ख़बर है कि बॉलीवुड जोशीले अभिनेता रणवीर सिंह अपनी अगली फिल्म ‘बेफिक्रे’ में न्यूड नजर आने वाले हैं।
दरअसल, इस फिल्म का निर्देशन आदित्य चोपड़ा कर रहे हैं, जिन्होंने रब ने बना दी जोड़ी के बाद से किसी अन्य फिल्म का निर्देशन नहीं किया।
इस फिल्म में वाणी कपूर और रणवीर सिंह ने जमकर किस सीन दिए हैं। अब ख़बर है कि रणवीर सिंह कहानी की मांग की आड़ लेकर फिल्म में नंगे नजर आ सकते हैं।
ऐसा करने वाले रणवीर सिंह पहले अभिनेता नहीं हैं, इससे पहले भी कई अभिनेता नंगे नजर आ चुके हैं। जी हां, बॉलीवुड के बादशाह ख़ान ने केतन मेहता निर्देशित माया मेमसाब (1993) में दीपा शाही के साथ न्यूड सीन दिए थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तो जादू नहीं छोड़ा, मगर, विवाद के कारण चर्चा में जरूर रही।
बॉलीवुड चुलबुले रणबीर कपूर अपनी शुरूआती फिल्म सांवरिया (2007) में न्यूड नजर आए थे। संजय लीला भंसाली निर्देशित सांवरिया में रणबीर कपूर ने टॉवल में डांस करते हुए अपने बट दिखाए। रणबीर कपूर ने जो कपड़ा टॉवल के रूप में ओढ़ा था, पूरी तरह ट्रांसपरेंट था। रणबीर कपूर का टॉवल तो नहीं गिरा, मगर, संजय लीला भंसाली का काफी पैसा फिल्म के डूबने से गिर गया और उनको वापस लौटने में काफी समय लगा।
बॉलीवुड हैंडसम जॉन अब्राहम को फिल्म न्ययॉर्क (2009) के लिए न्यूड होना पड़ा था। फिल्म का निर्देशन कबीर ख़ान ने किया था। दरअसल, फिल्म में जॉन अब्राहम को पुलिस प्रताड़ना के दौरान नंगा दिखाया जाता है। ऐसी नग्नता अत्याचार के अधिक प्रभाव के कारण शून्यता हो जाती है।
जॉन अब्राहम के न्यूयॉर्क को स्टार नील नीतिन मुकेश फिल्म जेल (2009) में नंगे नजर आए। इस फिल्म का निर्देशन मधुर भंडारकर ने किया था। मगर, इसके बाद नील नीतिन मुकेश के करियर की ऐसी लगी कि लीड रोल अभिनेता साइड रोल में भी कभी कभार नजर आता है।
बेहतरीन अभिनेता राजकुमार राव फिल्म शाहिद (2013) के लिए न्यूड हुए। इस फिल्म का निर्देशन हंसल मेहता ने किया था। यह एक बायोग्राफिक्ल फिल्म थी। इस फिल्म में अभिनय करने के लिए राजकुमार राव को नेशनल बेस्ट एक्टर अवार्ड भी मिला। बेहतरीन निर्देशन के लिए हंसल मेहता को नेशनल अवार्ड प्राप्त हुआ।
न्यूड होने का कुछ अभिनेताओं को फायदा हुआ तो कुछ को नुकसान। कुछेक के लिए यह बकवास से ज्यादा कुछ नहीं था। अब बारी है रणवीर सिंह की, देखते हैं कि नतीजा क्या आता है ? यदि असल में पटकथा की जरूरत के अनुसार सीन डाला जाता है तो दर्शकों को पचाना आसान हो जाता है, यदि धक्के से डाला जाए तो निगलना मुश्किल।