नई दिल्ली। सधी अदाकारी के लिए जानी जाने वाली विद्या बालन को शुक्रवार को हिंदी सिनेजगत में कदम रखे 11 साल पूरे हो गए। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अदाकारा कहती हैं कि उन्हें उम्मीद से कहीं ज्यादा मिला है और इसके लिए वह उन्हें मिले अवसरों की ‘शुक्रगुजार’ हैं।
विद्या ने मुंबई से फोन पर आईएएनएस को बताया, “मैं अपनी जिंदगी में कभी सिर्फ इतना चाहती थी कि मेरी बस एक फिल्म रिलीज हो जाए। मैं खुश होती अगर मेरी एक फिल्म ही रिलीज हुई होती। मुझे यकीन नहीं होता कि मुझे यहां 11 साल हो गए। मैं जितनी भी फिल्मों का हिस्सा रही और जितने भी लोगों के साथ काम किया, मैंने उनसे सीखने-जानने की कोशिश की।”
‘परिणीता’ से फिल्मों में कदम रखने वाली विद्या ने अभिनय की शुरुआत छोटे पर्दे के लोकप्रिय धारावाहिक ‘हम पांच’ में राधिका की भूमिका निभाकर की।
उन्होंने ‘द डर्टी पिक्चर’, ‘पा’, ‘कहानी’, ‘इश्किया’ एवं ‘नो वन किल्ड जेसिका’ सरीखी जुदा फिल्मों से जीत का स्वाद चखा। वहीं, उनके खाते में ‘घनचक्कर’ व ‘शादी के साइड इफेक्ट्स’ जैसी असफल फिल्में भी आईं।
विद्या ने ‘द डर्टी पिक्चर’ में सेक्स सिंबल सिल्क स्मिता की भूमिका निभाकर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। उन्होंने कहा, “मुझे एक कलाकार के रूप में मेरे लिए लाजवाब मौके मिले और बहुत तारीफें मिलीं। मैं स्वयं को धन्य मानती हूं।”
विद्या की हालिया रिलीज ‘टीई3एन’ है। इस फिल्म में उनकी अतिथि भूमिका है और उन्होंने पहली बार एक मराठी फिल्म (एक अलबेला) में भी एक विशेष भूमिका निभाई है।
पहली बार मराठी फिल्म में काम करने के बारे में उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से एक मराठी फिल्म करना चाहती थी। मैं मुंबई में पली-बड़ी हुई हूं। मैं महाराष्ट्र की संस्कृति से अच्छी तरह परिचित हूं।”
उन्होंने कहा, “मैं शनिवार की शामों में मराठी फिल्में देखकर बड़ी हुई हूं। मेरी मां उन्हें देखा करती थी और मैंने भी बहुत देखी हैं।”
लेकिन दो फिल्मों में अतिथि भूमिका क्यों?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, “यह इत्तेफाक है कि मेरी दो फिल्मों में एक खास भूमिका है और दोनों एक ही महीने में रिलीज हो रही हैं। मेरे ख्याल से जून खास महीना है।”
आलोचना के बारे में पूछा जाने पर विद्या बालन कहती हैं, ‘इससे दुनिया समाप्त नहीं हो जाती है। मेरे जीवन का अनुभव है कि जीवन में ऐसा दिन कभी नहीं आएगा, जब सभी आपकी तारीफ करेंगे। इसलिए दुनिया में कुछ भी बुरा नहीं है। मैंने यह अनुभव किया है कि दुनिया गई तेल लेने।
-आईएएनएस/दुर्गा चक्रवर्ती