नई दिल्ली। शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय, करीना कपूर जैसे कई बॉलीवुड एवं केबिन स्पेसी और जॉन ट्रॉवोल्टा जैसे हॉलीवुड सितारों को डांस सिखाने वाले श्यामक डावर भारत में डांस आधारित फिल्मों के सफल होने से काफी खुश हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डावर का मानना है कि ऐसी फिल्मों ने डांस शैली को ऐसे जगहों पर प्रोत्साहित किया है, जहां उनकी पहुंच सीमित है।
उनका कहना है कि रेमो डिसूजा द्वारा निर्देशित पाश्चात्य डांस पर आधारित फिल्में एबीसीडी और उसकी सीक्वल एबीसीडी-2 ने उन जगहों पर ऐसे शैली को प्रोत्साहित किया है। इन फिल्मों के कारण रेमो डिसूजा की लोकप्रियता युवाओं में बढ़ी है, क्योंकि उनका फोकस वेस्टर्न डांस पर है।
डावर ने वैंकूवर से आईएनएस को दिए एक ईमेल इंटरव्यू में बताया कि ऐसा होना अपने आप में बड़ी बात है। ऐसा ट्रेंड ज्यादा लोगों को डांस करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमारे यहां कई ऐसी फिल्में हैं जो हॉलीवुड से प्रभावित हैं।
डावर रेमो कि तरह कोई फिल्म डायरेक्ट करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। निर्देशन से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में डाबर ने कहा, “फिलहाल मैं किसी फिल्म का निर्देशन करने नहीं जा रहा हूं लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि कभी भी डांस फिल्म नहीं करूंगा। मेरे दिल के करीब कई ऐसी चीजें हैं जिसे मैं सिनेमा के माध्यम से लोगों के सामने लाना चाहता हूं। लेकिन अभी ऐसा कोई इरादा नहीं है। फिलहाल मैं अपने स्कूल के माध्यम से डांस को लोगों तक पहुंचाने में खुशी महसूस कर रहा हूं।”
अपने ट्विंकल टोज के लिए प्रसिद्ध डावर भारत में जैज और पाश्चात्य डांस को लोकप्रिय बनाने के लिए जाने जाते हैं।
देश में अपने हिप-होप की धूम के बारे में बारे में बात करते हुए डावर ने बताया कि हर जमाने का अपना एक अलग अंदाज होता है। आज के समय में युवा हिप-होप का दीवाना हैं, क्योंकि आज बॉलीवुड में म्यूजिक और डांस का अत्यधिक प्रभाव है।
यह पूछे जाने पर कि बॉलीवुड में पाश्चात्य डांस की लोकप्रियता के बीच क्या फिल्म इंडस्ट्री भारतीय डांस को तवज्जो नहीं दे रही है?
54 वर्षीय डावर ने मुस्कराते हुए कहा, “ऐसा बिल्कुल नहीं। यहां हर तरह के डांस का समावेश है। यदि हम ड्रामे के काल को याद करें तो देखते हैं कि उस समय क्लासिक्ल डांस का प्रभुत्व था। डांस स्टाइल फिल्म और गाने के हिसाब से तय होता है।”
‘दिल तो पागल है’, ‘ताल’, ‘बंटी और बबली’ एवं ‘धूम-2’ जैसी फिल्मों के नृत्य निर्देशन करने वाले डाबर का मानना है कि गानों में लिरिक्स के बढ़ते प्रभाव के कारण नृत्य-निर्देशन अब महज पेड़ों के इर्द-गिर्द घूमने भर नहीं रह गया है। पुराने जमाने में पेड़ों के आस-पास घूमकर ही रोमांस किया जाता था। लेकिन अब वक्त बदल बदल गया है।
आज नृत्य निर्देशन भावनाओं कि व्याख्या से कहीं ज्यादा है।
वर्ष 2005 में अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘बंटी और बबली’ में काम करने वाले डावर ने कहा, “उनके साथ काम करना काफी प्रेरणादायक रहा। दिग्गज दिग्गज होते हैं। उनका प्रोफेश्नलिज्म बेहद प्रेरित करने वाला है। वह बहुत मेहनत करते हैं और रिहर्सल के लिए हमेशा समय से पहुंचते थे।”
डाबर के अनुसार, “प्रतिस्पर्धा के कारण अभिनेताओं का अच्छा प्रदर्शन सामने आता है और वे बेहतर प्रदर्शन करते हैं।”
-आईएएनएस/दुर्गा चक्रवर्ती