Friday, November 22, 2024
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इत्तेफाक : बेहतरीन और पैसा वसूल क्राइम सस्पेंस थ्रिलर फिल्म

यशराज चोपड़ा निर्देशित फिल्म इत्तेफाक की रीमेक इत्तेफाक, जिसका निर्देशन बीआर चोपड़ा के पोते अभय चोपड़ा ने किया है, रिलीज हो चुकी है।

पुरानी इत्तेफाक की तरह यह फिल्म भी डबल मर्डर रहस्य पर आधारित है। विक्रम सेठी, जो एक उपन्यासकार है, की पत्नी कैथरीन का मर्डर हो जाता है। इस मर्डर के लिए पुलिस विक्रम सेठी को प्रथम नजर में दोषी मानते हुए पुलिस थाने चलने को कहती है।

लेकिन, विक्रम सेठी पुलिस को चकमा देकर भाग निकलता है। विक्रम सेठी एक वकील के घर में दाखिल होता है, जहां पुलिस विक्रम सेठी को वकील की हत्या के आरोप में गिरफ्तार करती है।

वकील की पत्नी माया सिन्हा से भी पूछताछ की जाने लगती है, जब विक्रम सेठी पुलिस के सामने कहानी बयान करता है। माया सिन्हा और विक्रम सेठी के बयान में केवल अंतर इतना होता है कि दोनों अपने आप को निर्दोष कहते हैं।

माया सिन्हा और विक्रम सेठी के बयान को सुनने के बाद पुलिस अधिकारी देव वर्मा दुविधा में फंस जाता है क्योंकि उसको समझ नहीं आता कि वकील की हत्या किसी ने की है। क्या देव वर्मा खूनी तक पहुंच पाएगा? इस सवाल का जवाब ​फिल्म इत्तेफाक देखने पर मिलेगा।

अभय चोपड़ा, जो नवोदित फिल्मकार हैं, ने बेहतरीन तरीके से इत्तेफाक का निर्देशन किया है। फिल्म का स्क्रीन प्ले बड़ी खूबसूरती से लिखा गया है। यहां पर पुरानी इत्तेफाक को कॉपी करने की जल्दबाजी नहीं की गई, जो अच्छी बात है।

फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक बहुत शानदार है, जो फिल्म के माहौल के अनुकूल है। अक्षय खन्ना पुलिस अधिकारी की भूमिका में बेहतरीन लग रहे हैं। सोनाक्षी सिन्हा और सिद्धार्थ मल्होत्रा दोनों ही अपने अपने किरदारों के साथ न्याय करते हुए नजर आए। मंदिरा बेदी का कैमियो भी शानदार है। अन्य सह कलाकारों की मौजूदगी से भी फिल्म उठती है।

यदि आप ने राजेश खन्ना और नंदा अभिनीत फिल्म इत्तेफाक देखी है तो घबराइए मत क्योंकि यह फिल्म उस इत्तेफाक से हटकर है। दर्शकों को सिनेमा हाल से बाहर निकलकर सस्पेंस को पचाए रखने के लिए फिल्म में एक संवाद भी डाला गया है, जिसमें मंदिरा बेदी कहती हैं कि जब हम गुप्त देखने गए थे, तो तुमने मुझको पहले ही बता दिया था कि कत्ल काजोल ने ही किया है, लेकिन मैं तुम को नहीं बताउंगी कि उपन्यास के नायक की मौत….!

यदि आप इत्तेफाक देखने जा रहे हो तो ध्यान रखना, जब लगे फ़िल्म खत्म, तब सीट जोर से पकड़ लेना, वरना सीढ़ियों में खड़कर देखनी पड़ेगी।

कुल मिलाकर कहा जाए तो यह एक बेहतरीन और पैसा वसूल क्राइम सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है।

Kulwant Happy
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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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