‘शहीद’ और ‘सिटी लाइट्स’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके निर्देशक हंसल मेहता इस बार समलैंगिकता के विषय को उठाती फिल्म ‘अलीगढ़’ लेकर आए हैं। इस फिल्म में भी हंसल मेहता ने अपने पुराने कलाकारों मनोज बाजपेयी एवं राजकुमार राव को मुख्य भूमिका में रखा।
‘अलीगढ़’ फिल्म एक सच्ची घटना से प्रेरित है। इस फिल्म का विचार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हंसल मेहता को एक र्इमेल के जरिये मिला। यह कहानी एक मराठी प्रोफेसर के जीवन के आस पास घूमती है, जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे।
प्रो. श्रीनिवास रामचंद्र सीरस (मनोज बाजपेयी) को भाषा भेद के कारण काफी मुश्किल स्थितियों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, एक साजिश के तहत सीरस को ‘समलैंगिक’ साबित कर यूनिवर्सिटी से निकाल दिया जाता है। प्रोफेसर के दयनीय जीवन में पत्रकार दीपू (राजकुमार राव) दिलचस्पी बढ़ने लगती है। सीरस एवं दीपू की दोस्ती बढ़ने लगती है और धीरे-धीरे कहानी तरह-तरह के मोड़ लेते हुए आगे बढ़ती है।
मनोज बाजपेयी को हमेशा शानदार अभिनय शैली के कारण याद किया जाता है। इस बार भी मनोज बाजपेयी अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाने में सफल हुए हैं। फिल्म में सह अभिनेता की भूमिका निभा रहे राज कुमार राव ने भी अद्भुत अभिनय किया है।
‘शाहिद’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म निर्देशक हंसल मेहता ने ‘अलीगढ़’ बनाते हुए भी हर पक्ष को बारीकी से रखने का उम्दा प्रयास किया है। हंसल मेहता ने साबित कर दिया है कि सच्ची कहानियों का शानदार प्रस्तुतिकरण दर्शकों को पकड़े रखता है।
उम्मीद है कि हंसल मेहता निर्देशित फिल्म ‘अलीगढ़’ हिन्दी जगत की सबसे उम्दा फिल्मों की श्रेणी में शामिल होगी। फिल्मी कैफे की राय है कि समाज बुराईयों पर जोरदार चोट करने वाली फिल्म ‘अलीगढ़’ को देखना चाहिए।