मुम्बई से बाहर एक सबअर्बन इलाका डोंबिवली। डोंबिवली में एक नवविवाहित युगल रहने के लिए आता है, चॉकलेटी हीरो सा लड़का और उसकी खूबसूरत गर्भवती पत्नी। बड़ी नर्वसनेस के साथ एक अच्छे अपार्टमेंट सोसायटी में प्रवेश करते हैं। क्योंकि ठीक पास में जनता नगर है, जो दबे कुचले और मजदूर लोगों की बस्ती है।
चॉकलेटी हीरो से दिखने वाले लड़के सुधीर जोशी की नौकरी स्थानीय बोतलबंद पीने का पानी बनाने वाली फैक्ट्री में लगती है। सुधीर जैसे ही फैक्ट्री पहुंचता है, तो उसको फैक्ट्री के बाहर कुछ लोग विश्वास, जो बस्ती का स्वयंभू नेता है, की अगवाई में रोष प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं। शहरी क्षेत्र में पढ़ा लिखा सुधीर यह सब देखकर घबरा जाता है। अचानक विश्वास के दाहिने हाथ में अजीब सी शक्ति आ जाती है और वो गार्ड को ऊपर उठा लेता है।
कहानी आगे बढ़ती है, रात के समय, सुधीर की पत्नी सीमा जोशी, जो गर्भवती है, बड़े शरारत भरे मूड में सुधीर से चना जोर गर्म लाने की रिक्वेस्ट करती है। पत्नी की शरारत भरी रिक्वेस्ट के आगे सुधीर पिघल जाता है और चना जोर गर्म लेने के लिए एक क्लब में पहुंचता है। वहां पर उसका सामना फिर से विश्वास के साथ होता है। इस बीच सुधीर पर एक व्यक्ति हमला करता है, जो बुरी तरह घायल, और बिलकुल ज़ोंबी सा दिखता है।
पर, सुधीर इसको विश्वास की चाल समझता है, और विश्वास के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करवाता है। विश्वास को पुलिस पकड़ कर लॉकअप में डाल देती है और इसके बाद डोंबिवली में कुछ अजीब सी घटनाएं होने लगती हैं। हर तरफ ज़ोंबी ही ज़ोंबी नजर आने लगते हैं।
आलम कुछ ऐसा हो जाता है कि डोंबिवली का इलाका ज़ोंबीवली में बदल जाता है। सीमा जोशी, सुधीर जोशी, विश्वास और अन्य कुछ लोग सब कहीं न कहीं फंस जाते हैं, और अपनी जान बचाते बचाते सभी एक जगह एकत्र होते हैं। इस बीच कुछ रहस्य खुलते हैं, जो डोंबिवली के ज़ोंबीवली बनने के पीछे के कारण को उजागर करते हैं।
डोंबिवली को ज़ोंबियों से मुक्त करने के लिए सभी मिलकर प्रयास करने लगते हैं। क्या डरे सहमे हुए लोग ज़ोंबियों से डोंबिवली को मुक्त करवा पाएंगे ? जानने के लिए झोंबिवली देखिए।
मराठी फिल्म झोंबिवली का निर्देशन आदित्य सरपोतदार ने किया है, जो द शोले गर्ल का निर्देशन कर चुके हैं। फिल्म का निर्देशन काबिलेतारीफ है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आदित्य सरपोतदार ने कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है। फिल्म का कैमरा वर्क भी शानदार है। कॉमेडी सीनों का सही उपयोग किया गया है।
सुधीर जोशी के किरदार में अमेय वाघ का अभिनय बेहतरीन है। रितेश देशमुख के हमशकल का भ्रम पैदा करने वाले अमेय वाघ सुधीर के किरदार के लिए एकदम परफेक्ट चॉइस लगते हैं। सीमा जोशी का किरदार काफी चुलबुला है, इस किरदार को निभाते हुए वैदेही परशुरामी आंखों के रास्ते दिल में उतरती हैं। स्वयंभू नेता विश्वास के किरदार में ललित प्रभाकर में खूब जंचते हैं। मालती के किरदार में तृप्ति खामकर का अभिनय भी शानदार है। झोंबिवली के अन्य कलाकारों ने भी बेहतरीन काम किया है।
इस फिल्म का सबसे बेहतरीन कॉमेडी और सिच्युएशनल सीन लगता है, जब सुधीर अस्पताल में सीमा को एहसास दिलाता है कि उसको ज़ोंबियों ने काट लिया है, और वो जल्द ही ज़ोंबी बन जाएगा। इसके अलावा अन्य बहुत सीन हैं, जब आप बैठे बैठे अचानक ही मुस्करा देंगे। इसके लिए फिल्म लेखक और फिल्म संपादक की तारीफ करना बनता है।
झोंबिवली एक शानदार ज़ोंबी कॉमेडी फिल्म है, जो मूड फ्रेश करने के लिए देखनी चाहिए।