मुंबई। हिंदी फिल्म संगीत प्रेमियों को एक से बेहतर एक गाने देने वाले शायर और गीतकार नक्श लायलपुरी का लिखा आखिरी गीत हाल में ही रिकॉर्ड किया गया था।
इस गाने का संगीत नक्श लायलपुरी के पुत्र संगीतकार राजन लायलपुरी ने तैयार किया है और इस गाने को आवाज गायक व संगीतकार बप्पी लहरी ने दी है।
उल्लेखनीय है कि शायर जसवंत राय शर्मा को दुनिया नक्श लायलपुरी के नाम से जानती है। 22 जनवरी 2017 को 89 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। जब उनके देहांत की ख़बर बप्पी लहरी को लॉस एंजेलिस में मिली तो बप्पी दा चौंक गए।
बप्पी लहरी ने टेलीफोन से बातचीत करते हुए कहा, ‘हाल ही में हम साथ थे। मैंने एक फिल्म के लिए उनका लिखा एक गीत रिकॉर्ड किया था। संगीत निर्देशन उनके बेटे राजन लायलपुरी ने किया। हमें क्या पता था कि यह उनका आखिरी गीत था?’
लहरी ने आगे कहा, ‘मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे नक्श साहब का लिखा आखिरी गीत गाने का मौका मिला। भले ही वह बीमार रहा करते थे, लेकिन उनकी रचनात्मकता चरम पर थी।’
नक्श के साथ लंबे समय से काम कर रहे लहरी ने पुराने दिन याद करते हुए कहा, ‘नक्श साहब ने मेरे निर्देशन में बने कुछ यादगार गीत लिखे हैं। ज्यादा लोग यह नहीं जानते कि मोहम्मद रफी ने जो आखिरी गीत ‘फूल क्या शवाब क्या हुस्न-ए-महताब क्या’ गाया था, वह मैंने कंपोज किया था। यह फिल्म ‘फर्ज की जंग’ का एक गीत है, जो गोविंदा और नीलम पर फिल्माया गया था और इसके खूबसूरत रोमांटिक बोल नक्श लायलपुरी साहब ने लिखे थे।’
बप्पी लहरी कहते हैं, ‘फिल्म ‘प्यास’ का मेरा पसंदीदा गीत ‘दर्द की रागिनी मुस्कुराई’ नक्श साहब का लिखा है। इसे लता मंगेशकर ने गाया है। मुझे इस गीत पर गर्व है, क्योंकि इसके जरिए मुझे हिंदुस्तानी शास्त्रीय पक्ष को दिखाने का मौका मिला।’
रनिंग शादी डॉट कॉम के गाने प्यार का टेस्ट को आवाज देने वाले बप्पी दा आगे कहते हैं, ‘इसके बाद मैंने ओ.पी. रल्हन की ‘पापी’ के लिए नक्श साहब के लिखे गीत पर काम किया। इसमें लताजी का गाया ‘बोल सजना’ भी शामिल है।’
बप्पी दा ने नक्श को सज्जन व्यक्ति और कवि के रूप में याद करते हुए कहा, ‘वह एक अद्भुत इंसान और महान कवि थे। हमने लगभग 15 गानों में साथ काम किया। विश्वास नहीं होता, नक्श साहब अब नहीं मिलेंगे।’
-आईएएनएस/सुभाष के.झा