नई दिल्ली। फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ देखने के बाद फिल्मकार विक्रम भट्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की आलोचना करते हुए फेसबुक पर अपने विचार साझा किए।
विक्रम भट्ट ने लिखा, “हमारी फिल्मों के साथ पागलखाने के मरीजों जैसा बर्ताव किया जाता है, जहां सभी मरीजों को शॉक थेरेपी दी जाती है।”
फिल्म में भाषा को लेकर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की आपत्तियों को लेकर बोर्ड की आलोचना करते हुए भट्ट ने लिखा, “सीबीएफसी फिल्म के किसी भी किरदार से नहीं मिला। फिल्म में कोई असभ्य भाषा नहीं है। यह केवल वही भाषा है जिसका लोग इस्तेमाल करते हैं।”
भट्ट ने कहा, “फिल्म में डॉक्टर ने अपशब्द नहीं कहे, लेकिन रॉकस्टार टॉमी ने कहे। उन दोनों में यही फर्क है। क्या सीबीएफसी चाहता था कि वे दोनों एक जैसे दिखें? वे चाहते थे कि एक नशेड़ी और एक डॉक्टर एक जैसी भाषा बोलें? सचमुच?”
उन्होंने लिखा, ” ‘उड़ता पंजाब’ नशे की समस्या को उजागर करना चाहती थी, लेकिन उसने काफी और चीजों का खुलासा कर दिया है। इसने हमारी संस्कृति के ठेकेदारों की यह देखने की नाकाबिलियत का खुलासा कर दिया है कि हर प्रकार के लोग मौजूद हैं और दर्शकों के तौर पर हमें उन्हें जानने का अधिकार है।”
-आईएएनएस