मुंबई। तनुज भ्रामर की फिल्म ‘डियर डैड’ से एक बार फिर बॉलीवुड में वापसी करने जा रहे दक्षिण भारतीय फिल्म जगत के दिग्गज अभिनेता अरविंद स्वामी का कहना है कि वह काफी एकांतप्रिय व्यक्ति हैं और शोहरत से उन्हें घुटन होती है। उन्होंने मणिरत्नम की 1992 में आई फिल्म ‘रोजा’ से बॉलीवुड में कदम रखा था।
अरविंद की फिल्म ‘डियर डैड’ 14 साल के शिवम और उसके 45 वर्षीय पिता नितिन स्वामीनाथन के बीच के खट्टे-मीठे रिश्ते की कहानी है। स्वामी ने आईएएनएस को बताया, “मैंने 20 वर्ष की उम्र में काम शुरू किया था। मुझे नहीं पता था कि स्टार होने का क्या मतलब होता है। स्टारडम और शोहरत से मुझे एक तरह से घुटन होती थी।”
अरविंद ने कहा, “मैं काफी एकांतप्रिय व्यक्ति हूं। चकाचौंध और शोहरत से दबाव महसूस हुआ। मैं कुछ समय के लिए इससे बाहर होना चाहता था। इससे बाहर होकर मैं अपनी पसंद की सारी चीजें करना चाहता था।”
दक्षिण भारतीय फिल्म जगत में लंबे समय तक राज करने वाले प्रतिभाशाली अभिनेता का कहना है, “मैं एक स्टार नहीं, बल्कि एक अभिनेता बने रहना चाहता था। इसीलिए मैं इस सबसे अलग हो गया। अब मैं पीछे मुड़कर देख सकता हूं और इसका विश्लेषण कर सकता हूं। आज मुझे लगता है कि मैं इससे (शोहरत) बेहतर तरीके से निपट सकता हूं। उन दिनों मैं युवा था और इसे ठीक से संभाल नहीं सका।”
स्वामी ने यह भी कहा कि प्रशंसकों को सितारों को देखकर दीवाना नहीं हो जाना चाहिए। कलाकार फिल्मों में काम करते हैं। लोगों के मनोरंजन के लिए फिल्में बनाते हैं। लोगों को फिल्म का मजा लेना चाहिए, सितारों का दीवाना नहीं हो जाना चाहिए।
दो बेटों के पिता अरविंद स्वामी का कहना है कि परवरिश सबसे मुश्किल काम है। अपनी फिल्म ‘डियर डैड’ के बारे में अरविंद ने कहा, “हम इस फिल्म को अधिक भावुक नहीं बनाना चाहते थे। यह जटिल परिस्थितियों को दर्शाती एक सहज-सामान्य फिल्म है।” आईएएनएस