‘एक आदमी और उसके देश की कहानी’ इस टैगलाइन के साथ सलमान खान अभिनीत फिल्म भारत का प्रचार हुआ। अली अब्बास जफर की भारत केवल भारत की कहानी है।
भारत एक जवान बुड्ढा है, जो अविवाहित है। भारत की एक प्रेमिका भी है, जो उससे शर्त रहित प्रेम कहती है। भारत का एक दोस्त है, जो बचपन से बुढ़ापे तक उसके साथ रहता है।
जब भारत का बंटवारा हुआ था, तब भारत आठ साल का था। भारत की छोटी बहन और पिता मीरपुर रेलवे स्टेशन पर ही छूट जाते हैं जबकि भारत अपनी मां और अपने अन्य भाई बहनों के साथ दिल्ली सुरक्षित पहुंच जाता है।
पिता को दिए हुए वचन को पूरा करने के लिए भारत अपने परिवार का पेट पालने के वास्ते तरह तरह की नौकरियां करता है। इस कशमकश में भारत 8 से 70 साल का हो जाता है।
बचपन में अख़बार बेचता है, कारें साफ करता है। जवानी तक सर्कस में काम करता है। उसके बाद कुवैत में तेल के कूएं खोदने निकल पड़ता है। फिर रेलवे में भर्ती होने के लिए इम्तिहान देता है और पास हो जाता है। लेकिन, रेलवे की नौकरी ज्वॉइन करने का आइडिया छोड़ देता है। जल्दी से पैसा कमाने के लिए समुद्री जहाज पर नौकरी करने लगता है।
अंत भारत अपनी बुआ के हिंद राशन स्टोर को खरीद लेता है और यहां पर वलायती के साथ जून गुजारा करता है।
अली अब्बास जफर ने भारत की कहानी के साथ भारत देश की कहानी कहने की कोशिश की। किंतु, दोनों के साथ अली अब्बास जफर न्याय नहीं कर पाए। दोनों कहानियां बस दौड़ती हैं, और दौड़ती हुई चीजें कभी भी सड़क के किनारे खड़ी चीजों के साथ तालमेल नहीं बना पाती।
भारत पाक का बंटवारा अपने समय का सबसे खौफनाक मंजर था और निर्देशक केवल हल्की सी याद दिलाकर छोड़ देते हैं। भारत की कहानी के साथ देश में समय समय पर होने वाली कुछ विशेष घटनाओं को जोड़ते हैं, जिनके जिक्र की अवधि आंख का झपकना भर है।
भारत भारत का पहला लौंडा था, जिसको मां की ओर से लिव इन रिलेशनशिप की मंजूरी मिली थी। इसके बावजूद भी भारत और मैडमसर के बीच प्यार का फूल नहीं खिलता। दोनों ऐसे ही मिलते हैं, जैसे सामान्य दोस्त हों।
फिल्म की कहानी केवल भारत पाक के बिछड़े हुए लोगों के मिलन वाले सीनों पर दर्शकों के साथ तालमेल बिठाती है और उनको भावुक करती है।
मनोरंजन के लिए कॉमेडी सीन डाले गए हैं, जो फिल्म को मनोरंजक बनाए रखते हैं। अन्य संवादों को और बेहतरीन बनाया जा सकता था। पटकथा को कुछ कटों की जरूरत थी। सलमान और कैटरीना की युगलबंदी का फायदा उठाया जाना चाहिए था।
सलमान खान का अभिनय स्टाइल बरकरार है। कैटरीना कैफ ने सादगी और गंभीरता भरे किरदार को काफी गंभीरता से लिया है। सुनील ग्रोवर को अच्छा खासा फुटेज मिला है और सुनील ग्रोवर ने अपनी प्रतिभा का जमकर दोहन किया।
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन है। हालांकि, फिल्म केंद्र वाले किसी भी स्थान को फुटेज नहीं दिया गया। चाहे वो मीरपुर हो, दिल्ली हो, समुद्र हो या कुवैत हो।
भारत मिक्स वेज जैसी है अर्थात एक सुपरस्टार के साथ कुछ भी धकेला जा सकता था। भारत की कहानी में निर्देशक ने मनचाहा सब कुछ धकेला है, जो कहानी को बोझिल और अस्पर्शी बनाता है। फिल्म का गीत संगीत आज की युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, इसका फिल्म से कोई लेन देन नहीं है।
भारत का प्रचार धमाकेदार तरीके से हुआ है। और साथ ही सलमान खान एक सुपरस्टार की हैसियत रखते हैं। ऐसे में फिल्म शुरूआती दिनों में जबरदस्त बिजनस कर सकती है। लेकिन, यह उतनी बेहतरीन फिल्म भी नहीं है, जितनी उम्मीद फिल्म का प्रोमो और प्रचार देता है।
भारत एक औसत फिल्म है, जो देखी भी जा सकती है और इसको बिना देखे भी रहा जा सकता है।
: – कुलवंत हैप्पी
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