काॅमेडी का जबरा डोज : गुजराती नाटक त्रण डोबा तौबा तौबा

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कल रात लंबे अरसे बाद किसी गुजराती नाटक को देखने का मन हुआ। कुछ दिन पहले गुजराती अभिनेता चेतन दैया ने अपने नाटक त्रण डोबा तौबा तौबा, इसी नाम से नाटक आधारित फिल्म भी बन चुकी हैं, जिसका स्क्रीन प्ले काफी अलग है, के मंचन के बारे में अपने सोशल मीडिया खाते पर जानकारी डाली थी।

चेतन दैया बेहतरीन एक्टर हैं। चेतन दैया का अभिनय चुनावी विज्ञापन में देखा था या करसनदास पे एंड यूज में। दोनों ही जगह चेतन दैया का अभिनय जोरदार था। इन दोनों ही जगहों पर दबंग और गंभीर किरदार में चेतन दैया नजर आए थे।

कल रात पहली बार अभिनेता चेतन दैया को काॅमेडी करते हुए देखा, वो भी लाइव। लाजवाब कर देने वाला अभिनय, चेतन दैया का ही नहीं बल्कि अन्य कलाकारों निशीथ ब्रह्मभट्ट और बिमल त्रिवेदी का भी।

त्रण डोबा तौबा तौबा ऐसे तीन युवकों के इर्दगिर्द घूमता नाटक है, जिनमें से एक को सुनायी नहीं देता, एक को दिखाई नहीं देता और एक बोलने में अक्षम है। तीनों एक साथ एक किराये के मकान में रहते हैं और बातों परिस्थितियों को समझने में एक दूसरे की मदद करते हैं। इस समझने समझाने में जो परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं, वो ठहाके लगाने पर मजबूर करती हैं। यहां तक कि मंच पर मौजूद सहयोगी कलाकार दूसरे कलाकार का अभिनय देखते हुए खुद की हंसी रोक नहीं पाते, इसको एक कलाकार की कमजोरी और दूसरे का जबरदस्त अभिनय भी कहा जा सकता है।

निशीथ ब्रह्मभट्ट का निर्देशन भी बाकमाल का है। इतनी उलझनों से भरे नाटक का मंचन करना आसान काम नहीं है। नाटक में इशारों से बात को समझाने वाले सीनों को बड़ी खूबसूरती के साथ पेश किया गया है। कलाकारों की काॅमिक टाइमिंग जबरदस्त और सहारानीय है, जो हैरत में डालती है।

इसके अलावा नाटक का लेखन भी जबरदस्त है, जो मृगेश देसाई ने किया है। सशक्त अभिनय और लाजवाब कर देने वाले संवादों की युगलबंदी में समय हंसते हुए गुदगुदाते हुए कब निकल जाता है, पता ही नहीं चलता है।

हालांकि, इक्का दुक्का सीन अनलाॅजिकल लगते हैं। पर, आटे में नमक जितना तो चलता है। इसके अलावा हिंदी गानों का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया गया है, जो नाटक की खूबसूरती बढ़ाता है।

अगर आप गुजराती समझते हैं या आप गुजराती हैं, तो नाटक त्रण डोबा तौबा तौबा को अचूक देखने जाएं, यदि आपके आस पास इसका मंचन होता है। यकीनन, किसी बेहतरीन काॅमेडी फिल्म से ज्यादा मनोरंजन मिलेगा।

– कुलवंत हैप्पी, रंगमंच से