यकीनन, पिछले 19 सालों में बहुत कुछ बदला है। देश की जनता ने काफी बदलाव देख लिए हैं। लेकिन, सोनी टीवी के जांच पड़ताल आधारित धारावाहिक सीआईडी की विश्वसनीयता बनी हुई है और उसमें एसीपी प्रद्युमन के रूप में अभिनेता शिवाजी साटम की मौजूदगी भी।
उल्लेखनीय है कि इस साल 21 जनवरी को लोकप्रिय टेलीविजन धारवाहिक सीआईडी ने 19 वर्ष पूरे कर लिए हैं। जी हां, इस धारावाहिक की पहली कड़ी का प्रसारण सोनी पर 21 जनवरी, 1998 को हुआ था।
इस खास मौके पर समाचार एजेंसी आईएएनएस ने धारावाहिक की जान माने जाने वाले एसीपी प्रद्युमन अर्थात शिवाजी साटम से विशेष बातचीत की और अभिनेता के तौर पर इस धारावाहिक में उनके अनुभव को जानने की कोशिश की।
सीआईडी का हिस्सा बनने पर गर्व महसूस करने वाले अभिनेता शिवाजी साटम से जब पूछा गया कि इतना लंबा धारावाहिक और इतना लंबा किरदार, फिर भी दर्शकों का उतना ही प्यार? क्या किसी ने सोचा था कि ऐसा होगा? तो अभिनेता ने, ‘कम से कम मैंने तो कभी नहीं सोचा था कि यह धारावाहिक इतना लंबा चलेगा। मुझे हमेशा लगता था कि ज्यादा से ज्यादा दो साल चलेगा। पर, जैसे-जैसे शो चलने लगा लोगों का विश्वास बढ़ने लगा। फिर भी ऐसा लग रहा था, दो साल और चल सकता है। लेकिन, 20वें साल में प्रवेश कर चुका है।’
एक ही किरदार इतने लंबे समय तक करने के बाद मन बोर नहीं हुआ? के सवाल पर साटम कहते हैं, ‘बिल्कुल नहीं, बल्कि मुझे तो मजा आया है। इसमें बोर होने का समय ही नहीं मिला। यदि ऐसा तो यकीनन, मैं इसको दो-तीन साल में छोड़ देता। मैंने कभी भी ऐसी भूमिका करने की कोशिश नहीं की, जो मुझमें उत्सुकता बनाए न रखती हो। सिनेमा में भी काम किया है तो पसंद की भूमिकाएं ही की है।’
इतनी लंबी अवधि के दौरान कुछ खट्टी-मिठी यादें भी रही होंगी? तो इस पर साटम कहते हैं, ‘खट्टा कुछ भी नहीं, सब यादें मिठी हैं। यह सब आपके नजरिये पर निर्भर करता है। जिंदगी को अच्छे मन से स्वीकार लो। उससे जितनी खुशियां मिल सकती हैं ले लो, बाकी छोड़ दो। खट्टी यादें निजी जिंदगी में होती हैं।’
एक अन्य सवाल के जवाब पर अभिनेता ने कहा, ‘2006 में एक हिंदुस्तानी धारावाहिक गिनीज बुक में दर्ज हुआ। इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है। इसीलिए इस पर गर्व है।’
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लेकिन सीआईडी की यह जांच आखिर खत्म कब होगी? सीआईडी कभी रिटायर भी होगा? साटम ने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘जब तक ऊपर वाला सीआईडी देखना बंद नहीं करता, जांच जारी रहेगी। हम यही कहते हैं कि सीआईडी देखकर प्रत्येक सप्ताहांत में ऊपर वाला भी खुश होता है।’
फिर भी धारावाहिक के समापन की कोई समय सीमा तो होगी? तो साटम कहते, ‘यह चैनल वालों की व्यापारिक रणनीति पर निर्भर करता है। इसका समय कभी रात 10.30 भी हो जाता है, कभी 10.50 भी। नए-नए धारावाहिक आते हैं तो उनके प्रचार में थोड़ी दिक्कत आती है।’
आप मराठी रंगमंच से हैं, अभी वहां कितना सक्रिय हैं? तो साटम कहते हैं, ‘अभी तो मैं उस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा हूं, लेकिन देखने जरूर जाता हूं। यहां तक कि कॉलेज में देखने जाता हूं, कॉमेडी शो देखने जाता हूं, बहुत मजा आता है। बच्चों की ऊर्जा देखकर प्रेरणा भी मिलती है।’
आगे साटम कहते हैं, “मराठी रंगमंच छूटा नहीं है। चाहे आप इस तरफ बैठें या उस तरफ क्योंकि अगर दर्शक नहीं होंगे तो नाटक नहीं होगा और नाटक नहीं होगा तो दर्शक नहीं होंगे। मैं काफी हद तक संतुष्ट हूं। रंगमंच के लिए वक्त नहीं है, इसमें काफी वक्त चाहिए, इसलिए दर्शक दीर्घा में बैठकर मन बहला लेता हूं।’
‘दया..यहां कुछ तो गड़बड़ है’ संवाद को बेहद लोकप्रिय बना चुके साटम के कैरियर में आखिर मील का पत्थर भी तो कुछ होगा? तो साटम कहते हैं, ‘जिस-जिस को मंच पर देखा, उनके साथ काम करने का मौका मिला। अच्छे-अच्छे कालाकरों, निर्देशकों के साथ काम करते हुए आज यहां पहुंचा हूं। शिक्षा रंगमंच से मिली और हर किरदार, फिल्म, और नाटक को मैं मील का पत्थर मानता हूं।’
#CID 20th Year … ALL BCOZ OF UR LOVE ???? WE LOVE U ALL & MAY GOD BLESS U ALL ???? ???? pic.twitter.com/qiNJy2tbYi
— shivaji satam (@shivaajisatam) January 29, 2017
जीवन में इतनी सहजता के सवाल पर साटम कहते हैं, ‘जो हूं, ऐसे ही हूं। जब रंग लगाकर कैमरे के सामने आता हूं, अलग होता हूं, क्योंकि मैं इस तरफ हूं आप दूसरी तरफ। दोनों के बगैर काम नहीं चलेगा। कोई ऊपर से नहीं गिरा हूं, आम आदमी हूं। मैं यही कहता हूं कि प्यार, दुआएं मिलने की वजह से मुझमें और आपमें थोड़ा फर्क है।’
‘सीआईडी’ के खाते में कई बातें पहली बार हैं। यह टीवी पर पहला फिक्शन आधारित पुलिस-जासूसी शो है। सबसे लंबा चलने वाला शो है और बगैर किसी कट के 111 मिनट का सबसे लंबा शॉट भी इसके नाम है, जिसके लिए धारावाहिक का नाम गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है।
-आईएएनएस/शिखा त्रिपाठी/फिल्मी कैफे