Thursday, November 21, 2024
HomeCine Specialसाढ़े तीन सौ की नौकरी को छोड़ करोड़ों में खेलने लगे शाम...

साढ़े तीन सौ की नौकरी को छोड़ करोड़ों में खेलने लगे शाम कौशल

होशियारपुर के सरकारी कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में एमए करने के बाद एम फिल न कर पाने और नौकरी न मिलने के कारण कुंठा से भर चुके मेधावी छात्र शाम कौशल को उनके पिता ने उसके एक दोस्‍त के साथ मुम्‍बई टहलने भेज दिया, ताकि हवा पानी बदल सके।

Sham Kaushal
Sham Kaushal with Actor Vicky Kaushal

मुम्‍बई पहुंचने के बाद शाम कौशल का नौकरी करने का मन हुआ, ताकि पिता की आर्थिक मदद की जा सके, जो गांव में छोटी सी करियाने की दुकान चलाते थे। शाम कौशल उनके नवी मुम्‍बई रहने वाले दूर के अंकल ने एक नलसाजी से संबंधित शॉप ब्रिकी प्रतिनिधि की नौकरी दिला दी।

इस नौकरी में शाम कौशल को साढ़े तीन सौ रुपए मिलते थे, जो जीवन गुजारे के लिए नाकाफी थे। मुम्‍बई में दिन गुजारने के लिए शाम कौशल ने दुकान के सेवादार से सेटिंग कर दुकान के भीतर ही सोना शुरू कर दिया।

इस नौकरी के साथ शाम कौशल ने कुछ समय जैसे तैसे गुजार लिया। और एक दिन शाम कौशल ने आगे पीछे की सोचे बिना नौकरी छोड़ने का मन बना और अपना बोरी बिस्‍तर लेकर शांतक्रूज के एक पीजी में पहुंच गए।

इस पीजी में पहले से दस पंजाबी लड़के रहते थे, जो स्‍टंटमैन का काम करते थे। कुछ दिनों बाद देखा देखी शाम कौशल ने भी स्‍टंटमैनी करने का मन बनाया। दिलचस्‍प बात तो यह थी कि शाम कौशल ने कभी शारीरिक कसरत तक न की थी।

शाम कौशल ने बतौर स्‍टंटमैन लगभग 10 साल तक काम किया। शाम कौशल को एक्‍शन डायरेक्‍टर के तौर पर जो पहली फिल्‍म मिली, वो मलयालम थी, जिसमें मोहन लाल ने काम किया था।

दिलचस्‍प बात तो यह है कि शाम कौशल की पढ़ाई इस चांस के दौरान बहुत काम आई क्‍योंकि मुम्‍बई में शूटिंग करने आए मलयालम फिल्‍म की टीम को इंग्लिश बोलने वाला एक्‍शन डायरेक्‍टर चाहिए था, ताकि तालमेल अच्‍छे से बैठ सके, और शाम कौशल की इंग्लिश तो लाजवाब थी।

मोहनलाल अभिनीत इंद्राजालम के बाद शाम कौशल के हाथ नाना पाटेकर की बेहतरीन फिल्‍मों में शुमार प्रहार लगी, जिसने शाम कौशल को पहचान दिलाई और नवोदित एक्‍शन डायरेक्‍टर का पुरस्‍कार भी।

चार दशक लंबे करियर में शाम कौशल ने बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड और भारत के क्षेत्रीय सिनेमाओं में भी अपने एक्‍शन हुनर का जादू बिखेरा है।

आधा दर्जन के करीब फिल्‍मफेयर पुरस्‍कारों से नवाजे जा चुके शाम कौशल ने लगातार साल 2015, साल 2016 और साल 2017 में क्रमश: गुंडे, बाजीराव मस्‍तानी और दंगल के लिए फिल्‍मफेयर पुरस्‍कार जीते हैं। दो दर्जन के करीब पुरस्‍कार शाम कौशल की झोली में पड़ चुके हैं।

गौरलतब है कि शाम कौशल ने 8 अगस्‍त 1980 को स्‍टंटमैन बनने का निर्णय लिया था और चार दशक बाद शाम कौशल का नाम बॉलीवुड के जाने माने एक्‍शन निर्देशकों में शुमार हो चुका है।

स्‍टंटमैन और एक्‍शन डायरेक्‍टर के तौर पर चार दशक का शानदार सफर तय करने वाले शाम कौशल ने अपने शुरूआती दिन को याद करते हुए शनिवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक धन्‍यवादी पोस्‍ट लिखा।

Kulwant Happy
Kulwant Happyhttps://filmikafe.com
कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments