मुम्बई। गूगल सर्च इंजन ने हिन्दी संगीत की मशहूर शख्सियत आरडी बर्मन के 77वें जन्मदिवस पर डूडल बनाया है। 27 जून, 1939 को कोलकाता में जन्मे आर.डी. बर्मन का 4 जनवरी 1994 में निधन हो गया। वह उस वक्त 54 साल के थे, लेकिन संगीत जगत को दी उनकी सौगात से संगीत प्रेमियों की सभी पीढ़ियों को आज भी प्रेरणा मिल रही है।
प्रसिद्ध संगीतकार आर.डी. बर्मन उर्फ पंचमदा को इस नश्वर जगत से कूच किए दो दशक से अधिक समय बीत गए, लेकिन उनकी सुरमय विरासत आज भी जिंदा है।
‘आर.डी. बर्मानिया-पंचमेमॉयर्स’ किताब लिखने वाले चर्चित फिल्म पत्रकार चैतन्य पादुकोण का कहना है कि पंचमदा लोगों की नब्ज पहचनने वाले एक ‘अत्याधुनिक गुणवान’ व्यक्ति थे।
चैतन्य ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत आर.डी. बर्मन का साक्षात्कार लेकर की और वह कहते हैं कि उनके निधन के 22 साल बाद भी लोग उनके संगीत के दीवाने हैं।
दादासाहेब फाल्के एवं एकेडमी पुरस्कार विजेता चैतन्य ने आईएएनएस को बताया, “उनके निधन के 22 साल बाद भी उनकी याद में अब भी कई संगीत कार्यक्रम हो रहे हैं और उसमें से अधिकांश को लोगों ने हाथों हाथ लिया है। लोग उनके संगीत एवं उनकी मशहूर धुनों के दीवाने हैं।”
उन्होंने कहा, “वह एक अत्याधुनिक गुणवान व्यक्ति थे, जो जान जाते थे कि क्या लोकप्रिय होगा। यह चीज उनमें नैसर्गिक थी। वह संगीत निर्माता या निर्देशक के समक्ष चार से पांच विकल्प रखते थे। अगर निर्माता को संगीत की समझ नहीं होती थी, तो स्थिति उलट हो जाती थी। उसी वक्त वह एक बेहतर धुन सुझाते थे।”
चैतन्य ने कहा कि पंचमदा बहुत ही ‘विनम्र व आडंबरहीन’ थे। यह भी बताया कि आर.डी.बर्मन को मिर्ची खाने का शौक था और वह अपने नर्सरी गार्डन में अलग-अलग तरह की मिर्ची उगाते थे।
उन्होंने झट से कहा, “उन्हें बहुत तीखा खाना पसंद था, जो वह हमें भी खिलाते थे।”
‘यादों की बारात’ और ‘तुम बिन जाऊं कहां’ सरीखे सदाबहार गाने देने वाले पंचमदा ने लता मंगेशकर, किशोर कुमार और आशा भोसले जैसे दिग्गज गायक-गायिकाओं के गानों में संगीत दिया।
-आईएएनएस