जैसा कि हम जानते हैं कि जासूसी पर आधारित बहुत सी फिल्में हिंदी सिने जगत ने दी है। हाल ही में रिलीज हुई आलिया भट्ट अभिनीत राजी उनमें से सबसे बेहतरीन फिल्म थी। जासूस आधारित फिल्मों की फेहरिस्त में एक नाम और जुड़ गया, वो है रोमियो अकबर वॉल्टर का।
अभिनेता जॉन अब्राहम और मौनी रॉय अभिनीत रोमियो अकबर वॉल्टर पुरानी जासूसी आधारित फिल्मों के पैटर्न का अनुसरण करती है। केवल एक बात को छोड़कर, वो यह है कि हिंदुस्तानी मुस्लिम द्वारा अपनी देशभक्ति साबित करना।
फिल्म की शुरूआत थके हुए रॉय निदेशक श्रीकांत राय से। श्रीकांत राय को पाकिस्तान में एक मिशन चलाने के लिए एक नयी भर्ती की जरूरत है।
इसी दौरान रॉय की मुलाकात रोमियो अली से होती है, जो बैंक कैशियर है। रोमियो बैंक कैशियर के साथ साथ थिएटर आर्टिस्ट भी है। रोमियो में बहुरूपिया बनने की अपार क्षमता है। रोमियो को अकबर मलिक की नयी पहचान के साथ पाकिस्तान पहुंचाया जाता है। जहां पर पहुंचकर अकबर मलिक को पाकिस्तानी सेना की आक्रमण योजना का पता लगाना है।
जॉन अब्राहम ने अपनी ओर से शत प्रतिशत दिया है। लेकिन, डल स्क्रीन प्ले फिल्म को मार देता है। निर्देशक रॉबी ग्रेवाल ने फिल्म पटकथा की कसावट पर ध्यान देने में चूक कर दी। नि:संदेह रॉबी ग्रेवाल रोमियो अकबर वॉल्टर को एक बुद्धिमानी फिल्म बनाना चाहते थे, लेकिन चुक गए।
कुल मिलाकर कहें तो रोमियो अकबर वॉल्टर कच्ची पक्की एक जासूसी आधारित फिल्म है, जो दर्शकों को बांधे रखने में असफल रहती है। यदि आप जॉन अब्राहम के प्रशंसक हैं या देश भक्ति पर बनी किसी भी तरह की फिल्म देखने की चाह रखते हैं तो रोमियो अकबर वॉल्टर को अपने रिस्क पर देख सकते हैं।
Extra Shots :
इस फिल्म को पहले सुशांतसिंह राजपूत करने वाले थे। इस फिल्म का फर्स्ट लुक भी सामने आ गया था। लेकिन, अचानक सुशांतसिंह राजपूत फिल्म से अलग हुए और जॉन अब्राहम का फिल्म रोमियो अकबर वॉल्टर में प्रवेश हुआ।