नई दिल्ली। टेलीविजन अदाकारा और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी सोमवार को सोशल नेटवर्किं ग साइट ट्विटर पर कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी से उलझ पड़ीं।
ट्विटर पर इन दोनों नेताओं की लड़ाई उस ट्विट के बाद शुरू हुई जिसमें प्रियंका चतुर्वेदी ने किसी और व्यक्ति को लिखा, “स्मृति ईरानी की जिंदगी पर कथित धमकी के बाद उन्हें जेड श्रेणी सुरक्षा मिल जाती है। यहां मैं दुष्कर्म, कत्ल के खतरों की जांच करवाने के लिए जूझ रही हूं।”
स्मृति ने प्रियंका चतुर्वेदी को लिखा, “मुझे जेड सिक्युरिटी नहीं मिली है मैडम।”
इसके जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता ने लिखा, “मैडम, मुझे गृह मंत्रालय की आंतरिक कार्यप्रणाली की जानकारी नहीं है। मैंने अखबारों की खबरों के आधार पर यह बात कही है। तो क्या मैं मान लूं कि कोई सुरक्षा नहीं है स्मृति ईरानी जी को?”
इसके जवाब में मानव संसाधन मंत्री ने लिखा, “प्रियंका, आप मेरी सुरक्षा में इतनी रुचि क्यों दिखा रही हैं? कुछ योजना बना रही हैं क्या?”
प्रियंका ने ट्वीट किया, “मेरे पास इतना फालतू समय नहीं है। इसलिए इसको लेकर आप चिंतिंत न हों। आपको किसी दूसरे कैंपस में हंगामा खड़ा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
इसके जवाब में स्मृति ने ट्वीट किया, “प्रियंका, आप जो समझती हैं, यह राहुल की विशिष्टता है। हां, रुकिये उनमें असम में हारने की भी योग्यता है। मेरा बुरा दिन रहा। आपका दिन अच्छा हो।”
इसके जबाव में प्रियंका ने लिखा, “बार-बार हारने और मंत्री बन जाने में आपको भी महारत हासिल है। आपका दिन भी शुभ हो।”
पिछले कुछ दिनों से राहुल गांधी और स्मृति ईरानी कई विश्वविद्यालयों में पिछले कुछ महीनों से हो रहे हंगामे को लेकर एक-दूसरे पर शब्दबाण चला रहे हैं। इनमें दिल्ली के जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय भी शामिल हैं।
इस लड़ाई की शुरुआत उस वक्त हुई थी, जब पुणे की एक स्तंभकार शेफाली वैद्य ने ट्विटर पर लिखा, “जब प्रियंका की लोग ट्विटर पर निंदा करते हैं तो वह ‘महिलाओं की गरिमा’ पर हमला है, लेकिन जब स्मृति ईरानी के खिलाफ जहरीले बोल बोले जाते हैं, वे स्वीकार्य हैं।”
शेफाली दरअसल प्रियंका चतुर्वेदी द्वारा एक लोकप्रिय वेबसाइट पर लिखे लेख के बारे में बात कर रही थीं। उस लेख में प्रियंका ने दावा किया था, “ट्विटर की एक सक्रिय सदस्य होने और एक राजनीतिक दल (कांग्रेस) से भी ताल्लुक रखने के कारण मुझे यहां रोजाना निंदा और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन बेहतर विकल्पों की कमी के कारण मुझे इसे मुस्कुराकर बर्दाश्त करना होगा।”
वेबसाइट पर निंदा अभियान (ट्रॉलिंग) कुछ समय से सार्वजनिक परिचर्चा का विषय बना हुआ है।
हाल ही में एक टीवी साक्षात्कार में सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ट्रॉलिंग की सेंसरशिप करना संभव नहीं है।
-आईएएनएस