Friday, November 22, 2024
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दिलीप कुमार द एक्सीडेंटल एक्टर : बिजनेस जमाने निकले, और अभिनेता बनकर लौटे

बेहद सुंदर होने और मुम्बई में रहने के बावजूद भी दिलीप कुमार ने बचपन में या जवानी में अभिनेता बनने का ख़्वाब तक नहीं देखा था। दिलीप कुमार ने फिल्म जगत में कदम रखने से पहले तक केवल एक दस्तावेजी फिल्म देखी थी, जो युद्ध पर आधारित थी। असल में, दिलीप कुमार अपने फल कारोबारी पिता की तरह कारोबार की दुनिया में ही कदम रखना चाहते थे। लेकिन, नियति को कुछ और ही मंजूर था।

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अभिनेता दिलीप कुमार के जीवन पर लिखी किताब दिलीप कुमार : द सबस्टेंस एंड द शैडो के मुताबिक युसूफ खान, जो दिलीप कुमार का असली नाम है, एक सुबह चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर खड़े सेंट्रल मुम्बई को जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। सेंट्रल मुम्बई में दिलीप कुमार किसी व्यक्ति से मिलने वाले थे, जो उसको छावनी में लकड़ी की खटिया सप्लाई करने का काम दिलाने वाला था।

लेकिन, रेलवे स्टेशन पर दिलीप कुमार की निगाह डॉ.मसानी पर पड़ती है, जो एक दफा विलसन कॉलेज में लेक्चर देने आए थे और दिलीप कुमार इस कॉलेज में एक साल पढ़े थे। दिलीप कुमार ने डॉ. मसानी के पास जाकर अपना परिचय दिया। लेकिन, डॉ.मसानी दिलीप कुमार के बारे में पहले से ही अच्छी तरह जानते थे, उनके परिवार के कारण।

जब बातों बातों में डॉ. मसानी को पता चला कि दिलीप कुमार काम की तलाश में दादर जा रहे हैं, तो डॉ. मसानी ने दिलीप कुमार को उनके साथ बॉम्बे टॉकीज उनके साथ चलने के लिए कहा। दिलीप कुमार को डॉ. मसानी का आइडिया पसंद आया क्योंकि बॉम्बे टॉकीज में नौकरी मिलने की संभावनाएं अधिक थी।

दिलीप कुमार ने दादर जाने का विचार ठंडे बस्ते में डालते हुए डॉ.मसानी के साथ बॉम्बे टॉकीज में जाने का मन बनाया। दिलीप कुमार के पास केवल बांद्रा तक की टिकट थी और मलाद, जहां बॉम्बे टॉकीज था, बांद्रा से लगभग 18 किलोमीटर आगे था। टिकट निरीक्षक डॉ. मसानी को पहचानता था, इसलिए दिलीप कुमार को आगे का सफर करने में भी दिक्कत नहीं हुई। हालांकि, उनको एक्सटेंशन चिट लेनी पड़ी।

दिलीप कुमार ने उस दिन से पहले कभी भी अपने जीवन में फिल्म स्टूडियो नहीं देखा था और नाहीं कभी फोटो। हालांकि, दिलीप कुमार ने राज कपूर से बॉम्बे टॉकीज के बारे में सुन रखा था, क्योंकि राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर स्टूडियो में फिल्मों की शूटिंग करते थे।

बॉम्बे टॉकीज की मालिकन और अभिनेत्री देविका से डॉ. मसानी के साथ दिलीप कुमार मिले। देविका दिलीप कुमार से काफी प्रभावित हुईं। देविका ने दिलीप कुमार को बॉम्बे टॉकीज में काम करने के बदले में 1250 रुपये महीना देने का वादा किया, जो अविश्वसनीय था क्योंकि उस समय राज कपूर को भी केवल 170 रुपये महीना मिलता था।

दिलीप कुमार ने अपने मेहनताने के बारे में घर जाकर बात की। परिवार सदस्यों को भी यकीन नहीं हुआ और परिवार ने कहा कि यह मासिक नहीं, वार्षिक होगा। उलझन में पड़े दिलीप कुमार ने डॉ. मसानी के मार्फत मेहनताना दूसरी बार कंफर्म करवाया, जो मासिक ही था।

जब देविका रानी ने दिलीप कुमार को अभिनेता बनने का आॅफर दिया तो दिलीप कुमार ने कहा, ‘उनके पास फिल्म जगत के बारे में कोई अनुभव नहीं है।’ देविका रानी ने दिलीप कुमार से पूछा कि तुम्हारे पास फल बेचने का अनुभव कितना है? तो दिलीप कुमार ने कहा, अनुभव नहीं है, फिलहाल, तो सीख रहा हूं।

देविका ने दिलीप कुमार का जवाब सुनने के बाद कहा, ‘मुझे पढ़ा लिखा सुंदर दिखने वाला युवक चाहिए, जो सीखने में दिलचस्पी रखता हो, तुम भी फिल्म जगत की बारीकियां सीख लो।’

दिलीप कुमार ने अपनी नयी यात्रा शुक्रवार के दिन 1942 में शुरू की। दिलीप कुमार को अशोक कुमार की सुपरहिट फिल्म किस्मत के बाद लॉन्च करने की तैयारियां शुरू हो चुकी थीं। दिलीप कुमार को फिल्म ज्वारा भाटा के लिए साइन किया गया। दिलीप कुमार ने अभिनेता बनने का सफर अपने पिता को जानकारी दिए बिना शुरू किया।

युसूफ खान को दिलीप कुमार देविका रानी ने ही बनाया। जब दिलीप कुमार को लॉन्च करने की तैयारी चल रही थी, तो देविका रानी ​दिलीप कुमार के लिए अच्छा सा नाम खोज रही थीं, जो पर्दे पर रोमांटिक अभिनेता के अनुकूल हो। देविका रानी को दिलीप कुमार नाम सबसे अच्छा लगा।

देविका ने इस बारे में दिलीप कुमार उर्फ युसूफ खान को जानकारी दी। कुछ समय सोच विचार करने के बाद युसूफ खान दिलीप कुमार बनने के लिए तैयार हुआ और साथ में फैसला लिया कि वह अपना नया नाम किसी को नहीं बताएंगे।

बता दें कि दिलीप कुमार की पहली फिल्म ज्वार भाटा 1944 में रिलीज हुई, लेकिन, दिलीप कुमार को असली पहचान जुगनू से मिली। दिलीप कुमार को अभिनेता अशोक कुमार का पूरा सहयोग मिला। इतना ही नहीं, बॉम्बे टॉकीज में उस समय राज कपूर भी सक्रिय थे और दिलीप कुमार को बॉम्बे टॉकीज में देखकर राज कपूर हैरान रह गए थे।

95 साल के हो चुके अभिनेता दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 में पेशावर में हुआ था। अभिनेता दिलीप कुमार ने सायरा बानो से 1966 में शादी की थी।

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