सुजॉय घोष के निर्देशन और विद्या बालन के उम्दा अभिनय से सुसज्जित फिल्म कहानी ने सिनेमा प्रेमियों को ही नहीं बल्कि फिल्म समीक्षकों को भी चौंका दिया था। कहानी ने साबित कर दिया था कि बिना किसी बड़े ताम झाम के भी एक बढ़िया सस्पेंस थ्रिलर का निर्माण किया जा सकता है।
अब एक बार फिर से फिल्मकार सुजॉय घोष और अभिनेत्री विद्या बालन की जोड़ी कहानी 2 के जरिये बड़े पर्दे पर लौटी है। इस बार कहानी नई है और किरदार भी नया है। विद्या बागची अब विद्या सिन्हा है। विद्या सिन्हा अपनी किशोर बेटी के साथ एक छोटे से कस्बे में रहती है। अपनी अपाहिज बेटी का इलाज करवाने के लिए विद्या सिन्हा कुछ पैसे जुटाकर विदेश जाना चाहती है।
अचानक एक दिन मिनी का अपहरण हो जाता है और विद्या सिन्हा अपहरणकर्ताओं के बताए हुए ठिकाने के लिए घर से निकलती है। इसी दौरान विद्या सिन्हा सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो जाती है। कोमा में पहुंच चुकी विद्या सिन्हा की पहचान वांटेड अपराधी दुर्गा रानी सिंह के रूप में होती है, जो शादीशुदा नहीं है और जिसकी खुद की कोई संतान नहीं है।
इस खुलासे के बाद उलझी कहानी को सुजॉय घोष किस तरह सुलझाते हैं, यह जानने के लिए आपको कहानी 2 देखनी होगी।
फिल्म कहानी 2 में फ्लैशबैक और किस्सागोई का शानदार प्रयोग किया गया है। कहानी कहने का तरीका रोचक को मरने नहीं देता। हालांकि, स्क्रीन प्ले इससे भी बेहतर लिखा जा सकता था। खैर, स्क्रीन प्ले में कमियों के बावजूद भी फिल्म अंत तक बांधने रखने में कामयाब रहती है।
विद्या बालन अपने किरदार में पूरी तरह डूबी हुई नजर आई हैं। फिल्म के अंतिम सीनों में विद्या बालन लुप्त हो जाती है, केवल किरदार स्क्रीन पर बचता है, जिसको देखकर आपका मन समाज के एक तबके के प्रति घृणा भाव से भर जाएगा।
अर्जुन रामपाल ने पुलिस कर्मचारी की भूमिका को बड़ी खूबसूरती से निभाया है। हालांकि, ऐसे किरदारों में अर्जुन रामपाल आम तौर पर फीके पड़ जाते हैं, लेकिन इस बार दिल जीतने में कामयाब हुए हैं। फिल्म के अन्य कलाकार नायशा खन्ना, जुगल हंसराज, खरज मुखर्जी, कौशिक सेन और मनिनी चड्ढा भी अपनी दमदार उपस्थिति से प्रभावित करते हैं।
कहानी 2 को केवल क्राइम सस्पेंस थ्रिलर फिल्म कहना गलत होगा। दरअसल, इस फिल्म में सस्पेंस थ्रिलर शैली की मदद से बाल यौन शोषण जैसे गंभीर मामले को उठाने का प्रयास किया है। ऐसी फिल्में बहुत कम देखने को मिलती हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो हर फिल्म मनोरंजन के लिए नहीं होती, कुछ फिल्में लीक से हटकर और सामयिक होती हैं। हालांकि, सुजॉय घोष की कहानी 2 गंभीर होने के साथ साथ हल्का फुल्का मनोरंजन भी करती है।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमेटोग्राफी वर्क भी काफी अच्छा है, जो फिल्म को और बेहतरीन बनाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो कहानी 2 एक ऐसी फिल्म है, जो आधुनिक समय में प्रत्येक परिवार को देखना चाहिये।
– कुलवंत हैप्पी