भारतीय सिने जगत निरंतर भारतीय सिने प्रेमियों के लिए एक सुपरहीरो रचने की कोशिश करता आ रहा है। मगर, अभी तक कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी, यदि छोटे पर्दे के शक्तिमान की लोकप्रियता को एक तरफ रख दिया जाएग। मुकेश खन्ना अभिनीत धारावाहिक शक्तिमान अपने समय का सबसे लोकप्रिय धारावाहिक था, जो आज भी लोगों के जेहन में जिन्दा है। आज भी शक्तिमान का किरदार लोगों को याद है।
हालांकि, भारत में हॉलीवुड जैसे लोकप्रिय सुपरहीरो बनाने के निरंतर प्रयत्न दशकों से चलते आ रहे हैं। 60 के दशक में अभिनेता जयराज ने सुपरमैन और द रिटर्न ऑफ सुपरमैन बनाई थी। उसके बाद जैकी श्रॉफ के रूप में शिवा का इंसाफ से एक नया सुपरहीरो उतारने की कोशिश की गई। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई जादू न दिखा सकी।
पुनीत ईस्सर ने 1987 में इंडियन सुपरमैन के रूप में दस्तक दी। दरअसल, साधारण कहानी के जरिए एक सुपरहीरो तैयार करने की कोशिश थी इंडियन सुपरमैन। नजीतन, इंडियन सुपरमैन किसी को याद तक नहीं है। हालांकि, उसी साल रिलीज हुई अनिल कपूर की मिस्टर इंडिया ने बेहद लोकप्रियता हासिल की। मिस्टर इंडिया का दूसरा भाग बनाने के लिए प्रयास तो किए गए। लेकिन, सफल नहीं हुए। स्वयं मिस्टर इंडिया के निर्देशक शेखर कपूर अब इसको बनाने से कतराते हैं क्योंकि वो जादू पुन:स्थापित करना मुश्किल है। इस फिल्म में स्टोरी और अभिनेता अनिल कपूर का अदृश्य होना, जो भारतीय सिने प्रेमियों को लुभावने में सही फार्मूला साबित हुआ।
यदि सुपरहीरो की बात करें तो मुकेश खन्ना के रूप में छोटे पर्दे पर प्रसारित धारावाहिक शक्तिमान से मिला। इस धारावाहिक के लगभग 400 एपिसोड प्रसारित हुए और धारावाहिक 1997 से 2005 तक निरंतर लोकप्रिय रहा। इस सीरियल की लोकप्रियता का मुख्य कारण, इसके दो किरदार, एक पूर्ण रूप से समझदार और दूसरा आम साधारण सा व्यक्ति। मुकेश खन्ना ने दिनकर जानी के निर्देशन में दोनों किरदारों को बहुत ही ईमानदारी से निभाया। शक्तिमान का भूत बच्चों से लेकर बड़ों के सिरों तक सवार रहा। हालांकि, शक्तिमान सा सुपरहीरो बड़े पर्दे से नहीं मिल पाया।
ऋतिक रोशन ने फिल्म कोई मिल गया से एक नए सुपरहीरो को जन्म दिया, जो आगे जाकर कृष बन गया। हां, हम कह सकते हैं कि बॉलीवुड को कोई सुपरहीरो मिल गया। मगर, कृष 3 तक आता आता सुपरहीरो कृष भी थोड़ा सा धुंधला पड़ने लगा है। इसका मुख्य कारण कि हमारे पर उस स्तर की कल्पना शक्ति नहीं, जिस स्तर की होनी चाहिए, क्योंकि सुपरहीरो को आम लोगों में नहीं गढ़ा जा सकता। सुपरहीरो के लिए सुपरवर्ल्ड रचने की जरूरत रहेगी, हालांकि, एक कोने में मानव होंगे। अब कृष 4 का इंतजार है, जिसको लेकर अभी तक चर्चाएं शुरू नहीं हुई।
गोल्डी बहल ने अभिषेक बच्चन को लेकर द्रोणा बनाई, सोचा होगा कि बॉलीवुड को एक नया सुपरहीरो मिल जाएगा। मगर, द्रोणा के बाद तो खुद अभिषेक बच्चन लापता हो गए थे। पर्दे पर सुपरहीरो मिलने की बात तो दूर की हो गई। फिल्म द्रोणा बुरी तरह पिट गई। फिर सुपरहीरो कहां याद रहने वाला था।
शाह रुख़ ख़ान रा.वन से जी.वन नामक एक सुपरहीरो लेकर आए। मगर, बॉक्स ऑफिस पर जो हश्र रा.वन का हुआ उसके बारे में तो सब को पता है। दरअसल, रा.वन में जी.वन का किरदार बेहतरीन तरीके से तैयार किया गया। मगर, साधारण कहानी के साथ आप साधारण सुपरहीरो गढ़ सकते हैं, बिग सुपरहीरो नहीं।
अब रेमो डिसूजा ने सिख धर्म के कुछ पवित्र प्रतीकों को लेकर ए फ्लाइंग जट्ट के माध्यम से एक नया सुपरहीरो पैदा करने की कोशिश की, जो पूरी तरह असफल होती नजर आ रही है। रेमो डिसूजा का निर्देशन बुरा नहीं था। मगर, कहानी इतनी स्टीक नहीं थी, जो साबित कर पाती कि टाइगर श्रॉफ असल में एक सुपरहीरो हैं। एक बड़ी काया के राका से लड़ाई करने से एक सुपर हीरो का निर्माण तो नहीं किया जा सकता। नजीता, फिल्म ने पहले दिन प्रचार और फैन्स की मदद से सात करोड़ का कलेक्शन किया। मगर, दूसरे दिन शुक्रवार का कलेक्शन सीधा बुरे दिनों के सेंसेक्स की तरह गिरा।
यदि बॉलीवुड को सुपरहीरो की रचना करनी है तो उससे पहले हॉलीवुड की पुरानी सुपरहीरो वाली फिल्मों और साइंस फिक्शन फिल्मों से आगे जाकर सोचना होगा। एक अद्भुत दुनिया का निर्माण करना होगा, जैसे जेम्स कैमरॉन ने अवतार के समय से किया था। कहते हैं कि 2009 में रिलीज होने वाली फिल्म अवतार बनाने के लिए जेम्स कैमरॉन ने काम 1994 से शुरू कर दिया था।