Home Cine Special सरकारों की शून्‍यता की देन सोनू सूद का महानायक अवतार

सरकारों की शून्‍यता की देन सोनू सूद का महानायक अवतार

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सरकारों की शून्‍यता की देन सोनू सूद का महानायक अवतार

कोरोना विश्‍वव्‍यापी महामारी को ढाल बनाकर जनता कर्फ्यू के कुछ दिन बाद ही भारतीय जनता को अनिश्चित काल और गैर नियोजित लॉकडाउन की भट्ठी में झोंक दिया गया। यकायक फरमान जारी करने के लिए मशहूर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के कारण भारतीय जनता ने लॉकडाउन के फरमान को खिले माथे स्‍वीकार किया।

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लेकिन, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्‍य सरकारों और न्‍यू इंडिया लवर्स (जिनके पास जीवन जीने की मूलभूत जरूरतों के अलावा थोड़ा सा सुख सुविधा का बंदोबस्‍त है और जो नरेंद्र मोदी के चत्‍मकारी अवतार से प्रभावित हैं।)ने उस वर्ग को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया, जो हर रोज कमाकर खाता है, जिसके पास दो वक्‍त की रोटी तक का इंतजाम तक नहीं है।

हालांकि, ऐसे लोगों तक रसद पहुंचाने की जिम्‍मेदारी समाज सेवी संठगनों और सरकारों ने उठाई, लेकिन, हर बार की तरह रसद पहुंचाने का दायरा सीमित ही रहा। ऐसे में भी मजदूर वर्ग दूसरे लॉकडाउन के अंत तक राहत भरी सुबह होने का इंतजार करता रहा। लेकिन, सरकार, मीडिया और प्रशासन ने उसकी सुध तक नहीं ली।

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गांव कनेक्‍शन की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि ‘मजदूरों पर किये गए एक टेलिफोनिक सर्वे में सामने आया है कि 42.3 प्रतिशत मजदूरों के पास अब एक भी दिन का राशन नहीं बचा है और उनके सामने भुखमरी जैसे हालात हैं।’ जो 10 अप्रैल 2020 को प्रकाशित हुई।

लेकिन, मजदूर दिवस के बाद भी जब 3 मई 2020 को मजदूरों का दर्द किसी ने नहीं सुना तो ऐसे में मजदूरों ने अपने घरों की तरफ पैदल ही कूच करना बेहतर समझा। देखते ही देखते भारतीय रेल पटरियां और हाइवे मजदूरों से भर गए।

मगर, न्‍यू इंडिया लवर्स की निगाह में मजदूर शौक से घर जा रहे थे। जैसे इनको समझ ही नहीं कि लॉकडाउन कितना महत्‍वपूर्ण है। लेकिन, न्‍यू इंडिया लवर्स ने खुद से सवाल नहीं पूछा कि क्‍या वो अपनी कुछ सुविधाएं त्‍याग कर इन मजदूरों के लिए कुछ कर सकते हैं या नहीं? न्‍यू इंडिया लवर्स से सरकार से नहीं पूछा कि विदेशों से लोगों लाने और अन्‍य राज्‍यों से गृह राज्‍यों में विद्यार्थियों को पहुंचाने की योजना क्‍यों बना रही है? जबकि वो स्‍थानीय मजदूरों को लेकर कुछ नहीं कर रही। लेकिन, ऐसा सवाल करना देशद्रोह कहला सकता है।

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सरकारों की शून्‍यता के कारण मजदूरों ने मई महीने के दूसरे सप्‍ताह में अपने घरों की ओर सक्रियता के साथ कूच करना शुरू कर दिया। इस बीच मजदूरों की मुलाकात सोनू सूद की टीम से होती है, जो उनको भोजन मुहैया करवाने के लिए मुम्‍बई में सक्रिय थी। प्रवासी मजदूरों की तकलीफों, बेबसियों ने सोनू सूद को इस समय खाने से ज्‍यादा जरूरी घर जाने की व्‍यवस्‍था करने पर मजबूर किया।

सोनू सूद ने तो छोटी सी कोशिश की थी, जो मुम्‍बई से कर्नाटक तक की थी। लेकिन, देखते ही देखते सोनू सूद के पास मजदूरों की लंबी फेहरिस्‍त आना शुरू हो गई। सोनू सूद को तो अंदाजा भी नहीं था कि उसकी छोटी सी पहल उसको नायक से मजदूरों का महानायक बना देगी।

हम सब जानते हैं कि पूरे देश में लॉकडाउन के दौरान समाज सेवी संस्‍थानों ने भूखे प्‍यासे बैठे लोगों तक रसद पहुंचने का कार्य किया। लेकिन, 3 मई 2020 के बाद मजदूरों की घर वापसी के दौरान जो अनचाही, रूह को झिंझोड़ देने वाली ख़बरें सामने आई, और उस पर सरकार की बेरुखी, चुप्‍पी और शून्‍यता ने मजदूरों के प्रति हमदर्दी रखने वाले समाज को पूरी तरह झिंझोड़कर रख दिया।
ऐसे में मुम्‍बई से सोनू सूद निकलकर सामने आए, जो मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने की जिम्‍मेदारी अपने कंधों पर लिए नजर आए, जो जिम्‍मेदारी सोनू सूद ने अपने कंधों पर उठाई, दरअसल, वो जिम्‍मेदारी राज्‍य सरकारों को उठानी चाहिए थी।

मगर, अफसोस कि प्रियंका गांधी वाड्रा उत्‍तर प्रदेश सरकार को प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए बस सहायता देने की बात करती हैं तो राज्‍य के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और उनका पूरा तंत्र बाल की खाल उतारने में व्‍यस्‍त हो जाता है। रेलवे मंत्रालय की ओर से चलाई जाने वाली स्‍पेशल मजदूर ट्रेनों से संबंधित नियमों को लेकर अस्‍पष्‍टता सामने आती है, जिसका हर्जाना भी प्रवासी मजदूरों को पुलिस की लाठियां खाकर भरना पड़ता है। पिछले कुछ दिनों में 40 से ज्‍यादा स्‍पेशल ट्रेनें अपनें रास्‍तों से भटक गईं, जिसके कारण भूख से तड़पते हुए कुछ मजदूरों ने ट्रेनों में दम तोड़ दिया। लेकिन, इसी बीच सोनू सूद की बसें बिना किसी दिक्‍कत के मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने में सफल हुई।

सोनू सूद के सराहनीय पहल की चर्चा सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैली, तो सरकार के सुर में सुर मिलाने वाले दिल्‍ली के मीडिया हाउसों को भी सोनू सूद की ख़बर को पहल के आधार पर दिखाना पड़ा। ऐसे में सोनू सूद का महानायक बनना तय था।

इस घटनाक्रम ने सोनू सूद की लोकप्रियता को सात में आसमान पर पहुंचा दिया। ऐसे में सोनू सूद की लोकप्रियता को भुनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां सक्रिय होंगी। लेकिन, सोनू सूद को राजनीतिक पार्टियों से दूरी बनाए रखने की जरूरत रहेगी। ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि यहां नेता मजबूरी में साइकिल चलाकर घर पहुंची ज्‍योति पासवान की लोकप्रियता को भुनाने से भी पीछे नहीं हटे।

फोटो स्रोत : सोनू सूद ट्विटर अकाउंट