मुंबई। फिल्मकार अनिरुद्ध रॉय चौधरी निर्देशित आगामी फिल्म ‘पिंक’ में मेगास्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने के अवसर को अभिनेत्री तापसी पन्नू ने जीवन भर याद रखने वाला अनुभव बताया।
तापसी पन्नु ने कहा, ‘मुझे याद है कि शूट से एक दिन पहले मैं अपने आप को इस बात के लिए समझा रही थी कि मुझे ऐसे दिग्गज अभिनेता के सामने सामान्य रहना है।’
अभिनेत्री ने कहा, ‘भाग्य से अगली सुबह मेरा अमिताभ बच्चन के साथ दृश्य काफी समान्य था। हालांकि, मेरे लिए यह सामान्य सा दृश्य फिल्म का सबसे मुश्किल दृश्य बन गया।’
तापसी ने कहा कि उनके लिए यह किरदार काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि उन्हें इसमें एक ‘ट्रॉमाटाइज्ड सेक्सुअली वॉयलेटिड’ लड़की का किरदार निभाना था।
अभिनेत्री तापसी ने कहा कि शुरू से ही फिल्म के सह-निर्माता शूजित और निर्देशक अनिरुद्ध ने इस बात को साफ कर दिया था कि उनका किरदार आंसू नहीं बहाएगा, फिर चाहे उन्हें किसी भी हिंसा या परेशानी से गुजरना पड़े। अदालत में न्यायाधीश के फैसला सुनाने के बाद भी इस किरदार को नहीं रोना था।
तापसी ने अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए बेहतरीन रूप से इस किरदार को निभाने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा, ‘कम से कम रूप में भावनाओं को दर्शाने का प्रभाव काफी अलग था। भारतीय सिनेमा में हमें भावनाओं को अपने बस में नहीं रखना होता। इसे जितना हो सके, दर्शाना होता है। ‘पिंक’ की शूटिंग के दौरान मुझे इस बात का अहसास हुआ कि इसमें ज्यादा से ज्यादा इन चीजों को नियंत्रित करना है।’
तापसी पन्नु का यह भी कहना है कि इस फिल्म में उन्होंने पहली बार किसी भी प्रकार के मेकअप का इस्तेमाल नहीं किया और उन्हें काफी अच्छा लगा। कैमरे में अच्छा दिखने के लिए लड़कियों द्वारा की जाने वाली साज-सज्जा को वह भार मानती हैं।
वह अपने असल जीवन में मेकअप का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करतीं। उन्हें अपनी आंखों पर आई-लाइनर भी लगाना नहीं आता।
अभिनेत्री का कहना है कि कई प्रकार से ‘पिंक’ में निभाया गया किरदार उनके असल जीवन के काफी करीब है। हालांकि, उन्हें इस प्रकार की किसी भी चीज का सामना नहीं करना पड़ा।
‘पिंक’ में निभाए किरदार के लिए पुरस्कार मिलने की संभावना के बारे में तापसी पन्नु ने कहा कि लोगों ने ‘बेबी’ फिल्म के बाद भी इसी प्रकार की आशा जताई थी।
तापसी को उस वर्ष मार-धाड़ वाली फिल्मों की श्रेणी में भी नहीं नामित किया गया था। उनका कहना है कि ग्लैमर को दर्शाने वाली अभिनेत्रियों को कई श्रेणियों में नामांकन मिला था, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जो होना है, वह होकर रहेगा।
-आईएएएनएस/सुभाष के झा