अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना अभिनीत फिल्म गुलाबो सिताबो, जो 12 जून 2020 को प्राइम पर रिलीज होने जा रही है, की लेखिका जूही चतुर्वेदी पर कहानी चुराने के संगीन आरोप लगे हैं। हालांकि, फिल्म निर्देशक शूजित सरकार और जूही चतुर्वेदी अकीरा अग्रवाल की ओर से लगाए गए सारे आरोपों को बेबुनियाद और केवल प्रचार हथकंडा करार देते हैं।
माजरा क्या है?
दरअसल, हाल ही में फिल्म गुलाबो सिताबो का ट्रेलर रिलीज हुआ था। इस ट्रेलर को देखने के बाद मशहूर लेखक राजीव अग्रवाल के पुत्र अकीरा अग्रवाल को लगा कि गुलाबो सिताबो की कहानी उनके पिता की लिखी कहानी ’16 मोहनदास लेन’ से कॉपी की गई है।
अकीरा अग्रवाल के अनुसार उनके पिता रमेश अग्रवाल, जो देख भाई देख, ‘इंद्रधनुष’, ‘नींव’, ‘कभी कभी मेरे घर में भूचाल आता है’ जैसे टीवी शो लिख चुके हैं, ने साल 2018 में सिनेस्तान डॉट कॉम की ओर से आयोजित पटकथा प्रतियोगिता में अपनी पटकथा भेजी थी। इस प्रतियोगिता को स्क्रीनराइटर्स असोसिएशन का समर्थन प्राप्त था और जूरी में अन्य लोगों के अलावा जूही चतुर्वेदी भी शामिल थीं। अकीरा अग्रवाल का दावा है कि यहां से ही जूही चतुर्वेदी ने उनके पिता रमेश अग्रवाल की पटकथा को चोरी किया है।
दूसरा पहलू भी सुनिए
जूही चतुर्वेदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मेरी नीयत भी साफ है और तथ्य भी। गुलाबो सिताबो मेरी मूल रचना है और इस पर मुझ को गर्व है।’ जूही चतुर्वेदी के अनुसार उसने यह आइडिया निर्देशक के साथ साल 2017 के आरंभ में साझा किया था। इतना ही नहीं, मई 2018 में फिल्म के रूप में विचार को संबंधित संस्थान में पंजीकृत किया गया। लेखिका जूही चतुर्वेदी ने पटकथा प्रतियोगिता का जिक्र करते हुए कहा, ‘सिनेस्तान ने भी अपने तौर पर स्पष्ट किया है कि पटकथा मुझ तक पहुंची ही नहीं थी। साथ ही, स्क्रीनराइटर्स असोसिएशन ने तथ्यों की जांच करने के बाद फैसला मेरे पक्ष में दिया।’
सिनेस्तान पटकथा प्रतियोगिता के तत्कालीन चेयरमैन अंजुम राजाबली ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि जूही चतुर्वेदी के पास अंतिम आठ पटकथाओं के अलावा किसी अन्य पटकथा पर पहुंच करने का अधिकार नहीं थी जबकि 16 मोहनलाल लेन अंतिम आठ पटकथाओं में शामिल नहीं थी। असल में 16 मोहनलाल लेन केवल शीर्ष 20 पटकथाओं के पड़ाव तक ही पहुंची थी।
अकीरा अग्रवाल के दावे और तथ्यों को देखते हुए जूही चतुर्वेदी पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं। जब मामला पटकथा चोरी का बन चुका है तो अन्य संभावनाओं को भी देखा जाना चाहिए। रमेश अग्रवाल जाने माने पटकथा लेखक थे, ऐसे में वो किसी भी पटकथा को संबंधित संस्थाओं में पंजीकृत करवाए बिना तो रहे नहीं होंगे। साथ ही, रमेश अग्रवाल की साल 2017 के आस पास के समय की मुलाकातों को भी देखा जाए, क्या वो जूही चतुर्वेदी या उनसे जुड़े किसी व्यक्ति से मिले हैं या नहीं और गुलाबो सिताबो के रिलीज होने का भी इंतजार करना चाहिए, क्योंकि ट्रेलर से पूरी कहानी को समझ पाना मुश्किल है।