इसके बाद जेल से रिहा होता है। रिहा होने के तत्काल बाद पुलिस अधिकारी अगाशे, जो एक एनकाउंटर को अंजाम दे रहा है, को फोन कॉल से चुनौती देकर एक स्पेशल सेल अधिकारी की हत्या करता है। पुलिस अधिकारी अगाशे और स्पेशल सेल टीम दोनों ही अद्वैत को पकड़ने में जुट जाते हैं। अद्वैत एक के बाद एक तीन हत्याएं करता है और अंत में ठीक चौथी हत्या से पहले खुद को पुलिस के हवाले कर देता है।
सारा और अद्वैत की कहानी फ्लैशबैक में चलती रहती है। फ्लैशबैक के माध्यम से मोहित सूरी अद्वैत के हत्यारा बनने के पीछे की वजह को दर्शकों के सामने लेकर आते हैं। सारा और अद्वैत के रिश्ते में एक प्रेम कहानी गढ़ने की कोशिश करते हैं।
सारा को क्या हुआ? अद्वैत हत्यारा क्यों बना? अद्वैत के निशाने पर पुलिस अधिकारी ही क्यों? यदि अद्वैत पुलिस हिरासत में है, तो चौथी हत्या किसने की? ऐसे तमाम सवालों के जवाब मोहित सूरी मलंग में असीम अरोड़ा की कहानी को बयान करके देते हैं।
मोहित सूरी का निर्देशन सधा हुआ तो बिलकुल नहीं है, क्योंकि निर्देशन जहाज का कैप्टन होता है, उसको फिल्म के हर पक्ष पर पैनी निगाह रखनी होती है। यहां पर स्टार कास्ट सबसे बड़ा झोल है या यूं भी कह सकते हैं कि मोहित सूरी ने कलाकारों को अपना शत प्रतिशत देने के लिए मजबूर नहीं किया।
आदित्य रॉय कपूर अद्वैत के किरदार के लिए अनफिट लगते हैं। दिशा पाटनी का सही इस्तेमाल नहीं हुआ क्योंकि सारा का किरदार काफी डल है। एली अबराम की आंखें, खूबसूरती प्रभावित करती है, जिसे किरदार अनुकूल कहा जा सकता है। अनिल कपूर का किरदार मनोरंजक है, यदि इस किरदार को निकाल दिया जाए, तो फिल्म मनोरंजन मुक्त हो जाएगी। कुणाल खेमु कुछ जगहों पर अपने किरदार पर पकड़ बनाए रखने में चूकते हैं, इसके बावजूद भी कुणाल खेमु का अभिनय प्रभावित करता है।
फिल्म की पटकथा, संपादन और संवादों पर काम करने की जरूरत महसूस होती है। फिल्म मलंग की कहानी काफी छोटी है, लेकिन, इसको 2 घंटे 15 मिनट की समय अवधि में डालने के लिए काफी खींचा गया है, जो कहानी की रूप रेखा बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा फिल्म मलंग का गीत संगीत ठीक ठाक सा है। कुछ एक्शन सीन बाकमाल हैं।
चलते चलते : मोहित सूरी के पास एक बेहतरीन लव स्टोरी विद क्राइम सस्पेंस थी, लेकिन, बनाने की विधि ने मजा किरकिरा कर दिया। मेरी ओर से फिल्म मलंग को 1.5 सितारा।