ममता कुलकर्णी: ग्लैमर से सन्यास तक का सफर

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90 दशक की मशहूर एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में सन्यास लिया और अब बनीं ‘श्री यामाई ममता नंदगिरी महामंडलेश्वर’। किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त कर अब वे सनातन धर्म का प्रचार करेंगी।

Mamta Kulkarni Sanyas

ममता कुलकर्णी: ग्लैमर से सन्यास तक का सफर

90 के दशक की मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, जिन्होंने अपने अभिनय और ग्लैमरस छवि से दर्शकों का दिल जीता, अब आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ चुकी हैं। उन्होंने दुनिया की मोह-माया छोड़कर ‘श्री यामाई ममता नंद गिरी’ के रूप में सन्यास ग्रहण कर लिया है। कुलकर्णी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1992 में आई फिल्म तिरंगा से की थी। 1993 में, उन्होंने आशिक आवारा में मुख्य भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड फॉर लक्ज़ न्यू फेस ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने कई लोकप्रिय फिल्मों में काम किया, जिनमें वक्त हमारा है (1993), क्रांतिवीर (1994), करण अर्जुन (1995), सबसे बड़ा खिलाड़ी (1995) और बाज़ी (1995) शामिल हैं।

महाकुंभ में लिया सन्यास
ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में सन्यास लिया। उन्होंने संगम में पवित्र स्नान कर ‘पिंड दान’ किया और अखाड़े में विधिवत पट्टाभिषेक (संन्यास दीक्षा) प्राप्त की।

23 वर्षों की तपस्या
ममता ने बताया कि उन्होंने सन्यास लेने का निर्णय 23 साल पहले ही ले लिया था और तब से वे आध्यात्मिक साधना में लगी हुई थीं। इस दौरान उन्होंने अपने गुरु श्री चैतन्य गगन गिरी से दीक्षा ली थी।

महामंडलेश्वर की उपाधि
सन्यास लेने के बाद ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की उपाधि भी प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि इस उपाधि के लिए उन्हें कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ा, जिसमें उनकी तपस्या और साधना को परखा गया।

बॉलीवुड को अलविदा
ममता ने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी कठिनाई के कारण नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सुख के लिए फिल्मी दुनिया से दूरी बनाई। उन्होंने कहा कि अब वे संन्यास के माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार करेंगी।

ग्लैमर और चकाचौंध भरी दुनिया से सन्यास तक का यह सफर ममता कुलकर्णी के जीवन का एक बड़ा परिवर्तन है, जो आध्यात्मिकता की गहराइयों में जाने की उनकी इच्छा को दर्शाता है।

– PR