कैदी (Kaithi) और मास्टर (Master) की सफलता के बाद लोकेश कनगराज (Lokesh Kanagaraj) तमिल सिनेमा में बहुत बड़ा नाम बन चुके हैं। लोकेश कनगराज अपनी एक अलग ही यूनिवर्स बनाने का सफल प्रयास कर रहे हैं। जी हां, विक्रम : हिटलिस्ट (Vikram : Hitlist) उसी यूनिवर्स का हिस्सा है। लोकेश कनगराज अपनी विक्रम : हिटलिस्ट को उसी बिंदू से शुरू करते हैं, जहां पर उन्होंने कैदी को रोका था।
विक्रम : हिटलिस्ट (Vikram : Hitlist) की शुरूआत ड्रग से भरे दो कंटेनरों के लापता होने होती है। स्थानीय पुलिस प्रशासन और ड्रग माफिया हर कीमत पर ड्रग से लोडेड कंटेनरों को हासिल करना चाहता है। इस बीच एक नकाबपोश बाइकरों का गैंग एक्टिव हो जाता है, और कुछ हत्याएं करता है, और इन हत्याओं के बीच एक कॉमन कनेक्शन बनता दिखाई पड़ता है। इस मामले को सुलझाने के लिए पुलिस प्रशासन ब्लैक स्कॉड (Black Squad) की विशेष टीम को तैनात करता है। मध्यांतर तक ब्लैक स्कॉड नकाबपोशों तक पहुंच जाती है। लेकिन, नकाबपोश गैंग के मुखिया से आमना सामना होने के बाद ब्लैक स्कॉड टीम अपने मिशन को बीच में ही छोड़ देती है। इसके बाद कहानी रोचक होने लगती है। स्थानक ड्रग माफिया और पुलिस प्रशासन सकते में आ जाते हैं।
नकाबपोश गैंग का उद्देश्य क्या है? क्या ड्रग से लोडेड कंटेनर मिलेंगे? ब्लैक स्कॉड बीच में मिशन क्यों छोड़ती है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब विक्रम देखने पर मिल जाएगा।
विक्रम देखते हुए महसूस होता है कि युवा फिल्मकार लोकेश कनगराज का निर्देशन और लेखन दोनों की सधे हुए हैं। सस्पेंस, एक्शन और रोमांच से भरी फिल्म को किस प्रकार अंजाम तक लेकर जाना है, वे अच्छे तरीके से जानते हैं। लोकेश कनगराज ने कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है, चाहे तो अनुभवी अभिनेता कमल हासन हों या वसंती ( फिल्म में कमल हासन के घर काम करने वाली) हो।
फिल्म मध्यांतर तक सस्पेंस क्रिएट करती है। बीच बीच में दर्शकों को हंसने पर मजबूर करती है और मध्यांतर के बाद धीरे धीरे सस्पेंस से पर्दा उठना शुरू होता है। फिल्म के एक्शन सीन गजब के हैं। एक्शन के मामले में फिल्म हॉलीवुड की एक्शन फिल्मों को टक्कर मारती है।
फ़हद फाजिल (Fahadh Faasil) का अभिनय देखने लायक है। आंखों से लेकर पूरी बॉडी लैंग्वेज कमाल की है। फ़हद फाजिल ने एजेंट अमर के किरदार में जान डालती है। अमर के किरदार को एक आत्मविश्वास की जरूरत होती है, जो फ़हद फाजिल के अभिनय से साफ झलकता है। मध्यांतर तक फिल्म को फ़हद फाजिल ही संभालते हैं।
मध्यांतर के आस पास और बाद में विजय सेतुपति और कमल हासन की एंट्री फिल्म को अगले स्तर पर ले जाती है। विजय सेतुपति तो तमिल सिनेमा का हीरा है। नकारात्मक भूमिकाओं में गजब ढाह रहे हैं। विक्रम में घरबाहट भरे सीन हों या जोश से भरे, दोनों ही सीनों में विजय सेतुपति का जवाब नहीं है। बिलकुल, विजय सेतुपति दर्शकों की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं।
इसके अलावा अमर की प्रेमिका के किरदार में गायत्री शंकर भी प्रभावित करती हैं। गायत्री शंकर का किरदार छोटा है, पर, जेहन में छाप छोड़ता है। अमर और गायत्री की छोटी सी प्रेम कहानी भी दर्शकों को प्रभावित करती है।
कमल हासन की उम्र देखें और इस फिल्म में कमल हासन का एक्शन टाइमिंग और स्टाइल देखें तो तारीफ करना बनता है। कमल हासन स्टार ही नहीं, बल्कि बेहतरीन अभिनेता भी हैं, इस उम्र में भी एक्शन किरदार में जान डालने का दम रखते हैं। कमल हासन का गेटअप और अभिनय दोनों की शानदार हैं।
एक्शन सीनों की बात करें तो मध्यांतर से ठीक पहले के एक्शन सीन और मध्यांतर के बाद वसंती के एक्शन सीन आपको आंख झपकने न देंगे। फिल्म के अंतिम पलों में कमल हासन पूरी तरह दिल जीतते हैं। रॉलेक्स की एंट्री तमिल सिनेमा प्रेमियों के लिए सरप्राइजिंग एलिमेंट है।
एक्शन, सस्पेंस और रोमांच के साथ साथ फिल्म में पंच लाइन संवाद भी गजब के हैं, जो सहमे सहमे दर्शकों को बीच बीच में गुदगुदाने पर मजबूर करते हैं। इसके अलावा फिल्म का कैमरा वर्क और बैकग्राउंड म्यूजिक दोनों की बेहतरीन है।
लोकेश कनगराज ने विक्रम : हिटलिस्ट को हॉलीवुड की तर्ज पर बनाया है। भारतीय फिल्मकार होने के कारण इमोशन का तड़का भी बराबर लगाया है, ताकि भारतीय सिनेमा प्रेमी स्वयं को ठगा हुआ महसूस न करें।
यदि आप हॉलीवुड की एक्शन भरपूर फिल्में देखना पसंद करते हैं और पर्दे पर कटे हुए गले या बहता हुआ खून देखकर दिल नहीं घबराता है, तो विक्रम : हिटलिस्ट आपके लिए बेहतरीन फिल्म साबित होगी।