असली बैंक लुटेरी ‘सिमरन’ गुजराती नहीं, पंजाबी कुड़ी संदीप कौर थी, यहां पढ़ें पूरी दास्तां

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कंगना रनौट की फिल्म सिमरन रिलीज हो चुकी है। फिल्म का निर्देशन हंसल मेहता ने किया है। इस फिल्म में कंगना रनौट ने एक गुजराती एनआरआई लड़की की भूमिका अदा की है। लेकिन, दिलचस्प बात तो यह है कि सिमरन की कहानी जिस लड़की से प्रेरित है, वो असल में पंजाबी लड़की संदीप कौर है, जो 2014 में अमेरिकी पुलिस के हत्थे चढ़ी थी। संदीप कौर की कहानी काफी दिलचस्प और नाटकीय है।

संदीप कौर का जन्म पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में 11 नवंबर 1989 में हुआ था। सात साल की उम्र में संदीप कौर अपनी मां और भाई के साथ अमेरिका में रह रहे पिता के पास पहुंची। संदीप कौर के पिता सैन जोस, कैलेफोर्निया में रहते थे। 2001 में 9/11 के हमले के बाद संदीप कौर और उसके भाई को स्कूल में आतंकवादी बुलाया जाने लगा। उनको स्कूल से सस्पेंड कर दिया गया और उनको ईस्टर्न हिमालयास में बोर्डिंग स्कूल भेज दिय गया।

जब वापिस अमेरिका पहुंची, तो संदीप कौर के माता पिता ने उसके मोबाइल फोन्स रखने, टेलीविजन देखने, बच्चों से दोस्ती करने से रोक लगा दी। जब संदीप कौर की मां बीमार हुई, तब संदीप कौर 14 साल की थी। इस दौरान संदीप कौर को नर्स बनने का ख्याल आया और 19 साल की उम्र में पेशेवर नर्स के रूप में लाइसेंस मिला।

संदीप कौर प्रति महीने 6000 डाॅलर कमाने लगी। जब अमेरिका आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था। उस समय संदीप कौर ने स्टाॅक मार्केट में निवेश करके लगभग 20000 डाॅलर बनाए। अब संदीप कौर अपनी जिंदगी जीना चाहती थी, अपने तरीके से या कहें आम काॅलेज के लड़के लड़कियों की तरह।

इस दौरान संदीप कौर अपनी अस्पताल वाली ड्रेस के नीचे पार्टीवियर कपड़े पहनने लगी। एक तरीके से संदीप कौर दोहरी जिंदगी जी रही थी और 20 साल की उम्र में संदीप कौर ने घर छोड़ा। संदीप कौर बैचुलर साइंस इन नर्सिंग में करने के लिए सैक्रामेंटो में शिफ्ट हो गई। 21वें जन्मदिवस पर, 2010 में, संदीप कौर की जिंदगी में टर्निंग प्वाइंट आया, यह उम्र अमेरिका में कानूनी तौर पर शराब पीने के लिए तय की गई है।

संदीप कौर ने अपनी बहनों के साथ घरवालों को झूठ बोलकर मजेदार पार्टी जश्न मनाने की योजना बनाई। इसके बाद संदीप कौर ने जुआ खेलना शुरू किया और जुए की शुरूआत में ही संदीप कौर ने 4000 डाॅलर जीत लिए। इसके बाद संदीप कौर को जुए की लत लग गई और संदीप कौर हर महीने लाॅस वेगाॅस जुआ खेलने के लिए आने लगी। लेकिन, अब संदीप कौर का पैसा खत्म होने लगा था। उसकी सारी बचत जुए में खत्म हो चुकी थी और उसने उधार ले लेकर भी जुआ खेलना शुरू कर दिया। संदीप कौर नौकरी छोड़ चुकी थी।

अब बढ़ते हुए कर्ज को चुकाने के लिए संदीप कौर ने 96 घंटों तक काम करना शुरू कर दिया और अपनी मां को लेकर यूनियन सिटी शिफ्ट हो गई, नये पते पर, नयी जिंदगी जीने के लिए। लेकिन, 2012 में संदीप कौर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ कि उसने कैसिनो का उधार नहीं चुकता किया। इस वारंट ने संदीप कौर की मां को चकित कर दिया।

इसके बाद संदीप कौर की शादी कर दी गई। हालांकि, संदीप कौर शादी करना चाहती नहीं थी। संदीप कौर का पति उसको 1000 डाॅलर प्रति महीने खर्च भत्ता देने लगा। सितंबर 2013 में संदीप कौर की शादी हुई और जनवरी 2014 में संदीप कौर के कर्ज बढ़ने लगे, लोन वापसी न होने के कारण चीजें बैक खींची जाने लगी। अब पति भी समझ चुका था संदीप कौर की हालत। उसने भी अब आर्थिक मदद देना बंद कर दिया था।

इसके बाद संदीप कौर के सामने करो या मरो वाली स्थिति थी। परिवार को भी धमकियां मिलने लगी। कर्जे वाले लोग संदीप कौर को कहने लगे, जहां से भी लाओ पैसे लाओ, चाहे बैंक लूटो, चाहे कोई और काम करो। इसके बाद संदीप कौर की मुश्किल और बढ़ने लगी। संदीप कौर को जेल से जमानत पर छूटने के लिए भी पैसों का इंतजार करना पड़ा।

ऐसे में संदीप कौर के पास एक ही रास्ता था। बैंक लूटो। अब एक नयी मुसीबत वाले रास्ते पर संदीप कौर चल पड़ी। 8 जुलाई 2014 को संदीप कौर ने नरवेदा स्टेट से लगभग 58 किलोमीटर दूर द लेक हैवसु सिटी ब्रांच आॅफ वेल्स फार्गो लूटी। संदीप कौर बैंक में पहुंची और मैनेजर से कहा, उसके पर्स में बम्ब है, और वो 100000 डाॅलर दें। बैंक मैनेजर ने उसकी कार में अपने पास की सारी पूंजी रख दी। जब संदीप कौर ने बाद में लूट के माल को गिना तो केवल 2000 डाॅलर निकले, जिसने संदीप कौर का दिमाग खराब कर दिया।

बस यहां से शुरू हुई संदीप कौर की बैंक डकैती वाली कहानी। संदीप कौर ने दो हफ्तों में तीन बैंक लूटे और चौथी कोश्शि में पकड़ी गई।

दिलचस्प बात तो यह है कि संदीप कौर ने बैंक लूटने के लिए किसी भी हथियार या दूसरे किसी व्यक्ति की मदद नहीं ली। तीन डकैतियों में संदीप कौर ने लगभग 32000 डाॅलर ही लूटे। संदीप कौर पुलिस के लिए सिरदर्द बन गई थी क्योंकि अब तक पुलिस ने पुरुषों को बैंक लूटते हुए देखा था, संदीप कौर पहला केस था, जो महिला होकर ऐसा कर रही थी।

31 जुलाई 2014 को संदीप कौर ने बैंक लूटने की कोशिश की और गेम ओवर हो गया। अदालत ने संदीप कौर को बैंक लूट का सारा पैसा लुटाने का आदेश दिया और 66 महीने की सजा दी।

हालांकि, कहा जा रहा था कि संदीप कौर को 20 साल की सजा हो सकती है। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।