Friday, November 8, 2024
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Movie Review! करीब करीब सिंगल : दो अजनबियों की रोमांचक डेटिंग यर्नी है

एक पुरानी कहावत है कि बदलाव समय का निमय है। जैसे कि एक समय था, जब शादियां एक दूसरे को बिना देखे और जानें हो जाती थीं। फिर समय ने करवट ली तो शादी से पहले देख दिखाई का रिवाज शुरू हुआ। लेकिन, आधुनिक समय में डेटिंग का चलन है। एक दूसरे के साथ समय गुजारते हुए एक दूसरे को अच्छे से जानना।

बस इस चलन को तनुजा चंद्रा ने खूबसूरत मे​ल मिलाप यात्रा के रूप में करीब करीब सिंगल से बड़े पर्दे पर दिखाने की कोशिश की है। इस दिलचस्प कहानी को तनुजा चंद्रा की मां कामना चंद्रा ने लिखा जबकि फिल्म की पटकथा को गजल धालीवाल के साथ मिलकर तनुजा चंद्रा ने खुद लिखा है।

फिल्म करीब करीब सिंगल ऐसे दो लोगों के बारे में हैं, जो अपने जीवन को नये से सिरे से शुरू करना चाहते हैं। 33 वर्षीय जया, जो विधवा है, और योगी, जो शौक से कवि है, की मुलाकात डेटिंग वेबसाइट पर होती है।

घबरायी और सहमी हुई जया योगी के साथ एक कॉफी डेट पर जाने के लिए तैयार होती है। कॉफी शॉप पर इन दोनों की पहली मुलाकात एक नये रोचक सफर को जन्म देती है। सफर में जया योगी के साथ उसकी बहन बनकर जाने के लिए तैयार होती है। इस सफर में योगी की पुरानी तीन महिला मित्रों से मिलना होता है।

सफर के दौरान काफी रोचक घटनाएं होती हैं और अंत में जया योगी से अपने कॉलेज टाइम के बॉयफ्रेंड का जिक्र करती है, जो योगी की तीसरी गर्लफ्रेंड के शहर में ही रहता है। जया के इस खुलासे से योगी को जोर का झट्टका लगता है। योगी का बदला हुआ व्यवहार देखकर जया गुस्से से तिलमिला उठती है और रेस्टोरेंट में योगी को खूब भला बुरा कहती है।

क्या योगी और जया की प्रेम कहानी खूबसूरत मोड़ पर पहुंचेगी? या जया का पुराना बॉयफ्रेंड उसको अपना लेगा, जो अभी भी सिंगल है? के बारे में जानने के लिए आपको करीब करीब सिंगल देखनी होगी।

पार्वती, जो दक्षिण भारतीय अभिनेत्री हैं, की मुस्कराहट, नर्वस होने के हाव भाव और गुस्से में लाल हुआ चेहरा आंखों को पर्दे से हटने नहीं देता। इसमें कोई शक नहीं कि पार्वती ने अपने किरदार को बड़ी शिद्दत के साथ बड़े पर्दे पर जिया है।

हिंदी मीडियम वाले इरफान खान यहां पर भी गजब का अभिनय करते हुए नजर आए। हालांकि, इरफान खान यहां पर हिंदी मीडियम से ज्यादा प्रभावशील लगे, क्योंकि अभिनय में दक्ष इरफान को करीब करीब सिंगल में दमदार संवादों को सहारा भी मिल रहा है।

दुश्मन और संघर्ष बेहतरीन फिल्में देने वाली तनुजा चंद्रा ने अपने कलाकारों से बेहतरीन तरीके से काम लिया है। फिल्म का स्क्रीन प्ले भी सराहनीय है, जो अंत तक रोचकता बनाए रखता है। साथ ही, बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमेटोग्राफी काफी खूबसूरत है।

कुल मिलाकर कहा जाए तो करीब करीब सिंगल दो अजनबियों की रोमांचक डेटिंग यर्नी है, जो खुशनुमा पलों का एहसास करवाती है।

कुलवंत हैप्पी

Kulwant Happy
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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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