पद्मावती की रिलीज पर रोक तो नहीं लगी, पर, सुप्रीम कोर्ट से बयानबाजों को फटकार जरूर पड़ी

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मुम्बई। देश की सर्वोच्च अदालत ने विवादों में घिरी फिल्म पद्मावती की रिलीज को विदेशों में रोकने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी। यह याचिका गुरूवार को अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की ओर से की ओर दायर की गई थी।

इस मामले की सुनवाई वाली मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने मंगलवार को याचिका यह कहते हुए निरस्त कर दी कि अदालत पूर्वानुमान के आधार पर फिल्म के खिलाफ कोई आदेश नहीं देगी।

याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने इसी याचिका में अदालत से अनुरोध किया था कि अदालत सीबीआई को निर्देशक संजय लीला भंसाली और अन्य लोगों के खिलाफ मानहानि तथा सिनेमैटोग्राफी कानून के उल्लंघन का केस दर्ज करने का निर्देश दे।

फिल्म निर्माताओं की ओर से वरिष्‍ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत को भरोसा दिलाया कि स्थानीय केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की तरफ से प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना फिल्म पद्मवती को ​विदेशों में रिलीज नहीं किया जाएगा, क्योंकि ऐसा करने से निर्माताओं का ही नुकसान होगा।

फिल्म पद्मावती को लेकर दिए जा रहे तमाम बयानों पर कड़ा नोटिस लेते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा, ‘मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों अन्य सार्वजनिक कार्यालयों में बैठे जिम्मेदार लोगों को फिल्म पद्मावती के रिलीज होने से पहले किसी भी तरह की टीका टिप्पणी करने से गुरेज करना चाहिये। इससे केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का फैसला प्रभावित हो सकता है।’

अदालत ने आगे कहा, ‘जब सीबीएफसी के पास मामला विचाराधीन हो तो जिम्मेदार व्यक्तियों को कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि सीबीएफसी विधान के तहत काम करता है और कोई उसे नहीं बता सकता कि काम किस तरह करना चाहिये। अदालत को उम्मीद है कि संबंधित लोग कानून का पालन करेंगे।’

उल्लेखनीय है कि फिल्म पद्मावती की रिलीज तिथि स्थगित होने के बाद गुजरात, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश ने फिल्म पद्मावती की रिलीज पर रोक लगाने का एलान किया था।