“मैं एक ‘वल्गर’ इंसान हूं और ‘वल्गर’ फिल्में देखना चाहता हूं”

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नई दिल्ली | बिना किसी झिझक के कामुक थ्रिलर फिल्में बनाने वाले विक्रम भट्ट का कहना है कि भारत में ‘सेंसर बोर्ड ने दर्शकों की पसंद की हिफाजत की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले ली है’, जो कि उसका काम नहीं है।

भट्ट की अगली फिल्म ‘लव गेम्स’ जोड़ों के बीच पार्टनर की अदला-बदली पर आधारित है।

उनका कहना है कि जब दर्शक गंदी (वल्गर) फिल्में देखना चाहते हैं, तो फिर कोई अन्य यह फैसला क्यों ले कि क्या देखने लायक है और क्या नहीं?

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भट्ट इस बात से नाखुश हैं कि किस तरह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के सदस्य फिल्म के दृश्यों और संवादों को हटा देते हैं और कई बार तो फिल्म पर प्रतिबंध भी लगा देते हैं।

उनका मानना है कि सेंसर बोर्ड इतने वर्षो में भी विकसित नहीं हुआ है।

भट्ट ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा, “अब वह (सेंसर बोर्ड) बदतर हो गया है। कांग्रेस की सरकार काफी बेहतर थी..घटिया, वल्गर फिल्मों में क्या बुरा है? क्या मेरे पास ऐसी फिल्में देखने का अधिकार नहीं है? आप मेरी पसंद पर पहरा क्यों लगा रहे हैं?”

अपनी फिल्मों में कामुकता और हॉरर के कॉकटेल से अनूठा थ्रिलर गढ़ने वाले निर्देशक भट्ट का मानना है कि एक व्यक्ति की फिल्म की पसंद को किसी बाहरी इंसान के कारण प्रभावित नहीं होना चाहिए।

Tara Alisha Berry

भट्ट ने कहा, “मैं एक ‘वल्गर’ इंसान हूं और ‘वल्गर’ फिल्में देखना चाहता हूं और इसके लिए खर्च करने में सक्षम हूं। आप फिल्म पर बड़े अक्षरों में लिख दीजिए कि ‘यह फिल्म गंदी है’, मैं बुरा नहीं मानूंगा। लेकिन, यह मत बताइए कि मेरे लिए क्या सही है और क्या गलत।”

सेंसर बोर्ड के ‘लव गेम्स’ के प्रति व्यवहार के बारे में पूछे जाने पर भट्ट ने कहा, “सेंसर बोर्ड एक पहरेदार की तरह है, जो एक ऐसे घर की पहरेदारी कर रहा है जिसमें कोई रहता ही नहीं है।”

‘लव गेम्स’ को ‘केवल बालिगों के देखने के लिए’ उचित माना गया है। इसमें केवल एक शब्द को ऐसे कर दिया गया है कि वह सुनाई न दे सके।

उन्होंने कहा, “लोग इंटरनेट पर हैं..विदेशी फिल्मों की खोज कर रहे हैं..मुझे समझ नहीं आ रहा है कि वे (सेंसर बोर्ड) किस चीज को बचा रहे हैं..कौन सी संस्कृति?”

‘राज’, ‘1920’ और ‘हेट स्टोरी’ जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक का मानना है कि बॉलीवुड में कामुक रोमांच वाली फिल्मों के निर्माण में उछाल आया है।

जब उनसे पूछा गया कि इस शैली को भारत में क्यों सही नहीं माना जा रहा? भट्ट ने कहा, “क्योंकि हम जिस तरह के लोग हैं.. जिस तरह के हमारे आलोचक हैं। उन्हें हर चीज में सौंदर्यशास्त्र चाहिए।”

भट्ट का कहना है कि ‘लव गेम्स’ एक ऐसे विषय पर आधारित है, जो पूर्ण रूप से भारतीय समाज में मौजूद है। उन्होंने कहा, “यह उन बातों पर आधारित है जो मैंने खुद देखी हैं। अपने जीवन में देखी हैं..बिलकुल पास से, निजी रूप से।” (आईएएनएस)  दुर्गा चक्रवर्ती