गुजराती फिल्मकार चार लड़कों वाली स्टोरी लाइन से हटकर फिल्म बनाने का रिस्क लेने लगे हैं। इस फेहरिस्त में आती है, हाल ही में अमेजॉन पर रिलीज हुई धुम्मस। धुम्मस एक क्राइम सस्पेंस थ्रीलर ड्रामा है, जो धीमी आंच पर पक रहे पकवान की तरह अंत तक आते आते पूरी तरह आस पास के वातावरण को सुगंधित कर देती है।
धुम्मस में सारे घटनाक्रम राजेश खन्ना की बेहतरीन फिल्म इत्तेफाक की तरह एक ही घर में घटित होते हैं, हालांकि इत्तेफाक और धुम्मस में कोई समानता नहीं, सिवाय इसके कि यह क्राइम सस्पेंस थ्रिलर है।
धुम्मस की कहानी एक ऐसी शादीशुदा युवा स्त्री नियति के इर्दगिर्द घूमती है, जो आत्महत्या करने के संबंध में सोच विचार कर रही है और उसे अचानक आभास होता है कि घर में उसके अलावा भी कोई है। इस आभास के कारण उसके हाथ से एक विष की शीशी गिर जाती है और टूट जाती है।
अपने आभास का पीछा करते हुए नियति अपने हाथ में पिस्टल लिए घर का कोना कोना देखने लगती है। वो उस अजनबी व्यक्ति को खोज ही लेती है, जो कुछ समय पहले चोरी करने के मकसद से घर में घुसा आया था।
दोनों में हाथापाई होती है, इस हाथापाई में चोर सूरज घायल एवं बेहोश हो जाता है। चोर होश में आते ही घर से भाग निकलने के तरीके खोजने लगता है। लेकिन, नियति चाहती है कि जाने से पहले चोर उसको मौत की नींद सुला दे। चोर ऐसा करने से मना करता है।
एक के बाद एक ऐसे घटनाक्रम बनते हैं कि न तो नियति की हत्या हो पाती है और नाहीं सूरज घर से बाहर निकल पाता है। कुछ समय बाद दोनों एक दूसरे के दर्द से परिचित हो जाते हैं। सूरज, नियति को घर से भगाकर किसी सुरक्षित जगह पर लेकर जाने के लिए योजना बनाता है। इतने में घर के बाहर खड़ा सुरक्षा गार्ड घर के भीतर आ धमकता है और घटनावश चोर सूरज के हाथों उसकी हत्या हो जाती है, इसके बाद कहानी और रोमांचक हो जाती है।
गोली चलने की आवाज की शिकायत पर पुलिस घर की तलाशी लेने पहुंच जाती है। पुलिस को चमका देने के लिए चोर और नियति लाश को घर के गुप्त कमरे में छिपा देते हैं, साथ ही, चोर भी कहीं चोर जगह में छिप जाता है। जब पुलिस को घर का चप्पा चप्पा छानने पर भी घर में से कुछ नहीं मिलता, तो पुलिस से ज्यादा चोर और नियति चौंक पड़ते हैं।
उनको लगता है कि इस घर में उन दोनों के अलावा भी कोई तीसरा है? इस घर में तीसरा व्यक्ति कौन है? यह जानने के लिए धुम्मस देखिए।
कर्तव्य शाह निर्देशित धुम्मस एक अप्रत्याशित सस्पेंस थ्रीलर ड्रामा है, जो शुरू से अंत तक रोमांच बनाए रखती है। फिल्म की पटकथा काफी जबरदस्त है और अभिनय भी। फिल्म की पटकथा को इस तरह बुना गया है कि अंत तक सस्पेंस बरकरार रहे। शुरूआती सीनों में और अंतिम सीन में किंजल राजप्रिया के गेटअप में काफी अंतर है, जो कहानी की मांग अनुसार शानदार है।
किंजल राजप्रिया की अदाकारी प्रभावजनक है। दमे के मरीज चोर सूरज का किरदार जयेश मोरे ने शानदार तरीके से अदा किया है। किंजल राजप्रिया और जायेश मोरे की युगलबंदी देखने लायक है। इसके अलावा ओजस रावल ने भी अपने किरदार, नियति का पति आकाश, को बड़ी संजीदगी से अदा किया है। अन्य कलाकार जैसे कि चेतन दैया, आकाश झाला, हालांकि इनकी भूमिकाएं छोटी हैं, अभी उपस्थिति दर्ज करवाने में सफल रहे।
भावेश उपाध्याय, केयूर शाह और विवेक शाह के बैनर तले निर्मित फिल्म धुम्मस देखने लायक फिल्म है। इसलिए भी देखनी चाहिए कि गुजराती सिनेमा के फिल्मकार कुछ अलग करने की कोशिश कर रहे हैं।