Thursday, December 26, 2024
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Movie Review : मीजान और शर्मिन की मलाल

कबीर और प्रीति की अनोखी प्रेम कहानी के बाद शिवा और आस्‍था की झटका देने वाली प्रेम कथा फिल्‍म मलाल के रूप में बड़े पर्दे पर उतर चुकी है। जैसे कबीर सिंह तेलुगू फिल्‍म अर्जुन रेड्डी का रीमेक थी, उसी तरह मीजान जाफरी और शर्मिन सहगल अभिनीत मलाल तमिल फिल्‍म 7जी रैंबो कालोनी का रीमेक है।

आस्‍था अपने परिवार, जो कारोबार में बड़ा घाटा होने के कारण आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है, के साथ शिवा की चॉल में रहने आती है। शुरू शुरू में चॉल के आवारा, बदतमीज और टोपरी लड़के शिवा के साथ आस्‍था की बिलकुल नहीं जमती। लेकिन, धीरे धीरे शिवा को आस्‍था से प्रेम होने लगता है। आस्‍था भी मन ही मन शिवा को चाहने लगती है।

इधर, आस्‍था और शिवा की दोस्‍ती प्रेम डगर पर सरपट दौड़ने लगती है। उधर, आस्‍था के घरवाले आस्‍था की शादी अपने दोस्‍त के बेटे से पक्‍की कर देते हैं। ऐसे में आस्‍था के सामने में धर्म संकट आना खड़ा हो जाता है। एक तरफ पिता का लाड प्‍यार और दूसरी तरफ शिवा का प्‍यार। आस्‍था, शिवा को छोड़कर पिता के साथ जाने का मन बना लेती है। शादी से कुछ दिन पहले अपनी मां से अनुमति लेकर अंतिम बार आस्‍था शिवा से मिलने जाती है, और यहां पर कहानी में एक नुकीला मोड़ आता है। इस मोड़ पर उनकी प्रेम कहानी किस दिशा में आगे बढ़ती है? जानने के लिए मलाल देखनी होगी।

फिल्‍मकार मंगेश हदवाले का निर्देशन सराहनीय है और दोनों नवोदित कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है। फिल्‍म संपादन और सिनेमेटोग्राफी दोनों ही शानदार हैं। मारपीट, संजीदा और कॉमिक सीनों पर जबरदस्‍त काम हुआ, जो कहानी को और रोचक बना देते हैं।

मीजान, जावेद जाफरी का बेटा, ने टोपरी शिवा के किरदार को पूरी ईमानदारी के साथ निभाया है। मीजान में रणवीर सिंह का उत्‍साह, जोश और स्‍टेनिमा है, साथ में रणबीर कपूर जैसा चार्मिंग लुक भी। आंखों से संजय दत्‍त का टोपरीपन साफ झलकता है, जो किरदार के लिए बेहद जरूरी था।

शर्मिन सहगल को उसके कर्ली बाल खूबसूरत बनाते हैं। उसकी मुस्‍कान और आंखों की चमक उसकी मौजूदगी दर्ज करवाती है। आस्‍था के किरदार के लिए शर्मिन एकदम सही च्‍वॉइस हैं।
फिल्‍म मलाल का गीत संगीत बेहतरीन है। मराठी न समझने वालों के लिए थोड़ा सा अटपटा हो सकता है। लेकिन कथाई कथाई आंखों वाला लड़का गीत दिल को छूता है।

चलते चलते – बस इतना ही कहेंगे, मलाल देखते हुए मलाल नहीं होगा।

  • कुलवंत हैप्‍पी

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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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