अभिनेता अक्षय कुमार और करीना कपूर अभिनीत कमबख्त इश्क के साथ निर्देशन पारी शुरू करने वाले सब्बीर खान की यंग एक्टर टाइगर श्रॉफ के साथ हीरोपंती और बागी के बाद ‘मुन्ना माइकल’ तीसरी फिल्म है। फिल्म मुन्ना माइकल में टाइगर श्रॉफ के अलवा निधि अग्रवाल, रोनित रॉय, पंकज त्रिपाठी और नवाजुद्दीन सिद्दिकी भी अहम किरदार में हैं।
फिल्म मुन्ना माइकल की कहानी माइकल से शुरू होती है, जो डांसर है। एक दिन माइकल को बढ़ती उम्र के कारण डांस नंबर से निकाल दिया जाता है। माइकल शराब के नशे में धुत मुम्बई की सड़कों पर डगमगाते हुए चल रहा है और अचानक, उसके कान में एक नवजात बच्चे के रोने की आवाज पड़ती है। माइकल इस लावारिस नवजात बच्चे को लेकर अपनी चॉल में चला जाता है और इसका नाम मुन्ना रख देता है।
कहानी तेजी से आगे बढ़ती है, और मुन्ना अब बड़ा हो चुका है। नाइट क्लब में डांस करके पैसे कमाता है। लेकिन, मुन्ना गैंग की हरकतों के कारण मुम्बई के नाइट क्लबों के दरवाजे मुन्ना के लिए बंद हो जाते हैं। मुन्ना रोजगार के लिए मुम्बई शहर से नयी दिल्ली पहुंचता है। यहां पर मुन्ना का पंगा महेंद्र फौजी के भाई बल्ली से पड़ जाता है। महेंद्र फौजी, जो दिल्ली का नामी गुंडा है और होटल मालक है, मुन्ना को उठवा लेता है।
लेकिन, मुन्ना का डांस देखकर महेंद्र फौजी उसको डांस टीचर बनने का ऑफर देता है। दोनों में दोस्ती भाई के रिश्ते तक पहुंचती है। एक दिन महेंद्र फौजी अपने डांस सीखने की वजह मुन्ना से शेयर करता है। मुन्ना महेंद्र फौजी के लिए डांस गर्ल डॉली को पटाने की कोशिश करता है। लेकिन, डॉली को महेंद्र की जगह मुन्ना से ही प्यार हो जाता है। इसके बाद मुन्ना और महेंद्र में ठन जाती है। अंत में महेंद्र डॉली उर्फ दीपिका शर्मा को ऑफर देखकर और मुन्ना को धमकी देखकर निकल लेता है।
फिल्म मुन्ना माइकल की शुरूआत काफी बेहतरीन तरीके से होती है। लेकिन, कुछ मिनटों के बाद कहानी रोचकता खो देती है। नयी दिल्ली में बल्ली और मुन्ना की फाइट को देखकर लगता है कि कहानी ट्रैक पर आएगी, लेकिन, महेंद्र फौजी का मुन्ना को ऑफर देना उम्मीद का गला घोंट देता है।
फिल्म निर्देशक सब्बीर खान ने फिल्म मुन्ना माइकल बनाते हुए केवल टाइगर श्रॉफ के एक्शन और डांस स्किल को भुनाने की कोशिश की है। महेंद्र फौजी के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दिकी जैसे मंझे हुए कलाकार की प्रतिभा का पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ। इसके अलावा पंकज त्रिपाठी बल्ली के किरदार में फिट बैठते हैं। माइकल बने रोनित रॉय का काम भी ठीक ठाक है। नवोदित अभिनेत्री निधि अग्रवाल की खूबसूरती और कुछ सीनों में अभिनय कला प्रभावित करती है।
कहानी में रोचकता न होने के कारण कहानी काफी लंबी और बोरिंग लगती है। फिल्म में चमक धमक की कोई कमी नहीं, लेकिन, फिल्म संपादन चुस्ती के साथ नहीं किया गया। संगीत औसत दर्जे का है, जबकि डांस, एक्शन और सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छी है। सुस्ती कहानी के चलते फिल्म मुन्ना माइकल को दो घंटे 29 मिनट भी झेलना काफी मुश्किल हो जाता है।
-कुलवंत हैप्पी