हिंदी संगीत प्रेमियों को दिल छूने वाले गाने देने वाली गायिका कविता कृष्णामूर्ति शुरूआती दिनों में सबके सामने खड़ी होकर गाने से घबराती थी। लेकिन, उसी दौरान एक शख्स की हिम्मत ने कविता को भारत की महान गायिका लता मंगेशकर के साथ खड़े होकर गाने का मौका दिया।
जी हां, कविता कृष्णमूर्ति को शुरूआत में सबके सामने गाने से बहुत डर लगता था। बाद में, धीरे-धीरे उनका डर कम होता गया। उसी दौरान 1971 में हेमंत कुमार ने उन्हें बुलाया और बांग्ला में रवींद्र संगीत की तीन-चार लाइनें सिखाकर कहा, “इंतजार करो, लता जी आ रही हैं उनके साथ गाना है।”
हालांकि, दिल्ली में रहने वाले तमिल अय्यर परिवार में 25 जनवरी, 1958 जन्मीं कविता ने आठ साल की उम्र में ही एक संगीत प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था।
कविता ने कन्नड़ फिल्मों से फिल्मी गायन में कदम रखा जबकि हिंदी सिने जगत में कविता ने पहली बार 1975 में फिल्म कदम्बरी के गाने ‘आएगा आने वाला’ को आवाज दी। उनको असल पहचान प्यार झुकता नहीं फिल्म के गाने ‘तुमसे मिलकर ना जाने क्यों से मिली। हालांकि, इससे पहले ‘मांग भरो सजना’ फिल्म से कविता कृष्णामूर्ति का सोलो गाना ‘काहे को बाबुल’ हटा दिया गया था।
‘मेरा पिया घर आया’, ‘प्यार हुआ चुपके से’, ‘हवा हवाई’, ‘आज मैं ऊपर आसमां नीचे’, ‘डोला रे डोला’ जैसे मशहूर गीतों से सभी को थिरकने पर मजबूर करने वाली कविता कृष्णमूर्ति को 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
किशोर अवस्था में स्टेज से घबराने वाली कविता कॉलेज के दिनों में हर प्रतियोगिता में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती थीं। इसके बाद, कविता की ‘बिनाका गीतमाला’ वाले अमीन सयानी से मुलाकात हुई, फिर कविता उनके साथ कार्यक्रमों में जाने लगीं।
कविता ने पिताजी की आज्ञा लेकर संगीत की दुनिया में कदम रखा। हालांकि, कविता के लिए यह कदम आसान नहीं था, क्योंकि उनके घर में सरकारी नौकरी करने पर जोर था। कविता ने बड़ी मुश्किल से पिताजी को मनाया और मनोरंजन जगत का रुख किया।
‘1942 : ए लव स्टोरी’ के गीतों का सदाबाहर बनाने वाली कविता कृष्णामूर्ति ने अपने करियर में आनंद मिलन, उदित नारायण, एआर रहमान, अनु मलिक जैसे गायकों और संगीत निर्देशकों के साथ काम किया है।
कविता वायलिन वादक एल सुब्रमण्यम की पत्नी हैं। कविता और सुब्रमण्यम की मुलाकात उस समय हुई, जब कविता हरिहरन के साथ सुब्रमण्यम के लिए एक गाना गाने गईं। कविता काफी नर्वस थीं क्योंकि सुब्रमण्यम का बहुत नाम था।
कविता मन ही मन सुब्रमण्यम को पसंद करने लगीं थीं। लेकिन एल सुब्रमण्यम पहले से शादीशुदा थे। हालांकि उनकी पत्नी का देहांत हो चुका था। अचानक, एक दिन जब सुब्रमण्यम ने अपने प्यार का इजहार किया तो कविता ने झटपट हां कह दी और दोनों विवाह बंधन में बंध गए।
-आईएएनएस/शिखा त्रिपाठी