यू मी और हम जैसी भावनात्मक और अति गंभीर फिल्म निर्देशित कर चुके अभिनेता अजय देवगन ने इस बार एक्शन रोमांच और भावना से लबरेज फिल्म शिवाय को निर्देशित करने का जिम्मा संभाला था। इस बार अभिनेता अजय देवगन कितने सफल हुए हैं, चलो, इस पर चर्चा करते हैं।
फिल्म शिवाय की कहानी कुछ दृश्यों के बाद कई साल पीछे की तरफ चली जाती है। जहां शिवाय पर्वत आरोहियों का मार्गदर्शन करने का कार्य करता है। इस दौरान शिवाय की मुलाकात वोल्गा नामक एक युवती से होती है, जो बुल्गारिया की रहने वाली है।
जैसे आम हिन्दी फिल्मों में होता है कि बारिश की एक रात और सब कुछ बदल जाता है। वैसे ही बर्फीले तूफान में शिवाय और वोल्गा एक दूसरे के नजदीक आते हैं। इस दौरान बने शारीरिक संबंधों से वोल्गा गर्भवती हो जाती है। वोल्गा गर्भ गिराना चाहती है। शिवाय जैसे तैसे कर कुछ शर्तों पर वोल्गा को मना लेता है और शिवाय की जिन्दगी में गौरा आती है।
गौरा और शिवाय में बेहद मजबूत रिश्ता है। इस रिश्ते में गौरा को मां की कमी महसूस नहीं होती। अचानक गौरा को कुछ मिलता है, जो उसको मां से मिलने की जिद करने पर मजबूर करता है। और शिवाय बच्ची की जिद के आगे घुटने टेक देता है। बच्ची को मां से मिलवाने के लिए बुल्गारिया पहुंचता है।
वहां कुछ अजीब से घटनाक्रम होते हैं, जो शिवाय के अंदर के उग्र इंसान को जगा देते हैं। बच्ची मां से मिलती है या नहीं? शिवाय बुल्गारिया में चुनौतियों से किस तरह निबटता है? देखने के लिए शिवाय देखें।
इस फिल्म में अजय देवगन का एक्शन और इमोशन देखने लायक है। अन्य कलाकारों के हिस्से अधिक स्पेस नहीं आई है, चाहे एरिका कार हों या सायशा सैगल। मुख्य भूमिका में अजय देवगन ही हैं। निर्देशन से लेकर अभिनय तक पूरा भार अजय देवगन के कंधों पर टिका हुआ है। पहाड़ों और विदेशों से जुड़ी इस कहानी से दर्शक स्वयं को कितना जोड़ पाएंगें, कहना मुश्किल है। हालांकि, एक्शन फिल्म के मामले में शिवाय एक जबरदस्त फिल्म है। वैसे देखा जाए तो विदेशी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में भी एक्शन ज्यादा इमोशन न के बराबर होता है।
शायद, अजय देवगन ने भी कुछ इस तरह का रचने की कोशिश की है। अजय देवगन की बेटी का किरदार निभा रही बाल अदाकारा बेहतरीन हावभाव देने से चूकती हुई नजर आईं हैं। संगीत पक्ष की बात करें तो सिर्फ तेरे नाल इश्का ही दिल को छूने लेने वाला गीत है। यदि आप सोच रहे हैं कि शिवाय एक धार्मिक फिल्म है, तो आप गलत सोच रहे हैं। दरअसल, यह एक ऐसे व्यक्ति की कथा है, जो परिवार के लिए सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार है। कुल मिलाकर कहें तो यह एक पारिवारिक फिल्म है।
हमारी तरफ से शिवाय को दस में से पांच अंक मिलते हैं, जोकि हमारी निजी राय पर आधारित है। यह राय सभी पर लागू नहीं होती क्योंकि हर किसी का अपना अपना नजरिया है।