शाहिद कपूर अभिनीत हैदर के तीन साल बाद फिल्मकार विशाल भारद्वाज फिल्म रंगून के साथ सिल्वर स्क्रीन पर लौटे हैं। ऐसे में सिने दर्शकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित निर्देशक की फिल्म रंगून से काफी उम्मीदें बंध जाती हैं। अब सवाल है कि क्या विशाल भारद्वाज निर्देशित फिल्म रंगून उम्मीदों पर खरी उतरती है या नहीं?
रंगून की कहानी
फिल्म की कहानी फिल्म कलाकार जूलिया के इर्दगिर्द घूमती है, जो रूसी की प्रोडक्शन कंपनी में काम करती है। जूलिया और रूसी में नजदीकी संबंध हैं, हालांकि, यह संबंध केवल एहसान की भावना से जन्य हैं। इस दौरान जूलिया की जिंदगी में नवाब मालिक का आगमन होता है, जिससे जूलिया को सच प्यार हो जाता है। युद्ध की पृष्ठभूमि पर रची इस प्रेम कथा में काफी दिलचस्प उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे। लेकिन, उसके लिए फिल्म देखनी होगी।
रंगून का निर्देशन
फिल्मकार विशाल भारद्वाज के बेहतरीन निर्देशन के बावजूद भी आपको फिल्म रंगून में कसावट की थोड़ी सी कमी महसूस होगी। हालांकि, फिल्म रिलीज होने से ठीक पहले निर्माता निर्देशक ने फिल्म में काफी कांट छांट की है ताकि इसकी लंबाई को कम किया जाए। अच्छी बात तो यह है कि निर्देशक विशाल मध्यांतर के बाद फिल्म को संभालने में कामयाब हो जाते हैं।
रंगून का अभिनय
अभिनय की बात करें तो जूलिया के किरदार में कंगना रनौट, नवाब मालिक के किरदार में शाहिद कपूर और रूसी के किरदार में सैफ अली खान ने अपने अपने अभिनय कौशल से जान फूंक दी है। हालांकि, फिल्म में कंगना रनौट और शाहिद कपूर का अभिनय सैफ अली खान के अभिनय पर भारी पड़ता है।
रंगून के अन्य पक्ष
फिल्म का संगीत पक्ष भी काफी अच्छा है, जो फिल्म को संभालने में कामयाब रहता है। फिल्म के कुछ संवाद बेहद शानदार हैं, विशेषकर अंग्रेजों के बहाने किए गए तंज। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी भी उम्दा की है, जो आंखों को सुकून देती है।
अंतिम फैसला
फिल्म रंगून देखने के बाद और तथ्यों का ध्यान में रखते हुए हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि फिल्म रंगून दर्शकों का मनोरंजन करने में सक्षम है। हमारी तरफ से फिल्म रंगून को पांच में से तीन अंक दिए जाते हैं।