बॉलीवुड अभिनेता और राजनेता विनोद खन्ना 6 अक्टूबर 2016 को 69 वर्ष के हो गए। अपने समय के मशहूर सितारे विनोद खन्ना यदि फिल्मी कैरियर के दौरान पांच साल का ब्रेक न लेते तो शायद आज बॉलीवुड के सुपर स्टार या बॉलीवुड के सिकंदर कहलाते।
अभिनेता विनोद खन्ना ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने बड़े पर्दे पर विलेन के रूप में कदम रखा। लेकिन, उनके रूप रंग और अभिनय के कारण निर्माता निर्देशकों को विनोद खन्ना में नायक नजर आने लगा। विनोद खन्ना ने मन का मीत से बॉलीवुड में प्रवेश किया। इस फिल्म को सुनील दत्त के भाई ने बनाया था और विनोद खन्ना विलेन के रूप में थे। लेकिन, इस फिल्म के रिलीज होने के बाद विनोद खन्ना को साइन करने के लिए निर्माता निर्देशक पागल हो गए थे।
शर्मिले स्वभाव के विनोद खन्ना का जन्म पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ। लेकिन, बंटवारे के बाद खन्ना का परिवार मुम्बई में शिफ्ट हो गया। पाकिस्तान से संबंध रखने वाले विनोद खन्ना ने एक पाकिस्तानी फिल्म गॉडफादर में मुख्य भूमिका निभाई, जो 2007 में रिलीज हुई।
हैंडसम एक्टर विनोद खन्ना एक बिजनस परिवार से संबंध रखते हैं। इसलिए परिवार चाहता था कि विनोद खन्ना अपने पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ाएं। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि जब विनोद खन्ना ने सुनील दत्त की तरफ से मिलने ऑफर संबंधी अपने पिता को बताया तो उनके पिता ने केवल उनको डांटा ही नहीं, बल्कि उन पर बंदूक तानकर कहा कि ‘अगर तुम फिल्मों में गए तो तुम्हें गोली मार दूंगा।’ लेकिन, विनोद खन्ना की मां ने एक शर्त के साथ विनोद खन्ना को बॉलीवुड में प्रवेश की आज्ञा दे दी। शर्त यह थी कि यदि फिल्म लाइन में दो साल के अंदर सफल नहीं हुए तो व्यवसाय संभालना होगा।
अभिनेता विनोद खन्ना ने पहली हिट फिल्म के बाद निरंतर विलेन और सहायक अभिनेता की भूमिकाएं स्वीकार करना शुरू कर दिया। लेकिन, गुलजार की मेरे अपने से विनोद खन्ना लीड रोल में नायक के रूप में नजर आए। यह फिल्म छात्र राजनीति पर आधारित थी। इस फिल्म में अभिनेत्री मीना कुमारी और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा भी थे।
विनोद खन्ना ऐसे सितारे थे, जो किसी भी बड़े सितारे के साथ आने बावजूद फिल्म में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लेते थे। विनोद खन्ना ने बतौर सहायक अभिनेता या विलेन राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन जैसे सितारों के साथ काम किया। लेकिन, विनोद खन्ना का किरदार और अभिनय इतना दमदार होता था कि किसी को आभास तक नहीं होता था कि विनोद खन्ना लीड रोल में नहीं हैं। अमिताभ बच्चन के साथ विनोद खन्ना ने उस समय काम किया, जब अमिताभ बच्चन लोकप्रियता शिखर पर थे। लेकिन, विनोद खन्ना ने अमिताभ बच्चन की फिल्मों में ही अमिताभ बच्चन को जबरदस्त टक्कर दी।
अचानक विनोद खन्ना ने अपने शीर्ष पर फिल्मी दुनिया से विराम ले लिया और ओशो के अनुयायी बन गए। कहा जाता है कि विनोद खन्ना अपनी मां की मृत्यु से काफी अपसेट हो गए थे। उस दौरान उनको आचार्य रजनीश (ओशो) से मिले और विनोद खन्ना फिल्मी दुनिया छोड़कर अमेरिका जाकर ओशो के आश्रम में रहने लगे। आश्रम में विनोद खन्ना को विनोद भारती के नाम से पुकारा जाता था। विनोद खन्ना अपनी स्टारडम को भूलकर आम अनुयायियों की तरह काम करते थे।
इस दौरान विनोद खन्ना का वैवाहिक जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया। अंत विनोद खन्ना ने अपनी पत्नी गीतांजलि से तलाक ले लिया। इस रिश्ते से विनोद खन्ना के दो बेटे राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना हैं। पांच साल के ब्रेक के बाद विनोद खन्ना बॉलीवुड में वापस लौट आए। हालांकि, बॉलीवुड अभिनेता विनोद खन्ना की दूसरी पारी उतनी जबरदस्त न थी, जितनी कि पहली। इस दौरान विनोद खन्ना ने दूसरी बार कविता के साथ वैवाहिक जीवन की शुरूआत की। विनोद खन्ना के इस संबंध से भी दो बच्चे हुए, एक लड़का और एक लड़की।
अभिनय, संयास के बाद विनोद खन्ना ने राजनीति में कदम रखा। राजनीति में विनोद खन्ना का कैरियर अन्य अभिनेता से राजनेता बने सितारों से कहीं ज्यादा सफल रहा। विनोद खन्ना पंजाब के गुरदासपुर से भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ते हैं। विनोद खन्ना 1997 में पहली बार भाजपा सांसद बने और अब भी गुरदासपुर सीट से भाजपा सांसद हैं।
विनोद खन्ना ने अपने फिल्मी कैरियर में 141 फिल्मों में काम किया और स्मृति ईरानी निर्मित धारावाहिक मेरे अपने में विनोद खन्ना ने काशीनाथ की भूमिका निभाई।