हैदराबाद। हम अक्सर सुनते हैं कि जिंदगी हर किसी को कभी न कभी एक खूबसूरत अवसर देती है और यह बात बाहुबली के खलनायक कालकेया उर्फ प्रभाकर पर एकदम सटीक बैठती है। हालांकि, इस विलेन की भाषा किसी भी सिने प्रेमी की समझ में नहीं आई थी। मगर, अभिनय ने सबका दिल जीत लिया था।
बाहुबली में कालकेया की भूमिका निभाने वाले फिल्म अभिनेता प्रभाकर रियल लाइफ में उतने डरावने तो बिलकुल नहीं हैं, जितने फिल्म बाहुबली में दिखाए गए। बाहुबली के कालकेया की तरह प्रभाकर के असल जीवन की कहानी भी बड़ी रोचक है।
जी हां, महबूबनगर के गांव कोडनगल का रहने वाले प्रभाकर क्रिकेट खेलने के शौकीन थे। मगर, क्रिकेट की दुनिया में प्रवेश नहीं मिल ना सका और नौकरी की तलाश में इंटरमीडिएट करने के बाद प्रभाकर हैदराबाद आ गए।
अच्छी कद काठी के प्रभाकर को उसके एक रिश्तेदार ने रेलवे पुलिस में भर्ती करवाने का भरोसा दिया। मगर, छह साल बीतने के बाद भी कोई बात न बन सकी।
फिर अचानक एक दिन रोजगार की तलाश में प्रभाकर अपने दोस्त के साथ एसएस राजामौली की फिल्म मगधीरा में दिखाई जाने वाली भीड़ का हिस्सा बनने के लिए उनके चयन स्थल पर पहुंचे।
फिल्म की शूटिंग पूरी होते ही प्रभाकर फिर से नौकरी की तलाश में जुट गए और अचानक फिर एक दिन एसएस राजामौली के कार्यालय से प्रभाकर को फोन आया क्योंकि राजामौली प्रभाकर से प्रभावित थे और वह अपनी अगली फिल्म मर्यादा रामन्ना में प्रभाकर को कास्ट करना चाहते थे।
एक दैनिक को दिए इंटरव्यू के अनुसार जब प्रभाकर एसएस राजामौली से मिलने पहुंचे तो प्रभाकर ने स्पष्ट कर दिया कि उनको अभिनय नहीं आता है। इस बात पर एसएस राजामौली ने प्रभाकर को अभिनय सीखने के लिए देवदास कणकला के पास भेज दिया, और 10 हजार रुपये खर्च के तौर पर प्रति महीना देना शुरू किया। इसके अलावा प्रभाकर को फिल्म में काम करने के लिए अलग से मेहनताना दिया और उसी पैसे की मदद से प्रभाकर ने अपने सारे कर्ज उतार दिए।
इसके बाद तो प्रभाकर की निकल पड़ी और अब तक 40 से अधिक तेलुगू फिल्मों में काम कर चुके हैं। एक इंटरव्यू के दौरान प्रभाकर ने एसएस राजामौली के इस एहसान को नया जीवन देने के बराबर कहा। इतना ही नहीं, प्रभाकर के दो बच्चे हैं, जिनमें से एक का नाम फिल्मकार एसएस राजामौली से प्रेरित होकर श्रीराम राजामौली रखा है।
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