विजय सेतुपति और तृषा कृष्णन की दिल छू लेने वाली युगलबंदी
स्कूल टाइम का लव बहुत निर्दोष होता है, केवल एक दूसरे का चेहरा देखकर दिल को सुकून मिल जाता है। एक दूसरे की गैर-मौजूदगी उतना ही बेचैन करती है। एक दूसरे का जिक्र रूह को ऐसे खिला देता है, जैसे वसंत ऋतु पेड़ पौधों को। ऐसे एहसास को कैद करती है प्रेम कुमार की निर्देशित तमिल फिल्म ’96, जो 4 अक्टूबर 2018 को रिलीज हुई। ( Movie Review : 96 Hindi Dubbed Movie)
रमचंद्रन उर्फ राम एक घुमक्कड़ फोटोग्राफर है, जो अपनी युवा स्टूडेंट के साथ किसी जगह जाने के लिए निकलता है। अचानक राम और उसकी स्टूडेंट राम के पुराने गांव या कस्बे में आ पहुंचते हैं। जहां पहुंचते ही राम को अपना अतीत याद आने लगता है। राम अपने दोस्त मुरली को फोन लगाता है, जो मिलकर स्कूल टाइम के दोस्तों को फिर से एक ही जगह एकत्र करने का प्रोग्राम बनाते हैं।
किसी को उम्मीद नहीं होती कि जानकी इस फ्रैंड्स मीट में सिंगापुर से आएगी। लेकिन, अटकलों और अनुमानों को धता बताकर कार्यक्रम में पहुंचती है। जहां उसकी मुलाकात पहले प्यार रामचंद्रन होती है। जानकी और राम एक ही स्कूल में पढ़ते थे। दसवीं कक्षा के दौरान, जब उनका प्रेम अंकुर पनपने लगता है, दोनों अचानक अलग हो जाते हैं, उसके बाद से पिछले 22 सालों के दौरान वह दोनों एक बार भी नहीं मिलते।
इस मुलाकात के बाद कहानी मौजूदा दौर और फ्लैशबैक में चलती है। जानकी सिंगापुर रहती है, और शादीशुदा है जबकि राम अभी भी कुंवारा है। 22 साल के बाद एक दूसरे से मिलने के बाद राम और जानकी एक दूसरे से बात करना चाहते हैं, लेकिन, राम आज भी दसवीं के छात्र राम की तरह व्यवहार करता है। जानु आज भी पहले की तरह बेबाक और खुद को सहज रखे हुए है। कार्यक्रम खत्म होने के बाद राम जानकी को होटल छोड़ने पहुंचता है।
दोनों में कुछ बात नहीं होती, अचानक, रूम में पहुंचते ही जानकी के मन में राम से बात करने का ख्याल उठता है। वो कॉल करती है, तो राम उसी जगह खड़े होने की बात कहता है, जहां पर उसने जानकी को छोड़ा था। जानकी दौड़कर नीचे आती है और राम के साथ ट्रिप पर निकल जाती है।
इस दौरान धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के साथ खुलने लगते हैं। इस दौरान जानकी अपने मन के सवाल राम से पूछती है और राम अपनी बातों से उन सवालों के जवाब देने की कोशिश करता है। दोनों एक दूसरे से एक पल के लिए भी जुदा नहीं होना चाहते, विशेषकर जानकी की सुबह वाली फ्लाइट के जाने तक।
राम जानकी की कहानी, जो फिल्म ’96 में है, दोनों के एयरपोर्ट पर अलग होने पर खत्म होती है, लेकिन, यह कहानी खत्म होने से पहले अपनी रूहानियत से, अपनी आत्मीयता से, भावनाओं से दिल को ऐसे पिघला देती है, जैसे हवा बर्फ को, आग मोम को।
तृषा कृष्णन की सुंदरता और संजीदगी भरा अभिनय आपको स्क्रीन से चस्पा रहने पर मजबूर करता है। विजय सेतुपति का मासूमियत भरा अभिनय दिल जीत लेता है। अन्य कलाकार भी अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं, विशेषकर राम की बहन और स्टूडेंट का किरदार। फिल्म के संवाद और सीन वास्तविकता के काफी करीब हैं। हर सीन दिल को छूकर गुजरता है, चाहे वो स्कूल टाइम का हो या मौजूद दौर में जानकी और राम की बातों का।
प्रेम कुमार, जो फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक हैं, कहानी को अपने स्वभाव से भटकने नहीं देते। कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है और पटकथा के दोनों सिरे इतनी मजबूती के साथ तनकर पकड़े हैं कि बीच में झोल का सवाल ही पैदा नहीं होता है। प्रेम कुमार कदम दर कदम दर्शक को झूठलाते चले जाते हैं, जो फिल्म ’96 को बॉलीवुड मसाला फिल्म में ढलने का कयास लगाते हैं।
यदि आप भावनाओं में विश्वास रखते हैं, यदि आप जज्बातों को समझते हैं, यदि प्यार रोमांस से परे भी कुछ हो सकता है, तो आपको ’96 देखनी चाहिए। यदि आप उपरोक्त बातों में जरा सा यकीन भी नहीं रखते, तो भी एक खूबसूरत लव स्टोरी आधारित यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए, क्योंकि यह आपके दिल को पिघलाने का दम रखती है।